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Chand Kalakamb
का गुंतवले रे मला तुझ्यात छान रमले होते मी माझ्या विश्वात आदि बोलायला शब्दांचा खजिना होता आता शब्दच अपूरे पडतात तुझे काही दिवसातच तुझ्या अवती भवती फिरू लागला माझा वेळ काय मिळाले तुला जीवाला लाऊन माझ्या घोर @चांद ©Chand Kalakamb मन माझे गुंतले ❤
Imran Shekhani (Yours Buddy)
Author Rupesh Singh
Manya Parmar
Imran Shekhani (Yours Buddy)
भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु
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***ज्ञान*** ज्ञान के स्वरूप के कितने रुप व कारण है ? सबसे पवित्र ज्ञान क्या है ? (जानिए) समस्त पृथ्वी पर समस्त परमत्तव अंशों समस्त ज्ञान का रुप नाशवान और जड़वर्ग का ज्ञान का इतिहास प्रकृति के स्वरूप में समाया हुआ है उनमें प्रमुख प्रकृति के ही 28 गुण है । समस्त देव और मनुष्य के तो केवल (सत,रज,तम) तीन गुणों को अपनाकर भी अपना उद्धार नहीं कर सकते हैं । जब तक प्रकृति के प्रथम गुण निस्वार्थ भाव को नहीं अपनाएगें पुर्ण ज्ञान के स्वरूप में प्रकृति के 28गुण हद्रय 4वेद(4वाल) और अपने ह्रदय में जन्म से ही मिलता है। और दो उपहार रुपी घड़े भरे हुए विरासत रुप में भी मिलते हैं। 1.एक विष रुपी ज्ञान 2.एक अमृत रुपी ज्ञान जन्म से ही हर धर्म के इन्सान को मिलता है यहां अपने हृदय में। यह उपहार भगवान व प्रकृति का आपको भेंट रुप मिला हुआ है । एक विष रुपी घड़े को लुटाते -लुटाते आपकी जिन्दगी गुजर जाती है । हे परमत्तव अंश इस संसार में केवल करोड़ों में । एक ही इन्सान ह्रदय में से विष रुपी घड़ा ही खत्म कर पाता है। ऐसा प्रकृति पर दृढ़ विश्वास से लिखता हूं । उसके बाद दुसरे घड़े का अमृत सागर रुपी ज्ञान से उत्पन्न । ज्ञान ही इस धरा का सबसे पवित्र ज्ञान भी कहा जाता है । अमृतसागर की गहराई से निकला ही अमृत सागर रुपी । ज्ञान ही ज्ञान के स्वरूप में समा जाता है। जैसे की-श्री गीता जी का उद्गम इसी का एक सबसे बड़ा उदाहरण है। हमारी प्रकृति का इस ब्रह्माण्ड में। यही ज्ञान आपके ह्रदय में आज भी जीवित है। हे परमत्तव अंश ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #viral #treanding #Flower Create By Heart Alka Pandey Miss khan teachershailesh Anshu writer आजयपाल बरगी कमल कांत S
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