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Shubham Anand Manmeet
किसने कहा है चलते जाओ उतरो मत ठीक लगे तो उतरो बे-शक़, ठहरो मत सोच लो फिर अंजाम भाग ना पाओगी फिर कहता हूँ जाओ जानां! छेड़ो मत सनकी-वनकी कह लो लेकिन प्यार करो पागल-वागल हो लो ऐसे झिझको मत तुम इतनी भी शोख़ नहीं और गर हो तो मेरी नज़र है समझी ज़्यादा मटको मत कू-ए-महब्बत में दु:ख मिलना जन्नत है रोओ चीख़ो लेकिन इससे निकलो मत उस लड़की का हुस्न तलफ़्फ़ुज़ से बाहिर उसको याद किए जाओ बस पूछो मत इश्क़ वो आतिश जिसका फ़ाइदा नुक़्सां भी यानी' इस को तापो इस में झुलसो मत उस की तरफ़ जो देखे आंखें खो दे वो दुनिया देखना हो तो उस को देखो मत एक वज़ीर-ए-आज़म है जाने किसका जिसका कहना है बस बोलो सोचो मत पहले मोहन दास करम चंद बन जाओ फिर 'गांधी' बनने की सोचो उचको मत ख़ुद आ जाओ फ़िक्र है गर मेरी इतनी शुभम आनंद 'मनमीत' से ख़त-वत भेजो मत ©Shubham Anand Manmeet किसने कहा है चलते जाओ उतरो मत ठीक लगे तो उतरो बे-शक़, ठहरो मत सोच लो फिर अंजाम भाग ना पाओगी फिर कहता हूँ जाओ जानां! छेड़ो मत सनकी-वनकी कह
Harsh Anand
किसी का खून बहाना कोई बड़ी बात नहीं चाहे वो अपना हो या सामने वाले का, बड़ी बात तो ये है कि जिस्म से टपका वह लहू आने वाली नस्लों के लहू में उबाल ला सकता है या नहीं। – "शहीद" भगत सिंह #शहीद–ए–आज़म
Ankit Mishra
कितने आफ़ताब भरे होगे शहादत कि कलम में तूने, जो मैनें हर एक हर्फ पर इन्कलाब पढा है। शहीद-ए-आज़म के नाम
WhoSiddhantSingh
ये सियासतग़र आज भी अपनी आलीशान कोठियों में आजा़दी का जश्न हर रोज़ मनाते हैं ।। दूसरी तरफ वो ग़रीब किसान जो अपना ऋण अपनी जान देकर हर रोज़ चुकाते हैं।। ये दोनो ही तसवीरें हमारे आपके वर्तमान के हिन्दुस्तान की है।। क्यों नहीं कोई कीमत सरहद पर शहीद हुए उस जवान की है।। आज महामारी और बाड़ में बरबाद हुए लोगों की लाखों में तादाद है।। 1857 से आज तक आजा़दी की लडा़ई लड़ रहा मेरा हिन्दुस्तान मुझे आज भी याद है ।। -whoसिddhantसिngh?? शहीद-ए-आज़म 🖋🔥 #bhagatsingh
Harsh Anand
दिल से निकलेगी ना मरके भी वतन कि उल्फत... मेरी मिट्टी से भी खुशबू–ए–वफ़ा आएगी। #शहीद – ए–आज़म भगत सिंह के नाम
Kavi Swaroop Dewal Kundal
शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह जी (27 सितम्बर 1907-23 मार्च 1931) जिस मुल्क में चरखे से आज़ादी लाई गई है वहाँ हर जियाले की शहादत यूँ ही भुलाई गई है हर शहर हर चौराहे पर गाँधी की प्रतिमाएँ तो है बताओ गर कहीं भगत सिंह की भी मूर्ति लगाई गई है आज के दिन भी चंद लोगों को याद आया है वो शेर वरना तो ना जाने कितनी बरसियाँ गई और आई है जिसके बलिदानों की बदौलत हम शान से जी रहे है ये खुशबु जो आ रही है ये क्यारी उस वीर की लगाई है रंग शहादत का हमको बचा कर रखना होगा हमेशा ये जो हमारे दिल में हैं ये उस भगत की रोशनाई है माँ के सपूतों का नाम भी अमर रखना होगा हमको ये वो वीर हैं जिसने अपने वतन की आबरू बचाई है शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह जी