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Stories related to एकलव्य की गाथा

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Deepali Singh

व्यथा की गाथा

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व्यथा की गाथा
सुनाऊँ किसे कोई सुनता नहीं
इसलिए पन्नों पर उतार दिया
जब समझता ही नहीं कोई 
ख़ुद पर गुस्से में निकाल दिया
क्यों कहते हैं वो खुश रहा कर
बोला मैंने कभी वजह भी दिया कर
दिखाऊँ कैसे मैं किसी को
क्या हाल है अपने अंदर
मेरे उलझनों का टकराता बवंडर
और उनके नसीहतों का खोखला आडंबर
बर्दास्त नहीँ मुझे अब वो या तु रहम कर
और नहीं रहना मुझे यूँ सहम कर
नहीं पीना विवादों का घूँट-घूँट ज़हर
बहुत कर लिया मैंने सब्र
करना है तुझे कुछ सच में अगर
एक बार बस देख ले यहाँ आकर।

©Deepali Singh व्यथा की गाथा

Anuj

"सैनिक की गाथा " #कविता

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AK untold story

प्रेम की गाथा #Quotes

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Parasram Arora

# अनहोनियों की गाथा

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यादे  है  वे चरागाहै.. विशाल. वृक्षों  क़े. झुरमुट 
वो  नदी पर  अठखेलिया   करती  लहरों  क़े  जमघट 
वो गुलो की बस्तिया  तितलियों क़े  पनघट 
ताज़ा  ख़्वाबों  की  खुशबू. और  नज़ारो  का नूर 
चहचहआती   चांदनी  मे  नहाया हुआ  रतनारी  तारो  का  पूर
स्वछ आकाश  की नीलिमा  का नदी पर. पर  गिरता हुआ अक्स 
और उगते  आफताब  की पहली किरण  का विजयनाद 
क्षितिज  की. लक्ष्मण  रेखा का  उललंघन  करतावहुआ विहंग  दल 
खेत खलिहानो  मे बिछी  हुई  ये  समृद्ध  सुषमा  फ़सल 
ये सिर्फ  बीती हुई  अनहोनियों  की  गाथा है 
और अब मै  होनी की उदास  रंगीनियो   क़े  मजे  ले रहा हूँ # अनहोनियों की  गाथा

Pratishtha Tripathi

#कवि की गाथा #कविता

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दीपक एकलव्य

लेखक दीपक एकलव्य की कलम से

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सोचो !जो शब्द मैं अपनी,
किताब में लिखूंगा,
वो जिंदा रहेंगे,
या तुम्हारी आलोचना !
(दीपक एकलव्य) लेखक दीपक एकलव्य की कलम से

Prashant

एकलव्य 

द्रोण को अपना गुरु बनाया 
सीखने धनुर विद्या आया 
देख कर अपने प्रिय गुरु को 
मन ही मन बहुत हर्षाया 
लेकर शुभ आशीष गुरु का 
उसने अपना हुनर दिखाया 
जो भी था गुरु ने सिखलाया 
एकलव्य के बलिदान से ही तो 
आज अर्जुन अर्जुन बन पाया

©Prashant #एकलव्य

Ashutosh Bhardwaj

एकलव्य

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माना के अब एक अंश अधूरा है।
पर अब आत्मसम्मान पूरा है।।

बिना ड़रे - बिना छले, कर दिया त्याग।
द्रोण सोचते है बालक एकलव्य अभी भोला है।।




आशुतोष भारद्वाज




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© आशुतोष भारद्वाज एकलव्य

Santosh pawara

एकलव्य

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संतोष पावरा लिखित , 
      आदिवासी पावराबोली भाषा में कथा        
 ( इंद्रधनुष्य नी, एकलव्य धनुष्य ..!! )

      इंद्रधनुष्य नही,  एकलव्य धनुष्य...!

प्रकृति का शिष्य शौर्य वीर एकलव्य था 
जिसनें कुत्ते के मुह में सात बाण इस तरह की 
कौशलोंसे चलाया था ,  की कुत्ते को जरा सी भी 
खरोच  न आयी । और कुत्ते का मुह बंद हो गया । 
दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर एकलव्य ही है तो फिर,  
इस  सृष्टि के सात रंगों को इंद्रधनुष्य क्यो कहे ? 
शब्दो का फेर यह तो सबसे बढ़ा षडयंत्र है! 
 इसलिए इन सात रंगों को
 एकलव्य धनुष्य कहना उचित है । क्यौंकि 
 इंद्र का शस्त्र तो वज्र था न  ।पर 
 आदिवासी बच्चे का जन्म हुआ तो
 उसकी नाभी/ नाळा 
तीर से काटने की प्रथा है 
और किसी भी आदिवासी की 
मैयत पर उसकी चिता के साथ
 उसका धनुष्य  बाण  रखना अनिवार्य है 
उस, मरे आदमी के नाम से  हवा में बाण छोडे जातें है
 तब  विधी होती है यह आज भी हमारी  प्रथा है । एकलव्य

Sarvesh Abhimanyu (Radhe)

भारत की गौरव गाथा #न्यूज़

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