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yogesh atmaram ambawale
तर असे घडलेच नसते तालतंत्र जर व्यवस्थित असते..(पहिली) तिला काहीच कळत नाही तीळ मात्र ह्यात शंका नाही...(दुसरी) तुला कसे समजत नाही तूप खाल्ल्या खाल्ल्या रूप येत नाही...(पहिली) ते जसे असेल तसे राहू दे तैलचित्रासारखे दिसत आहे जे...(दुसरी) तो तयार झाला तर ठीक,नाहीतर तौबा करत मागे गेला तरी ठीक..(पहिली) चारोळी ऐवजी कविता लिहा व संपन्न झाल्याचे लिहायला विसरू नका 🙏🙏 #बाराखडीव्यंजनकोट #आजचे_अक्षर_त #मराठीकोट्स #collab #yqkavyanand 20 ऑगस्ट ला
Prerana Jalgaonkar
मनातल्या रेसिपीज (लेख👇) रविवार म्हणजे सुट्टीचा दिवस.माझ्या हातात टीव्ही चा रिमोट कंट्रोल आला.काय पहायचं हा मोठा प्रश्न.न्यूज चॅनल्स पाहिल्यावर काही काळाने नेगेटीव्ह
Prerana Jalgaonkar
मनातल्या रेसिपीज (लेख👇) रविवार म्हणजे सुट्टीचा दिवस.माझ्या हातात टीव्ही चा रिमोट कंट्रोल आला.काय पहायचं हा मोठा प्रश्न.न्यूज चॅनल्स पाहिल्यावर काही काळाने नेगेटीव्ह
sandy
अजय व निता च्या घरात आज सकाळी पासुन खूप धामधूम चालली होती. शुभेच्छा देण्यासाठी कितीतरी कितीतरी काॅल येत होते. आज गावीही तीचा भव्य सत्कार ठेव
sandy
दिवाळीच्या पंधरा दिवस आधी घराघरात खमंग वास सुटायचे एकमेकांच्या मदतीला सगळेच धावायचे लाडू चिवडा चकली करंज्या कडबोळी,शेव भलतीच मज्ज्या आक
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} अग्निदेव कहते हैं :- अब में बुद्ध अवतार का वर्णन करूंगा ,जो पड़ने और सुनाने वाले के मनोरथ को सिद्ध करने वाला है । पूर्वकाल मे देवता और असुरो मे घोर संग्राम हुआ । उसमे देत्यों ने देवताओ को परास्त कर दिया । तब देवता त्राहि-त्राहि पुकारते हुये भगवान की शरण मे गए । भगवान माया-मोह रूप मे आकार राजा शुद्धोधन के पुत्र हुये । उन्होने देत्यों को मोहित किया और उनसे वेदिक धर्म का परित्याग करा दिया । वे बुद्ध के अनुयाई देत्य " बोद्ध " कहलाए । फिर उन्होने दूसरे लोगों से वेद-धर्म का परित्याग करा दिया ।इसके बाद माया-मोह ही ' आर्हत ' रूप से प्रगत हुआ । उसने दूसरों को भी ' आर्हत ' बनाया । इस प्रकार उनके अनुयायी वेद-धर्म से वंचित होकर पाखंडी बन गए । उन्होने नर्क मे ले जाने वाले कर्म करना आरंभ कर दिया । वे सब-के-सब कलियुग के अंत मे वर्ण संकर होंगे और नीच पुरुषों से दान लेंगे । इतना ही नही , वे लोग डाकू और दुराचारी भी होंगे । वाजसनेय ( वृहदारण्यक ) -मात्र ही वेद कहलाएगा । वेद की दस पाँच शाखे ही प्रमाणभूत मानी जाएंगी । धर्म का चोला पहने हुये सब लोग अधर्म मे ही रुची रखने वाले होंगे । राजारूपधारी मलेच्छ ( मुसालेबीमान और इसाया ) मनुष्यो का ही भक्षण करेंगे । तदन्तर भगवान कल्कि प्रगट होंगे । वे श्री विष्णुयशा के पुत्र रूप मे अवतीर्ण हों याज्ञवलक्य को अपना पुरोहित बनाएँगे । उन्हे अस्त्र-शस्त्र विदध्या का पूर्ण ज्ञान होगा । वे हाथ मे अस्त्र लेकर मलेच्च्योन का संहार ( मुसालेबीमान और इसाया ) कर देंगे । तथा चरो वर्णो और समस्त आश्रमो मे शास्त्रीय मर्यादा साथपित करेंगे । समस्त प्रजा को धर्म के उत्तम मार्ग मे लगाएंगे । इसके बाद श्री हरी कल्कि तूप का परित्याग करके अपने धाम चले जाएंगे । फिर तो पूर्ववत सतयुग का साम्राज्य होगा । साधुश्रेष्ठ ! सभी वर्ण और आश्रम के लोग अपने-अपने धर्म मे दृद्तापूर्वक लग जाएंगे । इस प्रकार सम्पूर्ण कल्पो और मन्वंतरों मे श्री हरी के अवतार होते हैं । उनमे स ए कुछ हो चुके हैं और कुछ आगे होने वाले हैं । उन सबकी कोई नियत संख्या नही है । जो मनुष्य श्री विष्णु के अंशावतार तथा पूर्ण अवतार सहित दस अवतारों के चरित्र का पाठ अथवा श्रवण करता है , वह सम्पूर्ण कामनाओ को प्राप्त कर लेता है । तथा निर्मल हृदय होकर परिवार सहित स्वर्ग को जाता है । इस प्रकार अवतार लेकर श्री हरी धर्म की व्यवस्था का निराकरण करते हैं । वे ही जगे की श्रष्टी आदी के कारण हैं । ।। ८ इस प्रकार आदी आग्नेय महापुराण मे ' बुद्ध तथा कल्कि -इन दो अवतारो का वर्णन नामक सोलहवा अध्याय समाप्त हुआ ।। १६ । । ©N S Yadav GoldMine #Missing {Bolo Ji Radhey Radhey} अग्निदेव कहते हैं :- अब में बुद्ध अवतार का वर्णन करूंगा ,जो पड़ने और सुनाने वाले के मनोरथ को सिद्ध करने वाल
sandy
*कारभारीण* भल्या पहाटेच उठली ती. शेजारी तो शांत झोपलेला. चेहऱ्यावर तेच खुळावणारं हसू. जगाच्या काळज्या वाहूनही हा इतकं निरागस कसं काय हसू शक