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Devesh Dixit
गरल (दोहे) गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान। कष्ट भोगता है वही, कहते हैं भगवान।। दुष्ट धरे जो भावना, वो बदले की राह। मर्म उसे सोहे नहीं, करे गरल की चाह।। गरल धरे जो कंठ में, वो हैं भोले नाथ। दुष्टों का संहार कर, भक्तों का दें साथ।। करे गरल का त्याग जो, सज्जन उसको मान। छोड़ सभी वह द्वेष को, करता सुख का पान।। गरल भरे आस्तीन में, छिप कर करता वार। अपमानित होता तभी, मन में रखता भार।। .............................................................. देवेश दीक्षित स्वरचित एवं मौलिक ©Devesh Dixit #गरल #दोहे #nojotohindipoetry गरल (दोहे) गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान। कष्ट भोगता है वही, कहते हैं भगवान।। दुष्ट धरे जो भावना, वो
Vedantika
घायल की गति घायल जाने जगत ना जाने पीर हृदय की अश्रुओं की धारा बन जाए अमृत जो समझे कोई पीर हृदय की ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_118 👉 घायल की गति घायल जाने लोकोक्ति का अर्थ — जो कष्ट भोगता है वही दूसरे के कष्ट को समझ सकता है। ♥️ इ
विष्णुप्रिया
गृहस्थ और वैराग्य के मध्य उलझे कुछ विचार, कुछ भाव, कुछ मान्यताएं, और, उनका उत्तर खोजती मैं... इसी उधेड़बुन में यह कहनी रच गई... ' हिमाद्रि ' कैप्शन में पढ़े... हिमालय....यह....नाम सुनते ही तीव्र अद्यात्मिक ऊर्जा का संचार सा होने लगता है मेरे भीतर । फिर भी आज तक हिमालय दर्शन का सौभाग्य, प्राप्त ना हो
Secret Quotes
शब्द हरवले आज राग लेखणीवर आहेत कवींवर आहेत कवीतांवर आहेत, कारण मी कवी नाहीत आणि होयचे पण नाही, स्वतः वर आहेत ज्यात जीव होता त्या व्यक्ती वर आहेत स्वतःच्या प्रत्येक गोष्टी वर आहेत या जीवनावर आहेत, उरलेले काही दिवस माझे नाही माहित मी कसे जगणार, काही संकेत काही शब्द काही गोष्टी काही विषय काही बंधन सगळं काही आयुष्य जगण्याचा रसं उरलेला गोडवा हिरावून नेला, जगायचं का हा मोठा प्रश्न आज डोळ्यासमोर उभा आहेत माझ्या, कुणी नसतं कुणाच शेवटी पैसा फक्त मतलबी असतं जग सारं, AS Patil✍️ एखादा दिवस वाईट असतो पण माझ्या जीवनात सगळे दिवस आनंदाचे असताना पण तो कधी मला भोगता नाही आला, दुःख काय असतं हे झोपता उठता चालता फिरता सगळीकडे
Divyanshu Pathak
💠 अंतरजातीय विवाह की उलझन क्रमशः 04 💠 प्रश्न यह है कि यदि हम विकसित हो रहे हैं, शिक्षित हो रहे हैं, तो इसका लाभ स्त्री को क्यों नहीं मिल रहा। शिक्षित व्यक्ति निपट स्वार्थी भी होता जा रहा है और उसे नुकसान करना भी अधिक आता है। अनपढ़ औरतें कन्या भ्रूण हत्या के लिए बदनाम इसलिए हो गई कि उनको गर्भस्थ शिशु के लिंग की जानकारी उपलब्ध नहीं थी। आंकड़े साक्षी हैं कि ऎसी हत्याओं में शिक्षित महिलाएं अधिक लिप्त हैं और चर्चा भी नहीं होती। ये हत्याएं इस बात का प्रमाण तो हैं ही कि नारी आज भी स्वयं को लाचार और अत्याचारग्रस्त मानती है। अपनी कन्या को इस पुरूष के हवाले नहीं करना चाहती। 💠 क्रमशः - 04 💠💠💠💠💠💠💠💠💠💠🙏 एक होड़ में चल रहा है। स्पर्धा ने मूल्यों को समेट दिया है। नकल का एक दौर ऎसा चला है कि व्यक्ति की आंख खुद के जीवन
