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Sapna Meena
White अबकी बार 400 पार या फिर गठबंधन सरकार। मोदी का उतरे का मुखौटा या फिर पहनेगा जीत का हार। केजरीवाली या कन्हैया या मनोज तिवारी होगा यमुना पार। कांग्रेस और आम आदमी के लड़ गए नैना बीजेपी रह गई बिन प्यार। अबकी बार 400 पार,या फिर गठबंधन सरकार। ©Sapna Meena #car चुनाव 2024 पर कविता
Devesh Dixit
बेटियाँ (दोहे) लाड लड़ाती बेटियाँ, लाती हैं मुस्कान। तुतला कर जब बोलतीं, लगती तब नादान।। बात बड़ों सी वो करें, रखतीं सबका ध्यान। होती हैं ये बेटियाँ, दो कुल की जो शान।। कुदरत की ये है कला, दी जिसने पहचान। अद्भुत होती बेटियाँ, सिखलाते भगवान।। मरवाते जो कोख में, बन जाते हैवान। प्यारी होती बेटियाँ, कब समझे इंसान।। आसमान को छू रहीं, ऐसी भरें उड़ान। अनुपम है ये बेटियाँ, इनको दें सम्मान।। सहकर भी वह दुख सभी, करती कर्म महान। होती ऐसी बेटियाँ, क्यों बनता अनजान।। मिलती हैं सौभाग्य से, कहते सभी सुजान। जिस घर में हों बेटियाँ, वह है स्वर्ग समान।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #बेटियाँ #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry बेटियाँ (दोहे) लाड लड़ाती बेटियाँ, लाती हैं मुस्कान। तुतला कर जब बोलतीं, लगती तब नादान।। ब
कवि मनोज कुमार मंजू
बेटियाँ नहीं... हसीं परियाँ हैं... बाप के जीवन की... खूबसूरत घड़ियाँ हैं... ©कवि मनोज कुमार मंजू #बेटियाँ #पापा_की_परी #परियाँ #कोट्स #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #विचार
Shiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
Shahid0007
Autumn गुलों के रास्ते में, कांटे तो आयेंगे ही, चुभेंगे पावों में,और दिल को दहलाएंगे भी, हो सकता है डर भी लगे,और मन कहे घर लौटने को मगर, ये कांटे ही गुलों तक पहुंचाएंगे भी 🙂 ©Shahid0007 #कविता