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सुसि ग़ाफ़िल
मनगढ़ंत कहानियों में कई कहानियां पाप की है ..... पाप सार्वभौमिक नहीं है वह सबकी दृष्टि में अलग-अलग है | २३/०९/२०२१ मनगढ़ंत कहानियों में कई कहानियां पाप की है और ..... पाप सार्वभौमिक नहीं है वह सबकी दृष्टि में अलग-अलग है |
सुसि ग़ाफ़िल
मैं पास रहूंगा सिर्फ जिस्मों के मुझे काले लिबास पसंद है! झूठी कहानी मनगढ़ंत किस्से मुझे बस यही बताना पसंद है! अंदर से हूं घणा ज्यादा काला मुझे चेहरे पर मुखौटा पसंद है! सुनो फरेबी हूं मैं ग़ाफ़िल नहीं मुझे शक्ल दर्द बताना पसंद है! मेरे अंदर चले कुछ और बातें बाहर कुछ और बताना पसंद है! 'सुशील' डरे बस फरेबी लोगों से उसको सिर्फ सच बताना पसंद है! सिगरेट के धुएं की तरह 'सुशील' को खुद की रूह जलाना पसंद है! मैं पास रहूंगा सिर्फ जिस्मों के मुझे काले लिबास पसंद है! झूठी कहानी मनगढ़ंत किस्से मुझे बस यही बताना पसंद है! अंदर से हूं घणा ज्यादा
सुसि ग़ाफ़िल
मुझे पढ़ाई गई किताबों में मनगढ़ंत कहानियां , जब मुझे प्रेम का एहसास हुआ मैं दु:ख के सागर में था ! मुझे पढ़ाई गई किताबों में मनगढ़ंत कहानियां , जब मुझे प्रेम हुआ
सुसि ग़ाफ़िल
वास्तविकता धूमिल हो गई है इस संसार में ! हर जगह मनगढ़ंत क़िस्से कहानियां और भाषण! वास्तविकता धूमिल हो गई है इस संसार में ! हर जगह मनगढ़ंत क़िस्से कहानियां और भाषण! ~ सुशील कुमार 🌻
Vandana
मिट्टी में गिरते ही बूंद की प्यास मिट जाती है,,,,, तड़पती रुह की तलाश मुकम्मल हो जाती है,,,,, संभल संभल कर चलते हैं पथरीले रास्तों में,,,,,, गरम पत्थरों की तपिश जिस्म को झुलसा जाती है,,,,, कांटो की चुभन नाजुक पैरों में अहसास दिला जाती है,,,,,,, अजीबो-गरीब कशमकश जद्दोजहद कतरा कतरा लम्हा लम्हा गुजरा बेइंतहा,,,,,,, यूं ही मनगढ़ंत,,,,, #lifestyle #lifesurprise #lifejourney #lifeisn
Vandana
"मैं पहाड़ों की सर्दी, "तुम मरुस्थल की रेत, "मैं बहती हुई अविरल धारा, "तुम ठहरा हुआ दरिया, "मैं महकती हुई श्याम, "तुम शुष्क मैदान, "मैं कोई राग बसंती, "तुम हो सुर से अनजान, "मैं कोई मीठा सा गीत, "तुम बेसुरा संगीत, "मैं कई रंगों में रंगी हुई, "तुम सफेदी लिए हुए, "मैं बरसात की बूंदे, "तुम सागर का नमकीन जल, "मैं सरल कोमल मिठास प्रेम से भरी, "तुम करकस कड़वाहट से भरे, "फिर भी एक स्त्री ही पुरुष, 'को संपूर्ण करती। "उसको मिठास से भरती। दोस्तों कुछ सूझ नहीं रहा था बस बैठे बैठे ऐसे ही मनगढ़ंत कुछ भी लिख दिया है। पसंद आए तो बताना नहीं तो पढ़ कर चले जाना। #yqdidi #yqquotes
Vandana
