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Neha Swaika
कयामत सी रात गुजारी खुदगर्ज़ हुए ये दिन गीतों की सनसनाहट और घोर दुबिधाओ से घिरा ये दिल क, ख, ग,घ।
Raghu✍️
हिंदी की कहानी भाषा की सबसे छोटी लिखित इकाई 👉वर्ण सबसे छोटी मौखिक इकाई 👉ध्वनि सार्थक इकाई👉वाक्य 👉स्वर=11 👉अयोग्यवाह=2👉व्यंजन=33👉 अंतस्थ व्यंजन=4 👉 ऊष्म व्यंजन=4👉 अतिरिक्त व्यंजन=2 संयुक्त व्यंजन=4 शब्द फारसी भाषा का है,, लिपि देवनागरी है,,, राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त है,, 👉 काल (आदिकाल,भक्तिकाल, रीतिकाल और आधुनिक काल है) 👉हिंदी भाषा का विकास(वैदिक संस्कृत- लौकिक संस्कृत- पालि- प्राकृत-अपभ्रंश- अवहट्ट- पुरानी हिंदी- नई हिंदी) कई चरणों में हुआ। 👉हिंदी व्याकरण पठन के चार चरण (वर्ण,पद,पदक्रम और वाक्य) है। 👉 हिंदी साहित्य की तीन विधाएं हैं,,,👉 गद्य पद्य और चंपू। गद्य में (नाटक,उपन्यास,संस्मरण,जीवनी, आत्मकथा, रिपोर्ताज) आते हैं। पद्य में (कविताएं आती है) चंपू (गद्य+पद्य) दोनों का मिश्रण है,, ✍️रघु ✍️ मातृ भाषा मां जैसी होती है,,, हिंदी दिवस की शुभकामनाएं सबको,,,, क,ख,ग,घ #HindiDiwas2020 #हिंदी Roy Megha.....♥♥ Ruhi.. Secret Dance Star 🌟
Sheela Gahlawat seerat
ज्ञान से ज्ञान मीला गुरु से ज्ञान मिला क, ख, ग, घ, ड य, र, ल, व.. जोड़ कर बनाने हमको सिखाया, लिखवाया सुलेख पढ़ लिख कर हम बड़े बने, भरपूर मिला ज्ञान. गुरु शिष्य का सुंदर, प्यार मेल है, देते भरपूर ज्ञान पहली गुरु मेरी माँ बनी, जिसने मुझे जन्म दूसरा गुरु पिता बना, देते हर पल मुझकों साथ.. ... ... ज्ञान से ज्ञान मिला गुरु से ज्ञान मिला सीरत ©Sheela Gahlawat seerat ज्ञान से ज्ञान मीला गुरु से ज्ञान मिला क, ख, ग, घ, ड य, र, ल, व.. जोड़ कर बनाने हमको सिखाया, लिखवाया सुलेख पढ़ लिख कर हम बड़े बने, भरपूर म
ujjwal pratap singh
क्या पता हम कहाँ जाए खामोश रहकर इधर उधर जाए गम,तन्हाई और बैचैनी सब एक मन का वहम है घर,परिवार और उनका प्यार जीवन का नाम है चलना, दौड़ना,गिरना और उठना सब सीख है धोखा,चोरी,झूठ और अपसब्द सब चीख है उधार,कर्ज़,माफी और बेरोज़गारी सब भीख है नाम,सोहरत,कमाई और मुनाफा सब लाख है।। नमस्ते लेखकों❤ तैयार हो हमारी "काव्योगिता" के पहले चरण के लिए?! हमारा पहला पड़ाव एक अनुक्रमिक कविता है। इस कविता का प्रारूप (format ) क
Anamika Nautiyal
कुछ अधूरे सपनों का बोझ उठाए जा रही हूँ, ख़ामोश हूँ पर हज़ारों कहानियाँ कहे जा रही हूँ। गुमनाम से किसी डरावने साए की तरह, घनघोर बियाबान में धीरे-धीरे सिमटे जा रही हूँ। तमाशबीन और दर्शक है लोग यहाँ के, थोड़ा सा मैं भी तमाशा किए जा रही हूँ । दाम लगता है आँसुओं का इस जहाँ में, धूल से बनी "अनाम" अब धूल होती जा रही हूँ। नमस्ते लेखकों❤ तैयार हो हमारी "काव्योगिता" के पहले चरण के लिए?! हमारा पहला पड़ाव एक अनुक्रमिक कविता है। इस कविता का प्रारूप (format ) क
