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Sobir
जो भोक्ता है वह काटता नहीं है और जो काटता है वह कभी भी भोक्ता नहीं ©Sobir जो भोक्ता है वह काटता नहीं है
Poet Shivam Singh Sisodiya
अमृतापूर्णकलशं बिभ्रद् वलयभूषितः | स वै भगवतः साक्षात् विष्णोरंशाशसम्भवः || धन्वन्तरिरिति ख्यात आयुर्वेददगिज्यभाक् | (श्रीमद् भागवत महापुराण ८. ८. ३४/३५) उनके हाथों में कंगन और अमृत से भरा हुआ कलश है | वे साक्षात् भगवान् विष्णु के अंशांश अवतार हैं | वे ही आयुर्वेद के प्रवर्त्तक और यज्ञों के भोक्ता धन्वन्तरि के नाम से सुप्रसिद्ध हुए | अमृतापूर्णकलशं बिभ्रद् वलयभूषितः | स वै भगवतः साक्षात् विष्णोरंशाशसम्भवः || धन्वन्तरिरिति ख्यात आयुर्वेददगिज्यभाक् | (श्रीमद् भागवत महापुरा
Sunil itawadiya
. नीली कंपनी( jio)ने अपने ग्राहकों को फिर दिया एक जोरदार झटका टेलीकॉम सेक्टर में एक और झटका देने वाली है जियो जिओ भोक्ता ध्यान दें 1 दिसंबर स
विष्णुप्रिया
स्व से बंधित मैं, अहम् द्वेष से परिपूर्ण समस्त रागों को स्वाह कर और सत्व में कर विलीन ; दीप्त प्रह्लाद कुसुमित हो हो नव चेतन में, चित्त अन्तर्लीन.... हिरण्यकश्यपु और प्रह्लाद दो दृष्टिकोन है, जहाँ..... ★ हिरण्यकश्यपु लड़ता है, और प्रह्लाद जोड़ता है । ★ हिरण्यकश्यपु इन्द्रियों का भोग करता है
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खं न मन्त्रो न तीर्थं न वेदो न यज्ञः | अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूप: शिवोऽहं शिवोऽहम् || अर्थात:- न मैं पुण्य हूँ, न पाप, न सुख और न दुःख, न मन्त्र, न तीर्थ, न वेद और न यज्ञ, मैं न भोजन हूँ, न खाया जाने वाला हूँ और न खाने वाला हूँ, मैं चैतन्य रूप हूँ, आनंद हूँ, शिव हूँ, शिव हूँ… संपूर्ण विश्व में व्याप्त सभी सनातनियों को श्रावण मास के प्रथम सोमवार की अनंतकोटी शुभकामनायें त्रिलोकी,त्रिनेत्रधारी महादेव सभी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें... 🙏🌺🙏हर हर महादेव शिव शंभु🙏🌺🙏 ✍️Vibhor vashishtha vs Meri Diary #Vs❤❤ न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खं न मन्त्रो न तीर्थं न वेदो न यज्ञः | अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूप: शिवोऽहं शि
Divyanshu Pathak
जब निग़ाहें चाँद को ढूंढे फ़लक पर झील आँखों से बहे दृग-वारि बनकर स्वर सभी अवरुद्ध होकर रह गए हो जब हृदय की आह अटकी कण्ठ में हो तब कहीं से आ बजे घुंघरू की रुनझुन जैसे राधा चल रही झूमे हो मधुवन !! जब दर्द की मन्दाकिनी उफ़ने हृदय में तम के बादल आसमां पर छा रहे हों आँधियाँ उठने लगें जब नफरतों की जब सब सितारे राग विरहा गा रहे हों तब कहीं से प्रेम का मकरंद बनकर कृष्ण की बंसी बजे और हो मधुर धुन !! #Good evening ji #पंछी #पाठक #मोहब्बत #हरे कृष्ण अब तरन्नुम से तराने गा सकूँगा मैं मोहब्बत की पनाहें पा सकूँगा धड़कनों की आहटों तक जा सकूँगा
Divyanshu Pathak
: स्त्री होने से कोई एतराज नही हैं मुझे तेरे सिर्फ़ औरत रह जाने का डर है। : बंदिशें समझती हो न तुम जिसे तेरे स्वरूप को ढालने का यंत्र है बस धुरी हो तुम भविष्य की सृष्टा है बर्तमान की । : तुझसे ही तो संस्कार है ममता है तुम माया हो जींवन की सामर्थ्य हो अग्नि परीक्षा तप है तेरे खरे होने का तेरे भाग से ही तो बनने है सृष्टि के गहने । : करुणा सौम्यता नवीनता सरलता गुण है तेरे सौंदर्य का प्रतिमान हो तुम पोषित मत करो अहंकार को पश्चिम की हवा में मत बहने दो आप को अधिकारों के नाम पे तुम स्वयं अधिकार हो । : समय के साथ नर-नारी के देह में तो कोई परिवर्तन नहीं आया, किन्तु चिन्तन और जीवन शैली में बहुत परिवर्तन आया है। यह परिवर्तन किस सीमा तक हितकर ह
Vikas Sharma Shivaaya'
