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writervinayazad
✍️✍️ क्या मूरख से मित्रता क्या ज्ञानी से राड़ मूरख करे न मित्रता ज्ञानी करे न राड़ ©writervinayazad ✍️✍️ क्या मूरख से मित्रता क्या ज्ञानी से राड़ मूरख करे न मित्रता ज्ञानी करे न राड़ #writervinayazad
Himanshu Prajapati
थोड़ी सी बात थी राई का पहाड़ कर दिया, मोहब्बत शुरू होनी थी उसने राड़ कर दिया..! ©Himanshu Prajapati #Funny थोड़ी सी बात थी राई का पहाड़ कर दिया, मोहब्बत शुरू होनी थी उसने राड़ कर दिया..!
Himanshu Prajapati
वह कायनात सी खुबसूरत मैं ठहरा काला मांजी का पहाड़, वह बात से मधुरम मैं करता बात बात में राड़..! ©Himanshu Prajapati #myhappiness वह कायनात सी खुबसूरत मैं ठहरा काला मांजी का पहाड़, वह बात से मधुरम मैं करता बात बात में राड़..!
Anil Ray
कà¤à¥€-कà¤à¥€ मन में ख्याल आता है हम पिंजरबद्ध पक्षी है पूर्णतः मानसिक गुलाम बिल्कुल परतंत्र...... असुर का अर्थ है जो सत्ता से सुर न मिलायें जनता सुशुप्त है मौलिक जरूरतों में व्यस्त अब अच्छे दिन के लिए स्वप्न भी नही चाहिए लोगों का ध्यान नही रहे वें भगवान को लाये। चहुंओर अशांति, अपशब्द, दयनीय आँखे मातृशक्ति के अपमान का जैसे स्वर्णकाल है पर जनशक्ति विद्रोह नही करती आजकल क्यों कि लोकतंत्र में अब जनता ही असुर है। राजा भी समय-समय पर अध्यादेश द्वारा आदेश देता भक्तों सुर में सुर मिलाते रहो। सत्य कहना अब राज्य धर्म के खिलाफ है राजखजाने पर एकाधिकार भी अब.... चोर, लुटेरों, एवं भगोड़ा का ही रहा है। यह भी सामंती जीवन का आनंद लें रहे राजा-मंत्री अपनी विलासिता में मस्त हैं लेकिन महारानी के साथ नही कोई अब सब के सब पर रानी के बांहों में बंधे है। आखिर जिंदगी भी तो इसी का नाम है। हम मूर्खो के भाग्य में यह सब सुख नही भगवान ने लिखा नही और राजा भगवान ऐसा ही हमारे धर्मग्रंथ कहते हैं खामोश! बस चुपचाप देखते और सहते रहो तुम। पाषाणयुग व्यतीत हो चुका है परन्तु... आदमी पत्थर है लहू देखकर रोता नही हँसकर विडियो बनाता है, असुर है। वह जानता है सुर में सुर मिलाते चलों.. जब जब धर्मे पर संकट-बादल गहरायेगा भगवान खुद जन्म लेंगे अधर्मी को मिटाने यह सही है तो फिर भक्त क्यों चिल्लाते हैं धर्म ख़तरे में है इस भगवान पर भरोसा नही या भगवान की परिकल्पना सिर्फ मिथ्या है। हे भगवान मेरे सुर बिगड़े पर मैं असुर नही.. क्षमाप्रार्थी! क्षमाप्रार्थी!! क्षमाप्रार्थी!!! ©Anil Ray 🍉🍉🍉⚔️🗡️मतीरे की राड़🗡️⚔️🍉🍉🍉 आजकल यह एक मुहावरा है , लेकिन आप जानकार हैरान होंगे कि राजस्थान में इस मुहावरे का खूब प्रयोग होता है, जिसका अर्
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
Anuj Ray
खुशबू चरित्र की" खुशबू चरित्र की, हीरे सी चमकती है, फूलों सी महकती है। खुशबू चरित्र की, जीवन के आईने में, सूरज सी दमकती है। खुशबू चरित्र की, आदर्श भी गढ़ती है, इतिहास भी रचती है। ©Anuj Ray # खुशबू की चरित्र की"
Nitish Aarya
प्यार दुनिया का एक फासाना है इसका अपनाही एक ताराना है सब जानते है की मिलेंगे सिर्फ आँसू पर न जाने दुनिया में हर कोई इसका दिवाना है ©Nitish Aarya सायरी की की दायरी