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
🌷'प' वर्ग और 'क' वर्ग🌷 प - पहुँच कर ईश्वर के दरबार में, अपने सर को झुका, फ- फल की इच्छा त्याग कर, अपने कर्म तू करता जा। ब- बंदिशें ना होंगी तुझ पर, अपने कर्म को पूजा मान, भ- भलाई का फल होगा सुखद, तू भला करता जा। म- मत सोच की तुमने जो किया, वो अच्छा है या बुरा, क- किसी के भरोसे ना छोड़, कोई भी काम को अधूरा। ख- खोना मत अपना अस्तित्व, इस दुनिया के भीड़ में, ग- ग़म ना कर तुम्हें ख़ुशी मिलेगी, कार्य भी होगा पूरा। काव्य-ॲंजुरी✍️ के विशिष्ट लेखन में आपका स्वागत है। कृपया ध्यान से पढ़ें आज हम "व्यंजन - व्याख्या" करेंगे। हिंदी वर्णमाला स्वर एवं व्यंजन
Writer1
प्रयुक्त वर्ग प एवं क वर्ग प्रकृति पर यौवन लाया, देखो बसंत बहार लाया, फल खिले डाल पे खुशी से बनसपती लहराया, बहते रहो जीवन पथ पर, जिंदगी के बहाव पे, भंवरा इतरा रहा, फ़क़त फूलों का पराग पाने पे। कंटक वाणी ना बोलो, हृदय पर ना घात करो, खारज़ार ना हो ख्याबां, हमेशा, प्यार करो, गमगीन जहाँ में, नफरतों मिटा,जीवन गुलज़ार करो, घायल है हर कोई यहां, तुम प्यार की मरहम करो। काव्य-ॲंजुरी✍️ के विशिष्ट लेखन में आपका स्वागत है। कृपया ध्यान से पढ़ें आज हम "व्यंजन - व्याख्या" करेंगे। हिंदी वर्णमाला स्वर एवं व्यंजन
DR. SANJU TRIPATHI
पल - पल बीत रही जिंदगी के दामन को, चलो खुशियों से भरते हैं। फल की चिंता को छोड़कर, चलो हम सब बस अपने कर्म करते हैं। बीती बातों को भूल कर सब, चलो मिलकर एक नई शुरुआत करते हैं। भीगी हों पलकें फिर भी दूसरों पर, चलो खुशियों की बरसात करते हैं। मंजिल मिलेगी एक ना एक दिन, चलो मुश्किलों से दो-दो हाथ करते हैं। कब तक रूठी रहेगी यूँ जिंदगी हमसे, चलो मनाने की कोशिश करते हैं। खत्म करके सारी रंजिशें आपस की, चलो प्यार से मुलाकात करते हैं। गमों को भुलाकर सारे चलो खुशियों को ढूंँढने की एक कोशिश करते हैं। काव्य-ॲंजुरी✍️ के विशिष्ट लेखन में आपका स्वागत है। कृपया ध्यान से पढ़ें आज हम "व्यंजन - व्याख्या" करेंगे। हिंदी वर्णमाला स्वर एवं व्यंजन
Mohit Mudita Dwivedi
Prerit Modi सफ़र
【"पवर्ग "... प फ ब भ म और "कवर्ग "... क ख ग】 पानी सा बह रहा हूँ अपना रास्ता बना रहा हूँ मैं फ़ानी इस दुनिया में खुद को तलाश रहा हूँ मैं बेताब दिल की धड़कन को कोई तो सुने मेरी भड़कती आग में शो'ला सा जल रहा हूँ मैं मृगतृष्णा है ये जीवन कोई समझता क्यों नहीं कोरे कागज़ में स्याही सा फैल रहा हूँ मैं ख़ानाबदोश है 'सफ़र' कभी है यहाँ कभी है वहाँ गुज़िश्ता पलों से ज़िन्दगी को चुरा रहा हूँ मैं काव्य-ॲंजुरी✍️ के विशिष्ट लेखन में आपका स्वागत है। कृपया ध्यान से पढ़ें आज हम "व्यंजन - व्याख्या" करेंगे। हिंदी वर्णमाला स्वर एवं व्यंजन