Find the Latest Status about अभिमंत्रित from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, अभिमंत्रित.
Arjun Verma
Mukesh Bansode
शाबर मंत्र सिद्धी गुरूजी
नमस्कार मैं आपको काले धतूरे का प्रयोग बताता हूं अगर आपको काला धतूरा का पौधा कहां से प्राप्त हो जाए तो काले धतूरे के पौधे के साथ काली तुलसी ज
Shree
मूंदी पलकों में आपका अक्स, अधरों पर उभरी मुस्कान है... पल्लू बन कर लिपटी तन से, पूर्णतया अवलोकित सम्मान है! सुकून से लटें जो ठहरीं बंधी, कानों के पीछे कुछ गाती हैं, लाल चुड़ियों में खनकता... स्नेह निवेदन का प्रस्ताव है! रौनक सी बिखर लौटती रौशनी.. गई उजागर करने पथ आपके, हवा छू कर छेड़ती निकलती... अभिमंत्रित करती एक नाम है! दोनों भौहों के बीच केंद्रित, और थोड़ा अधरों पर बिखरी शान है! ये नैन-नक्श़, ये भाव-भंगिमा, उफ्फ़.. ठंडक बरसाता ख़्वाब है! मूंदी पलकों में आपका अक्स, अधरों पर उभरी मुस्कान है... पल्लू बन कर लिपटी तन से, पूर्णतया अवलोकित सम्मान है! सुकून से लटें जो ठहरीं बंध
N S Yadav GoldMine
देवासुर संग्राम में शुची का देवराज इंद्र को रक्षासूत्र बांधना आइये जानते हैं, इंद्र व इंद्राणी की रक्षाबंधन से जुड़ी कथा !! 🔱🔱 देवासुर संग्राम में शुची का रक्षासूत्र बांधना :- 💮 रक्षाबंधन से जुड़ी हुई कई प्राचीन कथाएं प्रचलित हैं, किंतु आज मैं आपको उस कथा के बारे में बताऊंगा जब रक्षाबंधन पर्व को बनाने की शुरुआत हुई थी। यह कथा हैं, देवराज इंद्र का अपनी पत्नी शुची/ इंद्राणी के द्वारा रक्षा सूत्र बंधवाना। जी हां, सही सुना आपने आजकल यह पर्व मुख्यतया भाई व बहन के बीच सिमट कर रह गया हैं, किंतु जब इसकी शुरुआत हुई थी, तब इसे केवल भाई-बहन का नही बल्कि अपने परिचित की रक्षा हेतु राखी बांधने से होता था। आइये जानते हैं, इंद्र व इंद्राणी की रक्षा बंधन से जुड़ी कथा. {Bolo Ji Radhey Radhey} देवराज इंद्र की रक्षाबंधन से जुड़ी कथा :- 💮 एक बार देवासुर संग्राम हो रहा था जिसमें असुर देवताओं पर भारी पड़ रहे थे। उस भयानक युद्ध में देवराज इंद्र तथा उनकी शक्ति क्षीण पड़ती जा रही थी जिससे वे विचलित हो गए थे। कुछ उपाय न सूझता देखकर वे अपने गुरु महर्षि बृहस्पति से सहायता मांगने के लिए गए। 💮 उसी युद्ध में महर्षि दधिची ने अपने हड्डियों का दान किया था जिससे इंद्र को वज्र की प्राप्ति हुई थी। इसके पश्चात इंद्र अपने गुरु बृहस्पति से आशीर्वाद लेने गए। तब इंद्र की व्यथा उनकी पत्नी इंद्राणी भी सुन रही थी। बृहस्पति ने इंद्र की रक्षा तथा युद्ध में उनकी विजय के लिए देवराज इंद्र की पत्नी इंद्राणी को आदेश दिया कि वह एक रक्षा सूत्र ले तथा उसे मंत्र से अभिमंत्रित करके इंद्र के हाथों में बांध दे। 💮 गुरु के आदेश पर इंद्राणी ने एक रक्षा सूत्र लिया तथा उसे मंत्रो इत्यादि से अभिमंत्रित किया। इसके पश्चात उसने वह रक्षासूत्र अपने पति इंद्र की कलाई पर बांध दिया। मान्यता हैं कि इसी रक्षा सूत्र की शक्ति के फलस्वरूप इंद्र वह युद्ध जीतने में सफल हुए थे, तथा असुरों का वध हुआ था। 💮 उस घटना के पश्चात ही रक्षाबंधन का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई। चूँकि यह घटना श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन घटित हुई थी इसलिये प्रतिवर्ष इस दिन को रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन केवल बहन अपने भाई को ही नही अपितु ब्राह्मण राजाओं को तथा पुरोहित अपने यजमानों को भी राखी बांधते हैं। ©N S Yadav GoldMine #Identity देवासुर संग्राम में शुची का देवराज इंद्र को रक्षासूत्र बांधना आइये जानते हैं, इंद्र व इंद्राणी की रक्षाबंधन से जुड़ी कथा !! 🔱🔱 देवा
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
नागार्जुन की कलम से प्रस्तुत है- उनकों प्रणाम... जो नहीं हो सके पूर्ण–काम मैं उनको करता हूँ प्रणाम । कुछ कंठित औ' कुछ लक्ष्य–भ्रष्ट जिनके अ
Unconditiona L💓ve😉
किसी मंदिर के मुहाने पे, खंडित एक और देवी मूरत..! तृष्कार, बेबसी और असीमित पीड़ा की जिसकी है सूरत..! ( भाव अनुशीर्षक में..) 🌺जिसमें पूरी रचना पढ़ने और समझने की शक्ति न हो, कृपया वो कमेंट न करें 🙏🙏 ********************* 🌺विधवा 🌺 ______
Shree
छोटी सी बात 🦋🦋आसमान 🦋🦋 ♥️♥️♥️♥️♥️ रह जाती है कई बार अनसुनी, अनकही, अबोली उसकी बात! सोचती है कि कहे या ना कहे, कह दिया तो क्या कोई सुनेगा? उसकी बा
Unconditiona L💓ve😉
""रहो अखंड सौभाग्यवती "" ≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈ Part -4.🌀 [ Full *FLAME* in Caption ] #रहो_अखंड_सौभाग्यवती-4.🌀""" आप सभी ने part -1,2,3 को बहुत प्यार दिये है,, तो इसी श्रृंखला में यह 4part लेके आया हूँ,,, एक अभागन नारी की सुहा
Tarot Card Reader Neha Mathur
कोरा कागज़ प्रतिरूप कहानी तीसरा चरण कहानी " नेहा और ब्रह्मराक्षस द्वंद" क्या था जो नेहा को महादेव ने सौंपा ? जिसे पाने के लिए ब्रह्मराक्षस ललायित हो उठा। क्या वह उसे मार डालेगा या कोई चन्द्रवंशी उसे बचा लेगा? कहानी अनुशीर्षक मे पढ़े। आज चम्बा की हवा ही अलग थी।पूर्णमाशी की रात का चन्द्रमा और उज्जवलित था। पहाड़ी पगडंडियों पर चलती नेहा के पांव मे न जाने आज कौन सी थिरकन थी।चा