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Dileep Kumar

हर फैसला होता नहीं सिक्का उछाल के,
ये दिल का मामला है ज़रा देख भाल के।
मोबाइलों के दौर के आशिक़ को क्या पता,
रखते थे कैसे ख़त में कलेजा निकाल के..।

©Dileep Kumar #बज़्म #शायरी

Dileep Kumar

दिसंबर तो आ गया, अब तुम कब आओगे वादा तो तुमने किया था अबकी बार
 जल्दी आना है,
और मुझे इंतज़ार करते-करते देखो आ गया साल का आखरी महीना..! #बज़्म#शायरी #Nojotohindi

BEENA TANTI

Choubey_Jii

नादां सा ख्व़ाब बुना था दिल ने,
तुझे अपना बनाने का
हरदम हरपल हरक्षण
वही ख्व़ाब सजा रहे है

दस्तूर ऐ मोहब्बत है इंतिज़ार
इल्म़ था हमें इस बात का
तिरी यादों से गुजर करके
बस वही दस्तूर निभा रहे हैं

पर विश्वास है इश्क के रसूलों पर
मेरी मोहब्बत के सच्चे उसूलों पर
मिलेगी पथिक को मंजिल तो कभी
इसीलिए बेतहाशा राहों में चले जा रहे हैं  #चौबेजी #बज़्म  #nojoto #दस्तूर #शायरी

राजेन्द्र प्र०पासवान

बज़्म #बज़्म #Gif

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आसमाँ को  ज़मीं  का जरा  सहारा चाहिए 
चहकते पंछी को दरख़्त का किनारा चाहिए 
बिखरे न घर किसी का तेज हवा के झोंके में 
उल्फ़त के बाग़ों में दिलकश नज़ारा चाहिए  #gif बज़्म 
#बज़्म

Kuldeep Shrivastava

बेपरवाह हो जाते है 
अक्सर 
वो लोग, 
जिन्हे कोई बहुत प्यार करने 
लगता है !!

©Kuldeep Shrivastava #बज़्म

कुमार_पवन

Aur batao kiski sarkar banegi is baar? शायर होने का नुकसान भी
क्या खूब हुआ मुझे...!
हमने कहा मोहब्बत हैं आपसे
और वो बोले...

वाह वाह क्या बात है....!! #बज़्म

राजेन्द्र प्र०पासवान

तेरे चेहरे पर जबसे उल्फ़त का नूर आया है 
जागी-जागी रात उलझी-उलझी साँझआई है 
🌸 
तेरे इशारे से सपनों की परियां जाग उठी है 
बनके कली कोई आँखों में झांकने आई है 
🌸
दिल को नूर से मांजकर ,आइना बनाया हूँ 
मुझे देख फूलों की बग़िया भी नाच उठी है 
🍃🌸🌱🍀🌹🌼🌻🌺🌿🌾🍃🌺 #बज़्म

राजेन्द्र प्र०पासवान

फुर्सत मिली तो आऊँगा कभी 
बाकी जज़्बातें सुनाऊंगा सभी 
सैर गाँव का कर जाऊँगा कभी 
सबके आँगन में जाऊँगा कभी 
गीत ज़िन्दगी का सुनाऊंगा कभी 
सबकी ख़ैरियत सुनाऊंगा कभी 
जो पूछेगा कोई मेरे दिल का हाल
कह दूँगा वक़्त नहीं है मेरे पास 
फ़ोन  की घंटी बज रही है अभी 
सुनाऊंगा  दिल का हाल कभी 
 #बज़्म

राजेन्द्र प्र०पासवान

     कविता                       
मिटाने से नहीं मिटती है दिल की आशा 
दिल में जगी थी जो प्रेम की अभिलाषा 
मैं गुलाबों पर मंडराता था कभी-कभी 
गुलाबों ने हँस कर गले न लगाया कभी 
बाग़ों में   जो आम का मंजर खिला था 
झुमती हवा में मनमोहक सुगंध फैली थी 
ऐसी मदमाती यौवन में मुझको मिली थी 
तू मेरे समक्ष ठहर कर क्या सोच रही थी 
तेरे-मेरे प्रेम    अंकुरण की यही घड़ी थी 
क्या-क्या न शरारत सिखाती है पँछी, हवा 
गुजरूँ तेरी गली से तुझको बुलाती है हवा 
पँछी   भी  सुर में गाते हैं प्यार भरा नग़मा 
हवा भी दिल को छू कर जगाती है आशा  #बज़्म
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