DR. SANJU TRIPATHI
दिल में छुपा है किसके क्या ये तो आज तक कोई भी कभी न जान पाता है, घायल की गति घायल ही जान सकता है और कोई भी नहीं समझ पाता है। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_118 👉 घायल की गति घायल जाने लोकोक्ति का अर्थ — जो कष्ट भोगता है वही दूसरे के कष्ट को समझ सकता है। ♥️ इ
Writer1
पीड़ पराई से अनजान जानू ना।। सखी नयन निर्मोही से जा लड़े ।। दिल मेरी धड़कनें अब सुने ना ।। कोई वैद आकर उपचार करें ।। रैना अब बीते नीर बहाए ।। वो बैरी पलकों पे समाए।। दुनिया हंसे हैं मुझ पर ।। सुध गंवाए लाज ना आए ।। सत्य कथन कह गयो रे ।। घायल की गति घायल जाने ।। और जान सके ना कोई रे ।। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_118 👉 घायल की गति घायल जाने लोकोक्ति का अर्थ — जो कष्ट भोगता है वही दूसरे के कष्ट को समझ सकता है। ♥️ इ
Unconditiona L💓ve😉
स्त्रियां सदैव उठाती है एक बोझ समझौते का । स्वाभिमान को मार अपनाती है एक बोझ अदृश्य बेड़ियों का । परिवार, समाज की खातिर चुपचाप पी जाती हैं अपमान की घुट दो बूँदी आँसू समझ , तभी तो सीता की उपाधि पाती है? और अंत तक देती है अग्नि परीक्षा अपने वजूद की तलाश में सिसकियों में जीवन व्यतीत कर, हे स्त्री, तुम पुरुष कभी न बन पाओगी // IN CAPTION // Love from ❤️...Mythical💘 Writer😉 ----------------------------------------------------- स्त्री तुम पुरुष न बन पाओगी अपने प्रिय को भूल, दूजा
Amar Anand
गौ-महिमा नीचे कैप्शन में... . "गो-महिमा" एक बार नारदजी ने ब्रह्माजी से पूछा- नाथ! आपने बताया है कि ब्राह्मण की उत्पत्ति भगवान् क
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक मनुष्य के पास तीन प्रकार की कामधेनुएं है- सर्व आयु, सर्व कर्मा व सर्व धाया। पुराणों में एक प्रकार की गाय की चर्चा आती है जो सब मनोरथों को पूर्ण करती है, यह स्वर्ग की गाय है जिसे कामधेनु कहते है। मनुष्य संपूर्ण आयु जो वह भोगता है अर्थात आयुरूपी धेनु को दुहता है, इसी प्रकार जीवन भर कर्म करता है अर्थात सर्वकर्मा नामक गाय को दुहता है और परिणाम स्वरूप पुरुषार्थी कहलाता है। इसी प्रकार जीवन भर धारक शकित के रूप में सर्वधाया नामक गाय को दुहता रहता है, मानो अपनी धारक शकित को बढा रहा हो। अतः स्पष्ट है- जीवन भर पुर्ण लगन से प्रयत्न करोगे तभी परम लक्ष्य प्राप्त कर सकोगे अर्थात तीनों प्रकार की कामधेनुओं को भली-भांति दुह सकोगे। ©N S Yadav GoldMine #lonely {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक मनुष्य के पास तीन प्रकार की कामधेनुएं है- सर्व आयु, सर्व कर्मा व सर्व धाया। पुराणों में एक प्रकार क