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pushpram
ये मोहब्बत है जनाब कितनी भी, तकलीफ दे मगर सुकून भी उसी, की बाहों में मिलता है !💚🌹 ©pushpram #You&Me नंबर हैं कि मिल जाती है हर चीज दुआ से, इसकी हर रोज मांगी गई फाइलों से देखें। तुम्हारे सामने होते हो तो है कैफ की बारिश,
💞Seema Yadav💞
मेरे इश्क़ की शहतीर क्या देखते हो खुद बाहों में आ जाओ या मुझे बाहों में भर लो 💐🥳🥳Shayari Challenge: submit before 6a.m the next day , mentioning 'Done' in comment section. No plagiarism please. 💐नमस्कार ! साथियों Tanh
DR. SANJU TRIPATHI
जिंदगी में अगर दोस्ती करना तो शहतीर सी मजबूत करना, कच्ची दोस्ती करने का जीवन में कोई फायदा नहीं होता है । 💐🥳🥳Shayari Challenge: submit before 6a.m the next day , mentioning 'Done' in comment section. No plagiarism please. 💐नमस्कार ! साथियों Tanh
Tarun Vij भारतीय
हाथों पर टिका रखें है शहतीर हमने, हमें ढहती दिवार ना समझा जाए। बहता है इन रगो में भी लहू इस मुल्क का, हमें मुल्क का गद्दार ना समझा जाए।। (Story in Caption) बहुत सी कहानियां ऐसी होती है जिन्हें हम वक्त के साथ भूल जाते हैं, वो किरदार जो सत्य होते हैं मगर अतीत के पन्नों में खो से जाते हैं, मगर फिर
Sangeeta Patidar
आती रहती हैं रिश्तों में दरारें... मगर, खुला कहाँ छोड़ती हूँ मैं आजकल उन्हें, नासूर बनने के लिये, भर देती अक़्सर वक़्त से,तुम्हारे एहसास से घोली तहरीर से। ह्म्म्म्म! होती है न एक पल के लिये तकलीफ़ भी बहुत मुझे, मगर जला देती हूँ दीप उम्मीदों का, तुमसे मिली तक़रीर से। हाँ! बहुत तीखी होती हैं बातें भी अपने ही इन रिश्तेदारों की, मगर देती हूँ सहारा ख़ुद को,तुम्हारे इश्क़ से ढली शहतीर से। रोती भी हूँ न मैं अक़्सर,इन्हीं ख़ुदगर्ज़ रिश्तों का नाम लेकर, फिर हँसाती भी हूँ मैं ग़म को,मुझमें तुम्हारी खिली तस्वीर से। तक़रीर- speech; शहतीर-A large beam supporting the roof 🎀 Challenge-228 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया
Harshit Pranjul Agnihotri
Dharmendra Singh
जग में नर मतिमंद की, कैसी है तकदीर। औरों का तिनका दिखे, खुद का ना शहतीर।। ✍परेशान✍ जग में नर मतिमंद की, कैसी है तकदीर। औरों का तिनका दिखे, खुद का ना शहतीर।। ✍परेशान✍ #height
Bambhu Kumar (बम्भू)
ये जो शहतीर है पलकों पे उठा लो यारो अब कोई ऐसा तरीक़ा भी निकालो यारो दर्द-ए-दिल वक़्त को पैग़ाम भी पहुँचाएगा इस कबूतर को ज़रा प्यार से पालो यारो -दुष्यंत कुमार ये जो शहतीर है पलकों पे उठा लो यारो अब कोई ऐसा तरीक़ा भी निकालो यारो दर्द-ए-दिल वक़्त को पैग़ाम भी पहुँचाएगा इस कबूतर को ज़रा प्यार से पा