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Khamar Sumit
सुख- दुःख मानव जीवन के दो पहलू है, इससे आखिर अब तक क्यों अंजान हैं तू|| तूने क्यों स्वयं को माटी का दैला समझा, मुझे पता है कि एक विस्तृत आसमान है तू अपने महत्व को भूल चुका है क्या तू? मानव जीवन का एक सफल अभियान है तू जो सूट कर धनुष से, कभी नष्ट नही होता करता है दुःख संहार, वही राम बान है तू जीवन से जो न निभा पाया, मृत्यु से क्या निभाएगा? इस तथ्य को भी नही समझा , बड़ा नादान है तू अभी जीवन का एक अंश भी तो तूने पूरा नहीं जिया, जीवन को रो कर नहीं हँस कर जी, आखिर इंसान है तू - सुमित जीवन से हताश नव युवान का आत्म संबोधन
जीवन से हताश नव युवान का आत्म संबोधन
read moreचसेड़ी
नवाबों के शहर से वापस अपने... पसंदीदा शहर आने तक... एक विश्वविद्यालय से... अपने पसंदीदा विश्वविद्यालय आने तक... मेरी आवाज़ पन्नों से लेकर... माइक तक पहुँचने तक... स्वयं से मिलने की कोशिश से... तुमसे मिलने तक... नये रिश्ते की सालगिरह से... नये मेहमान के आने तक... हर इक बीते वाकयों/लम्हों से... कुछ नया सीखे जाने तक... कल ,आज और कल की कश्मकश से... आज में जिए जाने तक... ये साल भी लाज़वाब रहा... बिल्कुल तुम्हारी तरह... कोशिश है आने वाला साल... और भी लाज़वाब हो... बिल्कुल तुम्हारी तरह... अनन्त शुक्रिया इस साल के तारीखों... - s_prashant_writes🇮🇳 यहाँ पर जो "तुम्हारी" है उसका तात्पर्य "मैं" से ही है कृपया इधर-उधर भटक के ना जायें... 🤣😂 आजकल के भटके हुए युवा/युवान...😝😂😂🤣 #अलविदा_२०१९ #
यहाँ पर जो "तुम्हारी" है उसका तात्पर्य "मैं" से ही है कृपया इधर-उधर भटक के ना जायें... 🤣😂 आजकल के भटके हुए युवा/युवान...😝😂😂🤣 #अलविदा_२०१९ # #s_prashant_writes🇮🇳 #शुक्रिया_2019
read moremusical life ( srivastava )
माँ शब्द जितना छोटा हैं उतना ही कठिन इस किरदार को निभाना हैं हर दिन नये अहसासों से भर जाना हैं गोंद मे लिये एक नये सौग़ात को लेकर मन मे ढ़ेरो ख़्वाहिशें लिये हर पल लाड लड़ाना है हर दिन नयी चुनौती को लिये उन नन्हे-नन्हें उंगलियों को चूम कर ख़ुद को ये विश्वास दिलाना हैं हाँ.... मैं माँ हूँ ! जिसे श्रृष्टि ने हैं अनमोल दोहफ़ा दिया एक खुबसूरत रिश्तें से बांध कर इस जीवन को सार्थक किया हैं ना कोई मोहपाश ना कोई मायाजाल हैं तो बस असीम प्रेम का भाव जिसे संसार ने माँ को अनमोल पद से नवाज़ा हैं ©# musical life ( srivastava ) हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें 💐💐 एक खुबसूरत और प्यार भरा एहसास जिसे पूरा हुए पूरे दस साल हो गये। हर वक़्त मन मे बस एक ही डर क्या इस ज़िम
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें 💐💐 एक खुबसूरत और प्यार भरा एहसास जिसे पूरा हुए पूरे दस साल हो गये। हर वक़्त मन मे बस एक ही डर क्या इस ज़िम #ज़िन्दगी
read morePnkj Dixit
🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 लजाकर पलकें उठाकर झुका दीजिए 🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 लपेटकर कलम - सी तर्जनी अंगुली पर दुपट्टे का कोना माणिक दन्त पंक्तियों में दबा लीजिए 🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 कुरेदकर भूमि की नर्म देह को दाएँ पद के अँगूठे से सुराहीदार गर्दन को मौन स्वीकृती से व्योम से धरा की तरफ हिला दीजिए 🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 बलखा कर युवान सरिता की तरह कोमल लतिका - सी लचका कर हिरनी - सी कमर पर घन नागिन सी चोटी को लहरा दीजिए 🌷मैं प्रेम समझूँगा🌷 हम हृदय से जीवन भर आभार जताते रहेंगे घर के आँगन की तुलसी बनकर हमारा जीवन महका दीजिए 🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 २३/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 लजाकर पलकें उठाकर झुका दीजिए 🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 लपेटकर कलम - सी
🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 लजाकर पलकें उठाकर झुका दीजिए 🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 लपेटकर कलम - सी
read moreDeepak Kanoujia
"Human means opportunity for a kindness" सुनो अजनबी ! दिखते रहना तुम मेरी बूढ़ी होती आँखों को इन खेलते छोटे बच्चों की आँखों में जब जब मुझे गुस्सा आये इन बच्चों के शोर मचाने पर... "Human is the author of his own health & disease" सुनो अपरिचित ! दुआ करो Part~5 मेरे कंपकपाते हाथ तुम्हें न लिख पाएं {Bonus Episode} इस जर्जर होते शरीर में कहीं कोई बीमारी बन मेरा बुढ़ापा न ख़राब कर देना तुम... अंजान ही हो तुम अब तो, ऐसा मैं अपने आप को बार बार कहती हूँ जब कभी सहसा तुम याद आ जाते हो जब मैं बिलकुल अकेले बैठी होती हूँ इस पार्क में जहाँ
अंजान ही हो तुम अब तो, ऐसा मैं अपने आप को बार बार कहती हूँ जब कभी सहसा तुम याद आ जाते हो जब मैं बिलकुल अकेले बैठी होती हूँ इस पार्क में जहाँ #lovequotes #memoriesoflove #selflesslove #selfishlove #modishtro #deepakkanoujia #dillemaoflove #pradhunik
read moreNitesh Prajapati
"परेशानियाँ" (लघुकथा) अनुशीर्षक मे पढ़े। रचना क्रमांक :-7 9/04/2022 "परेशानियाँ" (लघुकथा) जिंदगी का दूसरा नाम ही परेशानियाँ है, कोई भी आदमी यहांँ सर्वगुण संपन्न नहीं होता,चा
रचना क्रमांक :-7 9/04/2022 "परेशानियाँ" (लघुकथा) जिंदगी का दूसरा नाम ही परेशानियाँ है, कोई भी आदमी यहांँ सर्वगुण संपन्न नहीं होता,चा #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ानकोराकाग़ज़ #KKR2022 #KKRपरेशानियाँ #kkrnitesh
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