Find the Latest Status about एक फूल की चाह कविता का भावार्थ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, एक फूल की चाह कविता का भावार्थ.
रमेश प्रेमी
आप हो गए नज़रों से ओझल, जैसे गूलर फूल ! आपसे तो बेवफाई हमने की नहीं, फिर हमसे क्या हुई भूल !! "हम तुम्हारे हैँ तुम्हारे सनम "पर, आपके दिल में क्यों, जमीं हुई है धूल! एक बार कह दो "तुम मेरे हो " हमारे दिल में भी खिल जाएँ फूल !! "एक ख्वाहिश चाह की ".........
"एक ख्वाहिश चाह की ".........
read moreArora PR
तुम्हारी ये लम्बी चुप्पी मौन सन्देश दें रही कि तुम्हे मेरी बात मान लेने मे कोई एतराज़ नहीं हैँ फिर भी मै चाहुँगा कि तुम्हारे इस मौन का भावार्थ समझने की चेष्टा अवश्य करके देखु कि कही तुम इस धैर्य धारण के कवच से अपने ह्रदय को आहत तो नहीं कर रहे हो? ©Arora PR मौन का भावार्थ
मौन का भावार्थ #कविता
read moreParasram Arora
मेरे मौन शब्दों का अर्थ जानना निरर्थक सिद्ध हो सकता है यधपि उनका भावार्थ समझा जा सकता है.... क्योंकि भाव की कोई भाषा नहीं होती वहा तो केवल अनुभूति का अस्तित्व होता है वो तो वैसा ही है जैसे चन्द्रमा की मौन चांदनी की स्निग्धता का सुखद अहसास जैसे वक्ष की ऊँची शाखाओं पर हवाओं क़ि हलचल से उपजि..हुई खड़खड़ाहट और सरसराहट पत्तों की ©Parasram Arora मौन शब्दों का भावार्थ.......
मौन शब्दों का भावार्थ.......
read moreNC
मैं फूल हूं पैरों तले रौंदा जाता कभी मंदिरों में शोभा पाता कभी महबूबा को भेंट किया जाता कभी चढ़ता मजारों पर बनकर दुआ रूहानी मेरी ज़िंदगी की यही कहानी अनकही अनजानी मेरे ना कोई किस्से सुनाता ना कहानी बस टूटता हूं हर पल जब हो किसी की मनमानी काश सुनता कोई मेरी भी ज़ुबानी ।।© रिमझिम फूल की चाह #nojotohindi#poem#poetry#hindi#thought
फूल की चाह #nojotohindi#poem#Poetry#Hindi#thought
read more@Devidkurre
#OpenPoetry जहां बीस करोड़ रहे भूखे सोने को मिले फुटपाथ गटर जिस देश की बेटी खौफ ज्यादा बैठे बचपन की दहलीज पर हम कैसे गर्व करें उस पर जिस जगह करोड़ों बच्चो का जीवन चलता कचरा चुनक जिस मुल्क में गिस्ता नौजवान और पल-पल गिस्ता हो कंकर हम कैसे गर्व करें उस पर---2 जिस देश का टिंचर घौट रहा ओ खिचड़ी दलीय दिन दिन भर जहां ऊंची शिक्षा चाट रहे कितने अज्ञानी प्रोफ़ेर हम कैसे गर्व करें उस पर जिस देश की वैद्युत वैज्ञानिक गर्दन में पहने हो जंतर--2 जहां जानलेवा हो अस्पताल और डॉक्टर से लगता हो डर हम कैसे गर्व करें उस पर जहां जानवरों की पूजा हो इंसानों पर चलते खंजर जब ज्ञान के नाम पर भरा हुआ वो इंसानी सर में गोबर हम कैसे गर्व करें उस पर जहां जीवन के संसाधन पर कुंडली मार बैठे अजगर जिस देश में जारी जन हत्या हो जात धर्म के नफरत पर हम कैसे गर्व करें उस पर हम कैसे गर्व करें उस पर हम कैसे गर्व करें उस पर "😌😌आदित्य कमल कि कृति से" एक तार्किक का कविता
एक तार्किक का कविता #विचार #OpenPoetry
read more