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Devesh Dixit
अपराधों की श्रृंखला (दोहे) अपराधों की श्रृंखला, का फिर से विस्तार। जगह-जगह से मिल रही, खबर देख हर बार।। कई तरह के जुर्म हैं, जिसको दें अंजाम। बिना डरे ही ये करें, दहशत वाले काम।। जीना ही दुश्वार है, शैतानों के बीच। कर्म करें ये कौन सा, जाने कैसे नीच।। अपराधों से है भरा, देख आज अखबार। कितनों की गिनती करें, छोड़ें भी हर बार।। प्रेम जाल में जो फंँसी, हो श्रृद्धा सा हाल। अपराधों में यह जुड़ा, हुआ देख विकराल।। सख्त हुआ कानून है, फैंका ऐसा जाल। मुजरिम को फिर है धरा, खींची उसकी खाल।। न्याय मिले जब देर से, परिजन हैं लाचार। अपराधी हैं घूमते, पीड़ित करें गुहार।। न्याय प्रणाली चुस्त हो, अपराधी भयभीत। जुर्म मिटे तब हों सुखी, तभी मिले फिर जीत।। ............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #अपराधों_की_श्रृंखला #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अपराधों की श्रृंखला (दोहे) अपराधों की श्रृंखला, का फिर से विस्तार। जगह-जगह से
Anil Ray
समस्त पहचान का अस्थायी अस्तित्व नाम-रूप तक भी माता-पिता द्वारा पाया.. क्या था मुझमें मेरा कुछ भी नही यार तुझसे मिलन में मेरा 'मैं' भी जैसे खो गया.. पूछना खुदा से मेरी 'तड़फ' को तुम क्यों कोई मुझसे मिलकर भी जुदा हो गया.. बनाकर परी पर कतरे गये बंदिशों में चारों ओर दीवारों से मर्यादा महल हो गया.. पाक इबादत इश्क़ में खुदा समझा था और देखो अब वो खुदा भी पत्थर हो गया.. अनिल अनल जलाती है मेरी रूह तक क्यों जिस्म -टुकड़ों का समाज भिन्न हो गया.? ©Anil Ray विचारार्थ लेखन.................✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 विवाह एक नापाक गठबंधन है चाहे इसे जो नाम दे कोई ? इसका जन्म नेकनीयत की भावना से नहीं बल्कि सुरक्ष
Ravendra
Ravendra
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} तेज पत्ता विटामिन ए, विटामिन बी6 और विटामिन सी का अच्छा स्रोत है। ये सभी विटामिन स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करने के लिए जाने जाते हैं। पाचन सहायता. तेज पत्ते की चाय पेट की खराबी से राहत दिलाने में मदद कर सकती है। ©N S Yadav GoldMine #navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} तेज पत्ता विटामिन ए, विटामिन बी6 और विटामिन सी का अच्छा स्रोत है। ये सभी विटामिन स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रण
Mili Saha
// नई पीढ़ी का विकास हमारा कर्तव्य // बहुत विश्वास और उम्मीद के साथ कुदरत देती है, हाथ हमारे हाथों में, नई पीढ़ी के पूर्ण विकास का, नई पीढ़ी को सही मार्ग दिखाना, है ये हमारा कर्तव्य, मान रखना है हमें सदैव, कुदरत के इस विश्वास का, बाल रूप होता है अबोध, निर्दोष सब सरल लगे जिसे, हमें ही तो बोध कराना है उन्हें,नैतिकता के एहसास का, पूर्वजों के आदर्शों, संस्कारों को नई पीढ़ी बोझ ना समझें, इसलिए पल-पल महत्व समझाना है हमें इनके उजास का शिक्षा के माध्यम से नई पीढ़ी को सिखा सकते हैं जीने की कला, बस आवश्यकता है हमारी शिक्षा प्रणाली में एक नए बदलाव का, शिक्षा का अर्थ केवल किताबों से कुछ ज्ञान प्राप्त कर लेना नहीं है, शिक्षा को साधन बना सकते हैं हम संस्कृति,संस्कारों से जुड़ाव का, शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें पूर्वजों की गाथा से जोड़े रखना है, समाज, देश के लिए हमें आगाज़ करना होगा