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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी मन में उठे मनन की होड़ भुजबल से झंडे सफलता के गाड़ दो सतत प्रवाह की बांध डोर पर्वत पहाड़ लाँघ दो यात्रा विजय की हर ओर हो जीवन अपने सुधार लो माना बारूद बिछी है जमाने मे हर ओर गूंज बमो की,दहशत फैलाती है कुछ आकाओ के दांव के कारण मानव जाति कराहती है बनो निर्भय धीर वीर, पताका नैतिकता की फहरानी है अंधेरो को चीरकर रोशनी सूर्य की हर दर पर फैलानी है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #travelogue पताका नैतिकता की फहरानी है #nojotohindi
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी इतिहासों का किया है दबाबो में लिखे जाते है जन जन में जो छाप छोड़ दे युगों तक बीरता के गीत गाये जाते है महान नायक महाराणा जी आज भी मिशाल के तौर पर भारत मे पेश किये जाते है जंगल मे भटके रोटी घास की खायी थी दुश्मन के आगे ना झुके सहास जोड़कर पुनः ध्वज पताका वीरता की फहरायी थी ऐसे वीर योद्धा की सौगंध खाकर रवानगी खून की युवाओं में मचल जाती है भारत के स्वाभिमान में उनकी वीरता चार चांद लगा जाती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #maharanapratap ध्वज पताका वीरता की फहरायी थी #nojotohindi
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी जीवन मे हो मर्यादा धुन बजे राम की राज धर्म पर कुर्बान हो जाये सत्ता सारे जहान की मंदिरों में कैद नही दिलो में जलती रहे मशाल अपने आराध्य राम की ले शपथ फिर से गूँजे भारत मे ध्वज पताका राम राज्य की प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Ramnavami गूँजे भारत मे फिर से ध्वज पताका राम राज्य की #nojotohindi
दर्शन ठाकुर
#Mr.India
Anil Ray
बढ़ती जिंदगी निर्झर सरिता-सी बह रही है देखता हूँ जिंदगी को मैं प्रतिदिन आँखों से संध्या-सी यह भी ढ़लती जाये शनै-शनै.. मैं देख रहा हूँ चलते हुए हाथों से लगाए अपने पेड़ से गिरती हुई पीली-पीली पत्तियों को शायद! उन सब में से एक हूँ मैं भी.. अचानक लौट आती है प्रज्ञा, और मैं मुस्कुराने लगता हूँ धीरे-धीरे अगले ही पल पीली पत्तियों को समेटकर डाल देता हूँ मैं सड़-गलकर उत्तम उर्वरक बनाने के लिए.. मैंने मेरे वर्तमान को सहेज लिया है आगामी भविष्य के लिए स्वजीवन हेतु फिर मुस्कुराऊंगा मैं खूबसूरत फूल बनकर फल बनकर सहेज लूँगा मैं नये-नये बीज को हाँ! मैं रहुंगा अनंत तक अमर अनिल बनकर.. ©Anil Ray 🌟🌟✨अब बदलने लगा हूँ✨🌟🌟 जलती थी शिकायत अनिल अनल-सी अब अपने ही ख्यालों में खोने लगा हूँ। देखें नही कोई आँखें मेरी अश्रुधारा को यही सोचकर मैं
Anil Ray
जिंदगी अकेला कहाँ अनिल......! तेरी इस आपाधापी दौड़ में........! मेरे स्वजनों की जरूरते-याद......! परछाईं-सी है सदा मेरे संग में....!! ©Anil Ray 🌺 रहे हम या नही रहे - पर यादें जिंदा रहे 🌺 यह जीवन-चक्र की आपाधापी न किसी से होड़ स्व-स्वजनों के भरणपोषण ही है मेरी भागदोड़। सपनों से अधिक
AJAY NAYAK
सज गए हैं एक एक करके सब घर द्वार लग गए हैं एक एक करके सब तोरण हार बस अब इन्तजार है संध्याकाल का जब लगनी है एक एक दीपों की बहार । बिखेरने को तैयार हैं रंगोलियां भी अपनी छटा अंदर गुंजियों ने भी महका दिया है घर पूरा। दर्जी के यहां आ गए हैं सबके नए नए कपड़े बिसाता से भी आ गया है सब पूजा सामान अब सब नए नए कपड़े पहन ऐसे चमक उठे जैसे कोई हारी बाजी लगी हो सूरज चंद्रमा से। बाजारों में भी है उमड़ पड़ी इतनी भीड़ जैसे, बस आज ही है सब कुछ खरीदना। छत पर लगी झील मील झील मील करके छोटी बड़ी रंगबिरंगी ब्लबे भी हैं चमक उठी दे रहीं हैं अंधेरे को भी एक कड़क संदेश ए तम तेरे लिए तो हम ही हैं बहुत काफी । फड़क उठा है मंदिरों का पताका बज उठा है हर मंदिर का घंटा देखो छोटे, बड़े फाटकों के शोर से गुंजायमान हो रहा है पूरा भारत लंका विजय प्राप्त कर आ रहे हैं हमारे सीताराम हर घर घर। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #diwalifestival सज गए हैं एक एक करके सब घर द्वार लग गए हैं एक एक करके सब तोरण हार बस अब इन्तजार है संध्याकाल का जब लगनी है एक एक दीपों की
AJAY NAYAK
सज गए हैं एक एक करके सब घर द्वार लग गए हैं एक एक करके सब तोरण हार बस अब इन्तजार है संध्याकाल का जब लगनी है एक एक दीपों की बहार । बिखेरने को तैयार हैं रंगोलियां भी अपनी छटा अंदर गुंजियों ने भी महका दिया है घर पूरा। दर्जी के यहां आ गए हैं सबके नए नए कपड़े बिसाता से भी आ गया है सब पूजा सामान अब सब नए नए कपड़े पहन ऐसे चमक उठे जैसे कोई हारी बाजी लगी हो सूरज चंद्रमा से। बाजारों में भी है उमड़ पड़ी इतनी भीड़ जैसे, बस आज ही है सब कुछ खरीदना। छत पर लगी झील मील झील मील करके छोटी बड़ी रंगबिरंगी ब्लबे भी हैं चमक उठी दे रहीं हैं अंधेरे को भी एक कड़क संदेश ए तम तेरे लिए तो हम ही हैं बहुत काफी । फड़क उठा है मंदिरों का पताका बज उठा है हर मंदिर का घंटा देखो छोटे, बड़े फाटकों के शोर से गुंजायमान हो रहा है पूरा भारत लंका विजय प्राप्त कर आ रहे हैं हमारे सीताराम हर घर घर। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #दीपावली सज गए हैं एक एक करके सब घर द्वार लग गए हैं एक एक करके सब तोरण हार बस अब इन्तजार है संध्याकाल का जब लगनी है एक एक दीपों की बहार ।