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Babita Singh
तन्हाई बोलती है पर कोई सुने ना यहां बना लेती फिर कलम को जुबा में यहां सुकून मिले कोरे पन्नों में जब लिखती हूं साथ तेरा ©Babita Singh बोलना जानती है फिर भी मौन रहना है कोई समझेगा या नहीं इस बात का डर लगता है ज्यादा बोलूं तो कोई परेशान ना हो मुझसे इसलिए तन्हाई से दोस्ती
Irfan Saeed
Sarfaraj idrishi
याद रखना सुनो मेरे पास मौसम की कोई जानकारी नही है मगर इतना जानती हूँ यादै तूफान लाती है 😊 ©Sarfaraj idrishi #PoetInYou मेरे पास मौसम की कोई जानकारी नही है मगर इतना जानती हूँ यादै तूफान लाती हैबाबा ब्राऊनबियर्ड विवेक कुमार Dhanraj Gamare SIDII SAFIY
Bhanu Priya
मैं उसे मासूम कहती रही , मेरे लिए जो झूठ को भी सच कह देती है , मैं जानती नहीं थी कि वो आंखे भी पढ़ लेती है । ©Bhanu Priya मैं उसे मासूम कहती रही , मेरे लिए जो झूठ को भी सच कह देती है , मैं जानती नहीं थी कि वो आंखे भी पढ़ लेती है । Ak.writer_2.0 Neel Ravi Ranjan
Rameshkumar Mehra Mehra
White जानती हो.............. किसे कहते है...! जन्नत में घूमना.......!! तुझे बाहों मे भर के.......!!! तेरे माथे को चूमना...💓 ©Rameshkumar Mehra Mehra # जानती हो,किसे कहते है,जन्नत में घूमना,तुझे बाहों में भर के,तेरे माथे को चूमना.....💓
gaTTubaba
पता हैं मेरी कलम चाहती नहीं तुम्हें फिर भी तुझको ही क्यों लिखना चाहती होगी ? यकीनन ये दुनिया जानती नहीं तुम्हें फिर भी कैसे जानती होगी ? मुलाकातें हमारी होती नहीं आजकल फिर भी कैसे होती होगी ? इंतजार मर गया इंतजार करते करते ये सब जानकर भी उम्मीद सांसें कैसे लेती होगी....? ©gaTTubaba #raindrops पता हैं मेरी कलम चाहती नहीं तुम्हें फिर भी तुझको ही क्यों लिखना चाहती होगी ? यकीनन ये दुनिया जानती नहीं तुम्हें फिर भी कैसे जानत
Rameshkumar Mehra Mehra
जानती हुई भी अंजान बनती हो......... इस तरह पेरशान करती हो...... ! पूछती हो कया पंसद है तुमे.........!! जबाब तुम खुद हो...........!!! फिर भी सबाल करती हो....... ©Rameshkumar Mehra Mehra # जानती हुई भी अंजान बनती हो,इस तरह मुझे पेरशान करती हो,पूछती हो क्या पसंद है तुम्हे,जबाब तुम खुद हो,फिर भी सवाल करती हो....💕
Sangeeta Kalbhor
पर ना जाने.. मैं लिखा करती थी मुझे अब ना जाने कहाँ गुम हो गई हूँ निकलना चाहती हूँ भवंड़र से पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ रुठ गई है कलम मुझसे दवा कोई कराओ ना दिल नही मानता आसानी से आकर कोई मनाओ ना जिद कर बैठा है मन करके मन्नते मैं हार गई हूँ निकलना चाहती हूँ भवंड़र से पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ जानती हूँ ये ठिक नही है हो जो रहा है मुझसे कौन मेरा यहाँ अपना है जो बताऊं सब उससे आता नही कोई थामने पुकार कर मैं थम गई हूँ... निकलना चाहती हूँ भवंड़र से पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #Preying पर ना जाने.. मैं लिखा करती थी मुझे अब ना जाने कहाँ गुम हो गई हूँ निकलना चाहती हूँ भवंड़र से पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ रुठ गई है