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chandan kumar
Ravindra Singh
हे माँ भवानी हे माता रानी , हे माँ भवानी तूने समझा मुझे, दिल की बात मेरी जानी । मुझको बुलाया तेरे दर पर , दिया आशीर्वाद तेरा बेटा समझ कर । उठाया ज़मीन से ,इस लायक़ बनाया , ज़रूरतें हुई पूरी, माँ तूने रास्ता दिखाया । टूट गया था एक रोज़ मैं माँ , थे दरवाज़े सभी के, मेरे लिये बंद यहाँ । एक तू ही थी जो मेरे साथ खड़ी थी , थामी मेरी अंगुली जब मेरी कठिन घड़ी थी । तेरा उपकार माँ मैं सदैव याद रखूँगा , तेरे बुलाने पर तेरे दरबार आऊँगा ,मैंने है ठानी । हे माता रानी , हे माँ भवानी तूने समझा, दिल की बात मेरी जानी । ©Ravindra Singh #navratri हे माँ भवानी हे माता रानी , हे माँ भवानी तूने समझा मुझे, दिल की बात मेरी जानी । मुझको बुलाया तेरे दर पर , दिया आशीर्वाद तेरा बे
दीपा साहू "प्रकृति"
ज़िन्दगी से शिकायत कैसी भावनाओं का कत्ल कर उन्हें कब्र में दफ्न करना उतना कठिन भी नहीं ! हाँ कभी-कभी ज़िंदा भी हो जाती है। अरे तो क्या हुआ ! फिर से दफ्न हो ही जाती है ! ओफ्फो.. कौन सी ज़िन्दगी लम्बी है छोटी सी तो बाकी है नम आँखें छुपाकर मुस्कुराहट लबों पे काफ़ी है। ख़ामोशी भी तो है न अच्छी दोस्त, होठो पे खूबसूरत साथी है। कुछ न कहो चुप ही रहो, धड़कने इस बात पे राज़ी है। फिर ज़िन्दगी से शिकायत कैसी? छोड़ो न बस गुज़र ही जाती है। ©दीपा साहू "प्रकृति" #truecolors #Prakriti_ #deepliner #zindagi #love #SAD #poem #poetry ज़िन्दगी से शिकायत कैसी भावनाओं का कत्ल कर उन्हें कब्र में दफ्न करना
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा । कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।। बनाओ नेक को साथी बुराई त्यागकर सारी । नहीं भाई तुम्हारा भी बिगड़ना सीख जायेगा ।। अदाओ का हमें अपनी दिखाओ आज तुम जादू । सुना है इक इशारे पे वो हँसना सीख जायेगा ।। सँवर कर और अब ऐसे नहीं निकला करो बाहर । दीवाना देखकर तुमको मचलना सीख जायेगा ।। मिलेगी जब उसे ठोकर यहाँ हालात से जिसदिन । यकीं मानो उसी दिन से वो चलना सीख जायेगा ।। अभी नादान है देखो नहीं घर की फिकर कोई । पडेगा बोझ जब घर का सँभलना सीख जायेगा ।। चुनावी दौर है आया प्रखर मुमकिन नहीं कुछ भी । कहानी आज वो झूठी भी गढ़ना सीख जायेगा ।। २२/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा । कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।।
Pushpvritiya
अश्रु सुनियो धीरज धरना, प्रेम कठिन पर पार उतरना | पग-पग काँटें हैं यह माना, मेल विरह का ताना-बाना || हर ले मन की दुविधा सारी, आशा ज्योत जलाकर न्यारी | बाँधी है जब नेहा ऐसी , भय शंका तब बोलो कैसी || @पुष्पवृतियाँ . . ©Pushpvritiya #चौपाई अश्रु सुनियो धीरज धरना, प्रेम कठिन पर पार उतरना | पग-पग काँटें हैं यह माना, मेल विरह का ताना-बाना ||
Nitu Singh जज़्बातदिलके
Ujjwal Kaintura
घर से निकले थे जो घर के, चिराग बनकर । आज खुद रह रहे हैं, किराए के चार कमरों के अंदर । जब हर जिम्मेदारी का बोझ, अपने कंधों पर उन्होंने उठाया था, अपने कई सपनो का गला उन्होने दबाया था। इस फरेबी दुनिया के तानों से, घर के बाहर जाना था। कहा सोचा था फिर, वापस आने का रास्ता फिर कठिन था। घर से निकले थे जो कहकर ! जिम्मेदारी पापा अब हम आपस में बांट लेंगे। भूल गए थे देखना उन नम आंखो में , जिसने पूछा था सवाल ? बेटा कही तुम जाकर वापसी का रास्ता तो ना भूल बैठोगे? ©Ujjwal Kaintura #GingerTea घर से निकले थे जो घर के, चिराग बनकर । आज खुद रह रहे हैं, किराए के चार कमरों के अंदर । जब हर जिम्मेदारी का बोझ, अपने कंधों पर उन्ह