एक सार्थक प्रयास का, भविष्य की आशा है नई पीढ़ी, इन्हें बचाना, संजोना है हमारा कर्तव्य, समझाना है उन्हें ये चकाचौंध तो बस है पिंजरा, अंधकार के ग्रास का, जीवन में एक नींव का कार्य करते हैं बाल्यकाल में दिए गए संस्कार, समय रहते निर्माण करना होगा हमें चरित्र और सर्वांगीण विकास का, अक्सर कई वजह से नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी को स्वीकार नहीं कर पाती, आपसी तालमेल से ही अंत हो पाएगा पीढ़ियों में अंतर के, इस द्वंद का, पुरानी पीढ़ियों को भी बदलते परिवेश की चुनौतियों को समझना होगा, तभी तो एक सुगम मार्ग प्रशस्त हो पाएगा, इस नई पीढ़ी के विकास का, कभी जिद कभी नादानियों का वहन कर उन्हें समझना, समझाना होगा, ताकि आधुनिकता की होड़ में भी, महत्व समझें संस्कारों के प्रभाव का। ©Mili Saha बहुत विश्वास और उम्मीद के साथ कुदरत देती है, हाथ हमारे हाथों में, नई पीढ़ी के पूर्ण विकास का, नई पीढ़ी को सही मार्ग दिखाना, है ये हमारा कर्
GRHC~TECH~TRICKS
प्रथम श्रवण विधा की 9 अवधारणाएं ******************************** 1.केवल श्रवण विधा से ही एक अधर्म को धर्म रूप मानना का मुल कारण है वर्तमान काल के आधुनिक युग में समस्त पृथ्वी पर । 2.एक श्रवण विधा से अपुर्ण ज्ञान को पुर्ण ज्ञान द्वारा से न जानना का मुल कारण भी है। 3. स्पष्टता से श्रवण विधा की सात कलाऔ से अवलोकन नहीं करना उनका घोर अंधकार को । अज्ञान रूप से इसे पुर्ण प्रकाश रूप में समझना का मुल कारण है । 4.पाखण्ड रूपी तुच्छ अनुभूति को वास्तविक रूप में न समझना एक अधर्मी रुपी अवधारणाएं पैदा करती रहती है निरंतर। 5.अपने आपको शैतान जानना और दुसरे को श्रेष्ठता से समझते चलना खुद के विश्वास अनुभव को खत्म करके एक चलन से पुर्ण अन्धविश्वास में बदलने का मुल कारण एक पुर्ण भ्रम की जड़ ही है। हर पल पुरुषार्थ शक्ति और नारी शक्ति आज़ अपने हृदय में समस्त पृथ्वी पर। 6. आपके पुरुषार्थ शक्ति/नारी शक्ति के सम्पुर्ण शरीर में ही समस्त ब्रह्माण्ड का ज्ञान आन्तरिक पृवति में अच्छी तरह संजोए रखा है । इस युग में आपका ज्ञान ही समस्त पृथ्वी पर भौतिक जीवन में बाहरी पृवति खोजने से तुच्छ साहस से खोजते जा रहे है। निरंतर दिन-प्रतिदिन। 7.अपने अनुभव को खत्म करके औरौ की संस्कृति और प्रकृति से अनुभव प्रस्तुत कर रहा है /रहे है अपने ग्रहस्थजीवन काल में। इसलिए स्वयं का शत्रु खुद हो रहे है निरंतर अभ्यास के तुच्छ ज्ञान से। 8. माता और पिता को केवल जन्मदाता मानकर धीरे- धीरे संस्कार रूपी पवित्र मोक्षदायिनी मार्ग को त्यागकर जाने से। अपने तुच्छ गुरुऔ के पाखण्ड को अपनाकर अधोगति मार्ग को स्वयं खोजकर ला रहे है अपने ग्रहस्थजीवन काल मैं। 9. स्वय ही अपना उद्धार कर सकते है तुम सभी , यही उद्धार आपके माता-पिता, पितृऋण से मुक्त कर देगा। आपकों एक दिन अन्धकार रूप संसार वृक्ष से इस पथ पर भटकने से रुप एक अवधारणाएं पैदा करना है यही भुल आपकी अधोगति का रुप है। यह मेरी वाणी श्री गीता जी गुप्त रहस्य भाव है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #tereliye प्रथम श्रवण विधा की 9 अवधारणाएं ******************************** 1.केवल श्रवण विधा से ही
KP EDUCATION HD
KP TECHNOLOGY HD video editing apps for Android mobile tips ©KP STUDY HD एक से पांच अगस्त तक अभ्यर्थियों के आवेदनों की जांच के बाद सीट अप्रूव कर दी जाएगी। 6 अगस्त तक अभ्यर्थी शुल्क जमा करा सकते हैं। डीयू ने कहा है
Ravendra