सूर्य गायत्री मंत्र: सूर्य देव इस संसार के सभी प्राणियों के जीवन के श्रोत हैं. सूर्य देव के ही कारण इस संसार में जीवन का चक्र संभव हो सका है. -ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात | -ओम भास्कराय विधमहे दिवा कराया धीमहि तन्नो सूर्य प्रचोदयात | -ओम आस्वादवजया विधमहे पासा हस्ताय धीमहि तन्नो सूर्य प्रचोदयात | समस्त प्रकार के रोगों से मुक्ति प्रदान करने की शक्ति इस मंत्र में हैं. भैरव गायत्री मंत्र: -ऊँ शिवगणाय विद्महे। गौरीसुताय धीमहि तन्नो भैरव प्रचोदयात।। विष्णु सहस्रनाम:(एक हजार नाम) आज 23 से 44 नाम 23 केशवः जिसके केश सुन्दर हों 24 पुरुषोत्तमः पुरुषों में उत्तम 25 सर्वः सर्वदा सब कुछ जानने वाला 26 शर्वः विनाशकारी या पवित्र 27 शिवः सदा शुद्ध 28 स्थाणुः स्थिर सत्य 29 भूतादिः पंच तत्वों के आधार 30 निधिरव्ययः अविनाशी निधि 31 सम्भवः अपनी इच्छा से उत्पन्न होने वाले 32 भावनः समस्त भोक्ताओं के फलों को उत्पन्न करने वाले 33 भर्ता समस्त संसार का पालन करने वाले 34 प्रभवः पंच महाभूतों को उत्पन्न करने वाले 35 प्रभुः सर्वशक्तिमान भगवान् 36 ईश्वरः जो बिना किसी के सहायता के कुछ भी कर पाए 37 स्वयम्भूः जो सबके ऊपर है और स्वयं होते हैं 38 शम्भुः भक्तों के लिए सुख की भावना की उत्पत्ति करने वाले हैं 39 आदित्यः अदिति के पुत्र (वामन) 40 पुष्कराक्षः जिनके नेत्र पुष्कर (कमल) समान हैं 41 महास्वनः अति महान स्वर या घोष वाले 42 अनादि-निधनः जिनका आदि और निधन दोनों ही नहीं हैं 43 धाता शेषनाग के रूप में विश्व को धारण करने वाले 44 विधाता कर्म और उसके फलों की रचना करने वाले 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' सूर्य गायत्री मंत्र: सूर्य देव इस संसार के सभी प्राणियों के जीवन के श्रोत हैं. सूर्य देव के ही कारण इस संसार में जीवन का चक्र संभव हो सका है
Vikas Sharma Shivaaya'
सोमवती अमावस्या:- सोमवती अमावस्या का हिंदू धर्म में एक बहुत की खास महत्व होता है- जब भी सोमवार के दिन अमावस्या तिथि पड़ती है तो इसको ही सोमवती अमावस्या कहा जाता है. सोमवती अमावस्या अनन्त फल देने वाली मानी जाती है..., सोमवती अमावस्या वर्ष में लगभग एक अथवा दो ही बार पड़ती है..., कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा। ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है..., सोमवती अमावस्या के दिन पीपल पूजन करने से सौभाग्य बढ़ता है एवं पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं...! विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 490 से 501 नाम 490 आदिदेवः जो सब भूतों का ग्रहण करते हैं और देव भी हैं 491 महादेवः जो अपने महान ज्ञानयोग और ऐश्वर्य से महिमान्वित हैं 492 देवेशः देवों के ईश हैं 493 देवभृद्गुरुः देंताओं के पालक इन्द्र के भी शासक हैं 494 उत्तरः जो संसारबंधन से मुक्त हैं 495 गोपतिः गौओं के पालक 496 गोप्ता समस्त भूतों के पालक और जगत के रक्षक 497 ज्ञानगम्यः जो केवल ज्ञान से ही जाने जाते हैं 498 पुरातनः जो काल से भी पहले रहते हैं 499 शरीरभूतभृत् शरीर की रचना करने वाले भूतों के पालक 500 भोक्ता पालन करने वाले 501 कपीन्द्रः वानरों के स्वामी 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' सोमवती अमावस्या:- सोमवती अमावस्या का हिंदू धर्म में एक बहुत की खास महत्व होता है- जब भी सोमवार के दिन अमावस्या तिथि पड़ती है तो इसको ही सोमव
Divyanshu Pathak
अनादित्वान्निर्गुणत्वात्तपरमात्मात्मायमव्ययः । शरीरस्थोअपि कौन्तेय न करोति न लिप्यते !! : यथा सर्वगतं सौक्षाम्यदाकाशं नोपलिप्यते । सर्बत्रावस्थितो देहे तथात्मा नोपलिप्यते !! : यथा प्रकाशयत्येकः कृत्स्न लोकमिमं रवि: । क्षेत्रम् क्षेत्री तथा कृत्स्न प्रकाशयति भारत !! : क्षेत्र क्षेत्रज्ञयोरेवमन्तरम् ज्ञान चक्षुषा । भूत प्रकृतिमोक्षम च ये विदुरयन्ति ते परम् !! गी. अ. 13/31-32-33-34 क्रमशः--03 🐇हरेकृष्ण😁☕#अध्यात्म☕🐦#संस्कार🍵☕😀#संस्कृति😀🐿#वैराग्य कृष्ण बोले क्या वो तुम हो जो इस शरीर रूपी खेत का स्वामी है । 😊☺☕🍵🐦😁😀🐿 अर्जुन ने खूब सोच