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Shree
, सुनती जाना इस बार, वक्त मिले तो जवाब सोचना ज़रूर, अबकी आने से पहले। अनुशीर्षक एक बात बताओ, यूं ही जब तुम दबे पांव आकर चेहरे पर मुस्कान लिए जो दस्तक दे जाती हो, क्या जानती हो तुम्हारे जाने के बाद क्या बचता है यहां? यह
Shree
कुछ शब्द जोड़े हैं... अनुशीर्षक— % & गुलाब का रूआब *********** होता तो है रूआब हर गुलाब का, अतरंगी बेबाक रंग ले शबाब का! सच ही तो है। ऐसे ही थोड़ी ना कोई गुलाब किसी की किस्मत म
Poonam Suyal
जाने क्या-क्या दिखाएगी हमें हमारी दीवानगी ये दीवानापन हमसे अब छूटेगा कहाँ। दिल को सुकून मिलेगा जाने कैसे अभी तो ये ख़ुद खोया है जाने कहाँ। टूटकर भी जुड़ा है ये जाने कैसे जुड़ने की हर बार मिलती कहाँ। मोहब्बत भरी है इसमें कूट कूटकर इसे फ़िर भी कोई समझा कहाँ। जो जैसा है वो रहेगा वैसा ही कोई किसी के लिए बदलता है कहाँ। // वज़्ह-ए-वाबस्तगी // निकल तो पड़े हैं ढूॅंढने तुम्हें, पर ढूॅंढें कहाॅं शब होने को है, घरौंदा तेरा, अब पूछे कहाॅं। मुसाफ़िर बन मिले, कु
Poonam Suyal
\\ समाचार से कथानक तक दुनिया का सबसे रहस्यमयी पत्थर, काटने पर निकलता है खून पत्थर से निकलता खून - कितना सच (अनुशीर्षक में पढ़ें) दुनिया का सबसे रहस्यमयी पत्थर, काटने पर निकलता है खून पत्थर से निकलता खून - कितना सच रोज़ सुबह की तरह आज भी चाय के साथ पढ़ने के लिए समाचा
Anupama Jha
पहाड़ के मौसम सा मिज़ाज तुम्हारा अगले पल का अटकलें लगाता, ये दिल हमारा #पहाड़ #मौसम #अटकलें#yqdidi
Rajeshwar Singh Raju
" अटकलें " अरे, तुमने सुना ? हालात नासाज़ हैं । क्या होगा ? क्या पता ? किस को ख़बर ?
Santosh Sagar
सागर भी करीब थे , तालाब भी करीब थे , पी नहीं सकता था , मेरे प्यास भी अजीब थे ! मर चुकी थी चाह और खो चुकी थी कामना , क्या बताऊ आपको कैसा मेरा तक़दीर थे !! पी नहीं सकता था ,मेरे प्यास भी अजीब थे ..... पाने की होड़ में बढ़ रही थी परेशानियां , आ चुके थे बोझ जा चुकी थी नादानियाँ ! गरीबी की मार थी , लोगों के थे अटकलें , लोग सब फले-फुले थे , हम बस फ़क़ीर थे...... पी नहीं सकता था , मेरे प्यास भी अजीब थे ! झेलने थे लाख ताने , सह लिए थे यातनाएँ , कोई कहता पगला है ये , कोई कहते हैं दीवाने ! बाग की फूलों के मालिक की तरह थी बेड़ियाँ , देखने के फुल खिले थे , पर काँटे से चिर थे !! पी नहीं सकता था , मेरे प्यास भी अजीब थे ..... :- साग़र सागर भी करीब थे , तालाब भी करीब थे , पी नहीं सकता था , मेरे प्यास भी अजीब थे ! मर चुकी थी चाह और खो चुकी थी कामना , क्या बताऊ आपको कैसा