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Stories related to चांदनी चौक अरुण वस्त्र भंडार

Parul Sharma

दाल रोटी की जगह पिज्जा बर्गर मिठाई की जगह केक चाकलेट नमकीन की जगह कुरकुरे चिप्स Fastival or birthday पर gift परोसने वाले santa हम लोग -

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दाल रोटी की जगह पिज्जा बर्गर 
मिठाई की जगह केक चाकलेट 
नमकीन की जगह कुरकुरे चिप्स 
Fastival or birthday पर gift 
परोसने वाले santa 
हम लोग ---
मकरसंक्रांति पर तिलकुट खिचड़ी 
बसंत पंचमी पर पीले वस्त्र चावल
होली पर गुजिया इनरसा
एकादशी पर घड़ा पंखा खरबूज शरबत
गणतंत्र दिवस पर बूंदी
रक्षाबंधन पर घेबर
जन्माष्टमी पर पंजीरी चरणामृत 
नौ दुर्गा में पूरी हलुआ 
शरद पूर्णिमा पर खीर
महिलाओं के त्योहार पर श्रंगार के सामान 
दशहरा दिवाली पर खीर खिलौने बताशे 
बाँटते और दान करते है
हम गिफ्ट नहीं लेते 
List में कुछ और रह गया है तो
Santa आप भी बता सकते हैं 
कुछ ले भी जा सकते हैं 
हमारे त्योहारों पर
मित्रों आप ही बताइए 
लगता है बहुत कुछ रह गया है

©Parul Sharma दाल रोटी की जगह पिज्जा बर्गर 
मिठाई की जगह केक चाकलेट 
नमकीन की जगह कुरकुरे चिप्स 
Fastival or birthday पर gift 
परोसने वाले santa 
हम लोग -

SMART BOY

#lovelife चांदनी चांद से होती है सितारों से नहीं मोहब्बत एक से होती हजारों स्टेटस life quotes tumblr positive life quotes life quotes in t

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Unsplash चांदनी चांद से होती है सितारों से नहीं मोहब्बत एक से होती है हजारों से नहीं

©SMART BOY #lovelife चांदनी चांद से होती है सितारों से नहीं मोहब्बत एक से होती हजारों स्टेटस   life quotes tumblr positive life quotes life quotes in t

Asheesh Mishra

ज्ञान के भंडार राहुल बाबा #राहुलगांधी #पप्पू #मनोरंजन #नेता #netajilapeteme #संसद

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Krisswrites

मकान मालिक ने सड़क पर फेंक दिया किराएदार का सामान... बल्लभगढ़ जेसीबी चौक, संजय कॉलोनी नजदीक रेलवे पावर हाउस.. #FaridabadNews #Ballabhgarh J

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Anuradha T Gautam 6280

#चांदनी रात है #शनिवार की बात है मैं #खिड़की में बैठकर ये चांदनी की #चौकोर को #निहारती हूं..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️

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नवनीत ठाकुर

#हर रात की तन्हाई में चांदनी खो जाती है, सहर की रोशनी भी धुंधली हो जाती है। जिन लम्हों ने दिल पर दस्तक दी थी कभी, उन्हें दरकिनार किया जाए तो

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White हर रात की तन्हाई में चांदनी खो जाती है,
सहर की रोशनी भी धुंधली हो जाती है।
जिन लम्हों ने दिल पर दस्तक दी थी कभी,
उन्हें दरकिनार किया जाए तो मुश्किल होगी।

दर्द ने संवार दी हैं ये तहरीरें दिल की,
ग़म ने निखार दी हैं तस्वीरें दिल की।
हर कहानी का एक हिस्सा बन चुका हूँ मैं,
खुद को मिटाया जाए तो मुश्किल होगी।

आसमान से तारे भी पूछते हैं सवाल,
क्यों उजाले में भी दिखता है ये मलाल?
ज़िंदगी के हर ग़म को हमने गले लगाया,
अब उन्हें छोड़ दिया जाए तो मुश्किल होगी।

©नवनीत ठाकुर #हर रात की तन्हाई में चांदनी खो जाती है,
सहर की रोशनी भी धुंधली हो जाती है।
जिन लम्हों ने दिल पर दस्तक दी थी कभी,
उन्हें दरकिनार किया जाए तो

सुरेश अनजान

#love_shayari Srashti kakodiya.. अरुण शुक्ल ‘अर्जुन' Anjna Agrawal Anjali Maurya Adv. saras shivanujaa

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White       दोहा: 

    वादे किए प्रेम में,  रहते किसको याद ।
     जैसे नेता भूलते , वादे चुनाव  बाद  ।।

©सुरेश अनजान #love_shayari  Srashti kakodiya..  अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'  Anjna Agrawal  Anjali Maurya  Adv. saras shivanujaa

gudiya

#NatureQuotes #मातृभूमि #nojotohindi nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच

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Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच 
तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि 

धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता 
और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर 
जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता 


और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती 
यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में 

सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके 
वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह

 घर के आंगन में वह  नवोढ़ा भीगती नाचती और 
काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते 
और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो 

कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ
 आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै 
तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की 
लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में 

खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे
 लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए 
यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां 
धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर 
छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है 
पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर 
सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के 
यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के 

यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ 
उनके माथे पर हाथ फेर दो मां 
इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से 
तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि 
मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं 
नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच।
-अरुण कमल

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आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच
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