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Das Sumit Malhotra Sheetal
Poet Kuldeep Singh Ruhela
बड़ी मुद्दत के बाद देखा था उसको बड़ी गौर से मालूम न था वो भी मेरे इंतजार मे थी घड़ी दो घड़ी देखता उस कमबख्त को में मेरी गाड़ी ही छूट गई उसको देखने के चक्कर में ©Poet Kuldeep Singh Ruhela बड़ी मुद्दत के बाद देखा था उसको बड़ी गौर से मालूम न था वो भी मेरे इंतजार मे थी घड़ी दो घड़ी देखता उस कमबख्त को में मेरी गाड़ी ही छूट गई उ
Sethi Ji
💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝 💝 आईने का इज़हार , आईने का इनकार 💝 💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝 आईना इंसान का सच्चा दोस्त होता हैं हमारे ज़ख्मों को देख कर हर दिन हमारे साथ रोता हैं ना जाने कौन सी कमी रह गयी तेरी मोहब्बत में आज कल मेरा दिल चाँदनी रातों में भी अकेला सोता हैं किसी ने सच कहा हैं दोस्तों जो वक़्त रहते कुछ नहीं करता वोह वक़्त गुज़र जाने के बाद अपना बहुत कुछ खोता हैं ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️ 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 ©Sethi Ji 💞💞 आईने का वार 💞💞 💞💞 आईने का यार 💞💞 आईना इंसान का सच्चा दोस्त कहलाता हैं वोह मेरे रोने पर रोता मेरे हॅसने पर मुस्कराता हैं ।। जब भी गौर
AwadheshPSRathore_7773
ख़ुद को इतना भी मत बचाया कर बारिशें हों तो भीग जाया कर काम ले कुछ हसीन होंठों से बातों बातों में मुस्कुराया कर दर्द हीरा है दर्द मोती है दर्द आँखों से मत बहाया कर चाँद ला कर कोई नहीं देगा अपने चेहरे से जगमगाया कर धूप मायूस लौट जाती है कभी छत पे कपड़े सुखाने आया कर घर से बाहर निकल हवाओं में ज़ुल्फ़ से ख़ुशबुएँ उड़ाया कर कोई तस्वीर कोई अफ़साना कुछ न कुछ रोज़ ही बनाया कर कौन कहता है दिल मिलाने को कम से कम हाथ तो मिलाया कर इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई हम न सोए रात थक कर सो गई। ©AwadheshPSRathore_7773 #Reindeer Bollywood के प्रसिद्ध लेखक डॉ.राही मासूम रजा की death anniversary पर मुझे यह नज़्म उनके एक चाहने वाले से प्राप्त हुई सोंचा आपको भे
Devesh Dixit
खर्च (दोहे) खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर। कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।। खर्चों ने तोड़ी कमर, बना हुआ नासूर। जीवन यह बद्तर लगे, कैसा यह दस्तूर।। दिन प्रतिदिन कीमत बढ़े, खर्चों का विस्तार। जिन्हें नौकरी है नहीं, माने दिल से हार।। खुद को भी पीड़ित करें, कुछ औरों को जान। लूट करें वे शान से, बनते हैं नादान।। खर्चों के वश में सभी, कुछ करते तकरार। जीवन में उलझन बढ़े, घटना के आसार।। यही विवश्ता तोड़ती, अपनों के संबंध। प्रेम भाव से दूर हैं, आती है दुर्गंध।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #खर्च #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry खर्च (दोहे) खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर। कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।। खर्चों
Surendra Kumar Kahar
औरत मां है तो पुरुष पिता है औरत बेटी है तो पुरुष बेटा है औरत बहन है तो पुरुष भाई है औरत पत्नी है तो पुरुष पती है औरत देवि है तो पुरुष देवता है औरत लक्ष्मी है पुरुष कुबेर है औरत के बगैर पुरुष, पुरुष के औरत एक दुसरे के बगैर दोनो अधुरी है कह दिजिए की केवल एक से ही शृष्टी चलती है रोते सब है परन्तु आंसु अक्सर औरत के ही निकलते हैं। ©Surendra Kumar Kahar सोचो गौर से
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सार छन्द :- तख्ती दवात खडिय़ो में कल, बचपन था मुस्काता । गावों के टेड़ी गलियों से, है अपना भी नाता ।। तख्ती दवात खडिय़ो में कल.... जो मुझमे थे सदा समाहित, वो संस्कार हमारे । लेकिन इस युग में है देखा , होते वारे न्यारे ।। अब कहाँ ज्ञान दादा-दादी से , पोता वो ले पाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में कल .... ट्रेड ट्रेड में बदल गई है , देखो दुनिया सारी । अब तो सब ही माँग रहे हैं , पुस्तक हो व्यापारी ।। काल खण्ड़ की वो बातें अब , कौन यहाँ सुन पाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में कल .... हानि-लाभ की बातें करते, देखो छोटे बच्चे । इसी आयु में हम आप कभी , थे तो दिल के सच्चे ।। लेकिन दुनिया बदल रही है , गौर न तू कर पाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में .... आज पुनः जीवित हो जाये , वो संस्कार हमारे । उठना सोना खाना पीना , वो व्यवहार हमारे ।। जिसे देख जीवन मेरा यह ,धन्य पुनः हो जाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में कल ...। तख्ती दवात खडिय़ो में कल, बचपन था मुस्काता । गावों के टेड़ी गलियों से, है अपना भी नाता ।। २७/०१/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सार छन्द :- तख्ती दवात खडिय़ो में कल, बचपन था मुस्काता । गावों के टेड़ी गलियों से, है अपना भी नाता ।। तख्ती दवात खडिय़ो में कल....
Mukesh Poonia
कभी फुर्सत में अपनी कमियों पर गौर करना, दूसरों का आईना बनने की ख्वाहिश मिट जायेगी। . ©Mukesh Poonia #seashore कभी #फुर्सत में अपनी #कमियों पर #गौर करना दूसरों का #आईना बनने की #ख्वाहिश मिट जायेगी
Ashutosh Mishra
हमारी मानसिकता ही हमें जीवन में सफलता या विफल बनती है। और हम कभी इस बात पर गौर किए बिना दूसरों से मदद चाहतें हैं। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #seagull हमारी मानसिकता ही हमें जीवन में सफल या विफल बनाती है। और हम इस बात पर गौर किय किए बिना ही, दूसरों से मदद चाहते हैं। #Trading #tho
Internet Jockey
चाय से उठता हुआ धुआँ गौर से देखता रहा... पलक झपकी तो चाय ठंडी और जिंदगी कम हो गयी ©Internet Jockey #teatime चाय से उठता हुआ धुआँ गौर से देखता रहा... पलक झपकी तो चाय ठंडी और जिंदगी कम हो गयी