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रोहन बिष्ट
White मैं,पहाड़ और देवदार जब पहाड़ों की ऊँचाइयों में, बसे हैं देवदार के पेड़, तब मन को छू जाती है वहाँ, कुछ अनूठी कहानियों की गर्मी। इन देवदारों के बीच में, बसे हैं एक खामोशी की मिठास, प्रकृति की भव्यता के साथ, जो हर मन को मोह लेती है अपनी जादुई सी बात। पहाड़ों के शीर्ष पर, बसा है सारा जहां, वहाँ का मन करता है, बस रहूँ इस खूबसूरती में दिन रात। पहाड़ों और देवदारों की यह मिलनसारी, हमें याद दिलाती है, कि प्रकृति है हमारी सच्ची मित्र, जिससे हमें सबकुछ सीखने को मिलता है बिना शब्दों के ही। सुनहरी किरनें छान रहीं हैं पहाड़ों के चेहरे, देवदार की छाया ले रही है सभी को आहेर। प्रकृति की यह अनोखी सिमटी हुई छावनी, सपनों की दुनिया में बसी है जैसे कोई कहानी। धरा की गोद में लिपटा यह प्यारा सा साथ, है देवदार और पहाड़ का नित सुखद संग्राम। जब जीवन की गहराईयों में खो जाए मन, तब पहाड़ों और देवदारों की याद दिलाए कोई भी गान जब सूर्य की किरणें छू रहीं हैं पहाड़ों की चोटियों को, और देवदार की खुशबू भरी हवा फैलाए खुशबू। प्रकृति की यह अनुपम सुंदरता, हर मन को मोह लेती है अपनी दिव्यता। धरती की गोद में लिपटा हुआ, पहाड़ों का सजीव वातावरण भरा है नया सपनों का मनोरम सफर। जब जीवन की भीड़भाड़ से थक जाए मन, तो पहाड़ों और देवदारों की चादर ओढ़कर मिले सुकून की धार। जब पहाड़ों की चोटियों पर सजती है सुबह की पहली किरण, और देवदार की सुगंध से महक उठता है वहाँ का वातावरण। प्राकृतिक सौंदर्य में लिपटा यह सुखद संगम, है पहाड़ों और देवदार का साथ बेहद अनुपम। धरती के गोद में बसी यह निर्मलता, हमें सिखाती है जीने की कला की सरलता। जब जीवन की भीड़भाड़ से हो जाए मन उदास, तो पहाड़ों और देवदारों की याद दिलाए सुखद सांझ की मिठास। ©रोहन बिष्ट #पहाड़ #देवदार
श्यामजी शयमजी
White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में ©श्यामजी शयमजी #cg_forest कविता कविता
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read moreManju Tomar
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#nojotocarter #मेरू मुल्क मेरू पहाड़ #15June manjutomar🥰 #मोटिवेशनल
read moreSapna Meena
White अबकी बार 400 पार या फिर गठबंधन सरकार। मोदी का उतरे का मुखौटा या फिर पहनेगा जीत का हार। केजरीवाली या कन्हैया या मनोज तिवारी होगा यमुना पार। कांग्रेस और आम आदमी के लड़ गए नैना बीजेपी रह गई बिन प्यार। अबकी बार 400 पार,या फिर गठबंधन सरकार। ©Sapna Meena #car चुनाव 2024 पर कविता
Gurudeen Verma
White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे --------------------------------------------------------- बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी, जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का, और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर, गरीब आदमी की जमीन और आजादी। लेते हैं काम छोटे आदमी को, कोल्हू के बैल की तरह दिनरात, एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर, जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में। लेता है ब्याज बहुत वो आदमी, छोटे आदमी को देकर उधार रुपये, बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के, जिनके होते हैं मकां महलनुमा। होती है उनकी जिंदगी राजा सी, जिनके एक ही आदेश पर, हो जाते हैं सारे काम, और हाजिर नौकर चाकरी में। कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी, मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं, बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति, भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से। लेकिन एक ऐसा आदमी भी है, जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम, करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी, और कोसता है वह बड़े आदमी, इस ठग को क्या नाम दे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #कविता
कविता
read moreAnuj Ray
देख के अपनी आंखों के सामने घनघोर अंधेरा सा अच्छा जाता है। जिस किसी की जिंदगी में अचानक से मुसीबत का पहाड़ टूट जाता है। ©Anuj Ray जिंदगी में मुसीबतका पहाड़
जिंदगी में मुसीबतका पहाड़ #कविता
read moreShiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
कविता #शायरी
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