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Meena Singh Meen
INDIA CORE NEWS
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** फ़ुर्क़त *** " आज इक दफा उस से मुलाकात हुई , फ़ुर्क़ते हयाते-ए-ज़िक्र अब जो भी हो सो हो , मुहब्बत में बचे शिकवे शिकायतें आज भी हैं , आज उसे इक दफा गले लगाने को दिल कर रहा हैं , फकत अंजुमन कुछ भी तो कुछ बात बने , फ़ुर्क़त में उसे दाटने को जि कर रहा है , क्या समझाये की अब मुहब्बत नहीं हैं तुझसे , फकत तुझे महज़ इक याद की तरह रखी , तेरी तस्वीर आज भी इक पास रखी हैं , फिर जो कहीं मुहब्बत और नफ़रत की गुंजाइश हो तो याद करना , आखिर हम रक़ीबों से दिल लगा के आखिर करते क्या . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** फ़ुर्क़त *** " आज इक दफा उस से मुलाकात हुई , फ़ुर्क़ते हयाते-ए-ज़िक्र अब जो भी हो सो हो , मुहब्बत में बचे शिकवे शिकायतें
꧁ARSHU꧂ارشد
गुलाबों की तरह दिल.. अपना शबनम में भिगोतें हैं... मोहब्बत करने वाले.. ख़ूबसूरत लोग होते हैं.. किसी ने जिस तरह... अपने सितारों को सजाया है... ग़ज़ल के रेशमी धागों में... यूँ मोती पिरोते हैं..🌹 ©꧁ARSHU꧂ارشد गुलाबों की तरह दिल.. अपना शबनम में भिगोतें हैं... मोहब्बत करने वाले.. ख़ूबसूरत लोग होते हैं.. किसी ने जिस तरह... अपने सितारों को सजाया है..
Deep bawara
तुम्हारी चूत के वलवले हो रहें है हम भी कितने सरफिरे हो रहें है चलो चल के करे चुदाई तुम्हारे चूत के द्वार खुल रहे है ©Deep bawara #Nojoto #YourQuoteAndMine #शेर #शायरी #गज़ल #ग़ज़ल
Deep bawara
तुम्हारी चूत पिघल रही है अब आह भी निकल रही है कब अब होती क्या अच्छे से ठुकाई योनि लंड निगल रही है अब ©Deep bawara #Nojoto #himanshibabra #shyari #गजल #gazal #ग़ज़ल
अदनासा-
HintsOfHeart.
"हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया" ( I needed my friends' help today; They were no friends, they turned away.) ©HintsOfHeart. #पं_हरिचंद_अख़्तर #जन्म_जयंती #उर्दू ग़ज़ल के प्रसिद्ध कवि और पत्रकार।
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं , बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये , लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं , इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं , तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं , ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी , फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं , उल्फते-ए-हयात एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे , जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मु