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Vickram

मेरे हिस्से न मालूम क्या आएगा,, #शायरी

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Ali Alvi "Alfaaz"

फ़ैसला लिख खा हुआ रख खा हुआ पहले से ख़िलाफ़ आप क्या ख़ाक़ अदालत में सफाई देंगे... ~न मालूम

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फ़ैसला लिख खा हुआ रख खा हुआ पहले से ख़िलाफ़
आप क्या ख़ाक़ अदालत में सफाई देंगे...

~न मालूम फ़ैसला लिख खा हुआ रख खा हुआ पहले से ख़िलाफ़
आप क्या ख़ाक़ अदालत में सफाई देंगे...

~न मालूम

BEENA TANTI

"न मालूम ग़र्द शिशे पे जमी है या हमारी निगाहों पे जो अब आईना भी हमारे हर अक्स को धुँधला दिखाता है।" #Shayari #nojotophoto

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 "न मालूम ग़र्द शिशे पे जमी है या हमारी निगाहों पे जो अब आईना भी हमारे हर अक्स को धुँधला दिखाता है।"

Anamika

#कैंची #रिश्तेदार #धागे #दिलकेरिश्ते #yqdeepthoughts दिया अधिकार,करा ऐतवार उसने खून के रिश्तों पर, पर उसको न मालूम था ,पीठ पीछे अपने ही घ #TulikaGarg

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      बरसों बरस से बड़े जतन से
        प्रेम के  रेशमी धागों से 
       सींचे थे मैंने दिल के रिश्ते..
       उन्होंने जुबान में कटाक्ष भरकर, 
   कैंची चलाकर
          रिश्तों की धज्जियां ही उड़ा दी....
         #कैंची #रिश्तेदार #धागे 
#दिलकेरिश्ते #yqdeepthoughts 
 दिया अधिकार,करा ऐतवार उसने खून के रिश्तों पर, पर उसको न मालूम था ,पीठ पीछे अपने ही घ

rupesh sharma

दिल के पन्नों पे एहसासों के कलमों से लिखी , हर अक्षर की छाप जीवंत रखता हूँ, न मालूम हो तुम्हे, तुझे याद रखने को तेरे दिए ज़ख्म को कुरेद कर हर #Shayari

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दिल के पन्नों पे एहसासों के कलमों से लिखी ,
हर अक्षर की छाप जीवंत रखता हूँ,
न मालूम हो तुम्हे,
तुझे याद रखने को ,
तेरे दिए ज़ख्म को कुरेद हरा रखता हूँ। दिल के पन्नों पे एहसासों के कलमों से लिखी ,
हर अक्षर की छाप जीवंत रखता हूँ,
न मालूम हो तुम्हे,
तुझे याद रखने को तेरे दिए ज़ख्म को कुरेद कर हर

ख़ाकसार

हम तेरी चाह में, ऐ यार! वहाँ तक पहुँचे, होश ये भी न जहाँ है कि कहाँ तक पहुँचे। इतना मालूम है, ख़ामोश है सारी महफ़िल, पर न मालूम, ये ख़ामो #Poetry

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हम तेरी चाह में, ऐ यार! 
वहाँ तक पहुँचे,
होश ये भी न जहाँ है कि 
कहाँ तक पहुँचे।
इतना मालूम है, ख़ामोश है 
सारी महफ़िल,
पर न मालूम, ये ख़ामोशी 
कहाँ तक पहुँचे॥ हम तेरी चाह में, ऐ यार! 
वहाँ तक पहुँचे,
होश ये भी न जहाँ है कि 
कहाँ तक पहुँचे।
इतना मालूम है, ख़ामोश है 
सारी महफ़िल,
पर न मालूम, ये ख़ामो

Deepak kumar gupta

Baaj

थोड़ा भटक गया हूँ अनजान रास्ते पर, एक तो अनजाने का अंदाज़ा था मगर। सही पड़ाव न मालूम हो किसी को चाहे, एक ही दिशा में हाथ का इशारा था मगर। दौड़ ल #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #collaborating #बाज #रुकनानहींथा

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                            यूँ बीच रास्ते,
साँसों के जैसे ऐसे थम जाना नहीं था,
खरी सुना जाता है हर कोई गुज़रता,
उनकी बातों से हौंसला हारा नहीं मैं।
टूट गया फिर सपना, आयी न नींद कबसे,
उनसे दूर हैं लेकिन यूँ पराया माना नहीं था,
उसको साथ न था मंज़ूर, अब मैं क्या करता,
अपनाने लगे हो जिसे अभी तुम्हारा नहीं है।
सलामत रहो जहाँ भी, दुआ यही है रब से,
हैसियत से ऊपर को यूँ चाहना नहीं था,
पलकों की बजाय ऐसे श्मशान में न लेटते,
देखें तो यहाँ चार कंधों का सहारा नहीं है। - बाज थोड़ा भटक गया हूँ अनजान रास्ते पर,
एक तो अनजाने का अंदाज़ा था मगर।
सही पड़ाव न मालूम हो किसी को चाहे,
एक ही दिशा में हाथ का इशारा था मगर।
दौड़ ल

Vedantika

प्रविष्टि-१ . मुंतशिर हर साँस तन्हाई के आलम में आज भी इंतज़ार करती है धड़कनों का न मालूम मुझे ही अपने दर्द की वजह न इलाज मिल रहा आँखों के अश्

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मुंतशिर हर साँस तन्हाई के आलम में
आज भी इंतज़ार करती है धड़कनों का

न मालूम मुझे ही अपने दर्द की वजह
न इलाज मिल रहा आँखों के अश्क़ का

नाम भी पूछती हूँ पहचान पूछती हूँ मैं
ढूँढती हूँ कतरा-कतरा अपने वजूद का

बे-असर हर दुआ हर सजदा बेमानी हैं
न मिला मुझे पैग़ाम अब तक मेरे खुदा का

नहीं जानती अंज़ाम मैं इस ज़िंदगी का 
मिट जाए फासला अब हर ख़ुशी का प्रविष्टि-१
.
मुंतशिर हर साँस तन्हाई के आलम में
आज भी इंतज़ार करती है धड़कनों का

न मालूम मुझे ही अपने दर्द की वजह
न इलाज मिल रहा आँखों के अश्

Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर #Life

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आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका 
सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी

त्याग देगा तन भर जायेगा मन, इस तन से 
मन चंचल पर अज़र है बस निर्भर है कर्मों पर 

कर्म होंगें जैसे मन जन्म भी तन का पायेगा वैसे 
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

हिसाब किताब यहाँ पैसों से होता जैसे 
वहाँ कर्मों से गणित मन का होता 

पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से
मन को भी न मालूम होता.....

वर्ना छोड़ता न कभी इस तेरे तन को...

©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका 
सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी

त्याग देगा तन भर
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