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kavi abhiraj
वो वक्त जरूरी था कितना मैने आज पहचान लिया जब मिले पुराने लोग वही उन्हें फिर से मैने याद किया कुछ हुआ उन्हें या किया किसी ने मुझको तो कुछ ज्ञात नहीं हुआ दर्द कितना होगा आज मैने उसे पहचान लिया भाग्य था या कर्म हमारे जो उनको मुझ से छीन लिया मन करता तुझ से खफा रहूं जो मुझको तुमने अनाथ किया क्या होता गर जो उस दिन तुम अपनी नियति को बदल देते छोटा था मै उमर ही क्या थी ये सोच कर तुम पिघल लेते खातिर जो तुम मेरे ही पापा को मेरे दान में जीवन देते कर्ज चुकाने को तुम कान्हा मेरा जीवन ले लेते भाई मेरा बहुत छोटा था जब तुम उसको तो खुश कर देते ©kavi abhiraj पापा की याद
Ajay Nema
बेटी पिता की आँखों में दिखती है कानों में गूँजती है होठों से मुस्कुराती है कंधों पर उछलती है सीने में धड़कती है बाहों में मचलती है पैरों के निशां छोड़ जाती है बेटी दिल की दहलीज़ पर -अजय नेमा #बेटी #कविता#पापा की परी# पापा की लाड़ली
KHUSHI GUPTA
इक चाह मेरी भी है, छोटी सी तुम तीनों से गंगा जमुना और सरस्वती सा निर्मल बन जाओ बुद बुद से मिलकर विशाल सागर बनता है एक एक दिन मिलकर अनमोल जीवन इक दिन अपने आप माटी से मिल जायेगा इसका मोल समझो एक एक दिन जोड़ कर ऐ जीवन बना है इस मोती को यू ही न गवाओ खूब खुश रहो अपनी दुनिया में अपने ही कर्म का फल है आने वाला पल ना रहो उदास अपने आप से ना ही किसी और को उदास बनाओ इक चाह मेरी भी है, छोटी सी तुम तीनों से गंगा जमुना और सरस्वती सा निर्मल बन जाओ मेरे जैसे कुछ माँ बाप और भी होंगे जग मे जिनकी पीड़ा का शब्द नहीं आँखों में न दिखने वाला आँसू और अंधकार छाया जीवन में उनके शब्द और उजाला बन जाओ क्रोध लोभ मोह सब नाशवान है उच्च आदर्श और त्याग की छाया बनो तुम्हारे नाम आते ही आदर अपने आप उत्पन्न हो कुछ ऐसा कर जाओ मेरा जीवन भी सफल हो एक उदाहरण और बन जाओ एक चाह मेरी भी है , छोटी सी तुम तीनों से गंगा जमुना और सरस्वती सा निर्मल बन जाओ चारो ओर अन्धेरा है तुम आत्म मन से देखो मुझे बाहर के बहार का नकलीपन अपनो और जग के तिरस्कार से मरणासन्न यह जीवन बाहर का बनावटी पन अन्दर से कुछ और हकिकत मेरा सच्चा साथी कौन, तुमसे बेहतर सांसारिक नाते सब अपनी अपनी जरुरत के कभी मै उनकी जरुरत का कभी वो मेरी जरुरत के मन का मीत नही कोई सब नाते स्वार्थ के आत्म मन का अन्धेरा यथावत कव तक बाहर के सहज भाव मे छिपे मर्म समझ जाओ समाज मे बहुत मजाक बना है अब तक ज्यादा कुछ नहीं चाहिए सम्मान की भूख लगी एक चाह मेरी भी है छोटी सी तुम तीनों से गंगा जमुना और सरस्वती सा निर्मल बन जाओ -संतोष गुप्ता पापा की कविता #findingyourself
Vibhooti Gondavi.
पापा की याद बहुत आती है, वो थे तो लगता था कि सब कुछ है, अब तो सब वीरान सा लगता है, ऐसा भी होगा ये यकीं न था... पापा की याद बहुत आती है, वो थे तो लगता था कि ये दुनिया है, अब तो सब एक सपना सा लगने लगा है, जिंदगी में ऐसा भी पल आयेगा यकीं न था... पापा की याद बहुत आती है, वो थे जब तक ,दर्द का एहसास कभी न हुआ, अब तो पलकें हर वक्त नम बनीं रहती हैं, ऐसा भी होगा कभी ये यकीं न था... पापा की याद बहुत आती है, वो थे तो कहते थे कि मैं हूं ना, अब तो अपनी परछाईं भी डराने लगी हैं, जिंदगी में ऐसा भी पल आयेगा यकीं न था... पापा की याद... #nojotohindi #nojotourdu #nojotoshayri #पापा #याद #छोड़ कर #डर
Ajay Nema
#DaughtersDay कृष्ण की बाँसुरी सी जीवन में घोलती हैं मिठास इसीलिये होती हैं दिल के पास बेटियाँ कुछ ख़ास -स्वरचित अजय नेमा #DaughtersDay #पापा की परी# पापा की लाड़ली#बेटी#कविता#nojotoapp#nojotohindi