"एक चिट्ठी आई डाकिया मेरे घर के पास, 'देखकर खुशी के छलकते एहसास, "कागज का टुकड़ा आसमानी, "रंग का नीला सा , "संदेश अपनों का लाता, "उत्सुकता से चिट्ठी खोल देखने कि बैचैनी,, "भाई सरहद पर खड़ा, "पिताजी नौकरी के लिए गए परदेस, "बहन ससुराल से भेजे सुकुशल संदेश,, " प्रिय मित्र प्रेम जताती, "जाने कितने भाव से भरा, "यह कागज का टुकड़ा, "ये चिट्ठी मोती भरे शब्दों, "को पिरोए हुए होती। "लिखने वाले के मन के, "एहसास चिट्ठी में उकेर देती, चिट्ठी आई डाकिया मेरे घर के पास, 'देखकर खुशी के छलकते एहसास, "कागज का टुकड़ा आसमानी, "रंग का नीला सा , "संदेश अपनों का लाता, "उत्सुकता
Poonam Suyal
ज़िंदगी (अनुशीर्षक में पढ़ें) ज़िंदगी ज़िंदगी में ज़्यादातर होता है यही जो चाहो वो होता है कहाँ जो मिलता है फ़िर उसी को करना पड़ता है सही सारी उम्र अपने सपनों के प
Hem Raj Yadav
नकारें भी तो नकारें कैसे, तुझे हम आखिर। जो हर दिन हमारे, दया के मोहताज तुम्हारे।। होंगे झूठे ढोंग भरे ये धर्म सभी, और होंगी झूठी सारी किताबें तुम्हारे गुणगानों की। मगर हम अपनी इस जान को क्या बतलाएं, जो इशारों पे है सरताज तुम्हारे।। लाख कोशिशें नाकाम हो जातीं, और मिलने वाली चीजें मिल कर आम हो जातीं। सुबह शाम बस कशिश यही, जाने कल क्या हों हमारे लिए आगाज तुम्हारे।। कोई नहीं समझा सका है तुमको क्या हो कैसे हो और क्युं हो, कोई न हक़ीक़त बता सका तुम्हारी। सब मनगढ़ंत कहानियां ही गाते, जाने क्या हैं सच्चे साज तुम्हारे।। देखे हमने ढहते मंदिर, मस्जिद भी तुफानों में। बची हुई कुछ जानें देखी, गिरे हुए मकानों में।। तेरी माया एक नज़र की, पाखंड भरी इस दुनिया में। तू ही सच्चा तू ही धर्म, और अगर हैं तो बस राज़ तुम्हारे।। ©Hem Raj Yadav हे ईश्वर.... नकारें भी तो नकारें कैसे, तुझे हम आखिर। जो हर दिन हमारे, दया के मोहताज तुम्हारे।। होंगे झूठे ढोंग भरे ये धर्म सभी, और होंगी झ
Hem Raj Yadav
नकारें भी तो नकारें कैसे, तुझे हम आखिर। जो हर दिन हमारे, दया के मोहताज तुम्हारे।। होंगे झूठे ढोंग भरे ये धर्म सभी, और होंगी झूठी सारी किताबें तुम्हारे गुणगानों की। मगर हम अपनी इस जान को क्या बतलाएं, जो इशारों पे है सरताज तुम्हारे।। लाख कोशिशें नाकाम हो जातीं, और मिलने वाली चीजें मिल कर आम हो जातीं। सुबह शाम बस कशिश यही, जाने कल क्या हों हमारे लिए आगाज तुम्हारे।। कोई नहीं समझा सका है तुमको क्या हो कैसे हो और क्युं हो, कोई न हक़ीक़त बता सका तुम्हारी। सब मनगढ़ंत कहानियां ही गाते, जाने क्या हैं सच्चे साज तुम्हारे।। देखे हमने ढहते मंदिर, मस्जिद भी तुफानों में। बची हुई कुछ जानें देखी, गिरे हुए मकानों में।। तेरी माया एक नज़र की, पाखंड भरी इस दुनिया में। तू ही सच्चा तू ही धर्म, और अगर हैं तो बस राज़ तुम्हारे।। ©Hem Raj Yadav हे ईश्वर.... नकारें भी तो नकारें कैसे, तुझे हम आखिर। जो हर दिन हमारे, दया के मोहताज तुम्हारे।। होंगे झूठे ढोंग भरे ये धर्म सभी, और होंगी झ