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New जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजंगमस्फुरद्धगद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्। Quotes, Status, Photo, Video

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||स्वयं लेखन||

ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव! एक केशर विलेपित कोमल कमल राजकन्या, शोभित न्यारी ललित ललाट, दिव्य छविधारी गौरी प्यारी। #thought #विचार #Life_experience

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ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव!


एक केशर विलेपित कोमल 
कमल राजकन्या,

शोभित न्यारी ललित ललाट, 
दिव्य छविधारी गौरी प्यारी।

दूजे शोभित हैं भभूत,विषधर
नीलकंठ मुंडमाल से भरा कंठ, 

धारण किए चंद्र चमक रहा 
मस्तक,

जटाधारी केश,भाल त्रिनेत्र 
बर्फाच्छादित निवास क्षेत्र।
  
पर्वतपुत्री शोभित न्यारी
कनक बसन कंचुकी सजाए,

स्वर्ण आभूषण शोभा भाए,

हृदय में शिव को बसाए,

एक ही हठ वर बने शिवशंकर
जाती कैलाश शिखर 

निष्ठावान प्रेम संकल्प लिए 
शैल सुता पूजती शिवलिंग,

अन्न जल त्याग प्रेमरस भींग,

वैरागी शिव के हृदय में कर प्रेम 
जागृत,

किया शक्ति ने स्वयं को समर्पित।

©||स्वयं लेखन|| ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव!


एक केशर विलेपित कोमल 
कमल राजकन्या,

शोभित न्यारी ललित ललाट, 
दिव्य छविधारी गौरी प्यारी।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा   दाम छन्द 121   121   121   121 सुनो रघुनाथ खडा अब दास । हरो सब ताप लगी है आस ।। #कविता

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विधा   दाम छन्द
121   121   121   121
सुनो रघुनाथ खडा अब दास ।
हरो सब ताप लगी है आस ।।
न ठूँठ बने अब मानव गात ।
करो न भला तुम ही अब तात ।।

जपूँ हरि नाम कहे हनुमान ।
कटे सब फंद करे जब ध्यान ।।
सुनो तन मानव है हरि धाम ।
भजो फिर लाल सदा प्रभु राम ।।

वही रघुनंदन है घनश्याम ।
रहा जग सुंदर है यह धाम ।।
लगाकर चंदन मैं नित भाल ।
करूँ फिर वंदन लेकर थाल ।।
२७/१२/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा   दाम छन्द

121   121   121   121


सुनो रघुनाथ खडा अब दास ।

हरो सब ताप लगी है आस ।।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौकडिया छन्द रघुवर अपने घर आ जाओ , मातु साथ ले आओ । बरसो कर ली बहुत प्रतिक्षा , अब तो दरश दिखाओ ।। जायें जल घर-घर फिर दीपक , खुशियाँ संग #कविता

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चौकडिया छन्द

रघुवर अपने घर आ जाओ , मातु साथ ले आओ ।
बरसो कर ली बहुत प्रतिक्षा , अब तो दरश दिखाओ ।।
जायें जल घर-घर फिर दीपक , खुशियाँ संग मनाओ ।
चंदन भाल लगाए हम सब , अवसर हमें दिलाओ ।।

आने वाली है दीवाली ,  हर घर में खुशहाली ।
कोयल मीठे गान सुनाती , देखो डाली-डाली ।।
धरती से अम्बर तक दिखती , देखो छटा निराली ।
आने वाले हैं जो जग में , वह हैं जग के माली ।।

राहों में तुम फूल बिछाओ ,मिलकर धूम मचाओ ।
आने वाले है रघुनंदन , नगरी आज सजाओ ।।
दुल्हन जैसी लगे अयोध्या ,गीत खुशी के गाओ ।
ढ़ोलक बाजे कान्हा नाचे , खुशियाँ सभी मनाओ ।।


२७/१२/२०२३        महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौकडिया छन्द


रघुवर अपने घर आ जाओ , मातु साथ ले आओ ।

बरसो कर ली बहुत प्रतिक्षा , अब तो दरश दिखाओ ।।

जायें जल घर-घर फिर दीपक , खुशियाँ संग

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जिलाधिकारी ने निर्माणधीन राजकीय बालिका इण्टर कालेज का किया निरीक्षण बहराइच 17 अक्टूबर। गेंदघर स्थित राजकीय पुस्तकालय की साफ-सफाई, पुस्तकालयो #न्यूज़

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Ankur tiwari

#janmashtami अधरो पर बंसी सजे,सजे मोर पंख से भाल रास रचाए वृदावन में, जिसके संग घूमे ग्वाल चढ़कर कदंब की डाली जब वो छेड़े मीठी तान मंत्र मु #Poetry

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अधरो पर बंसी सजे, सजे मोर पंख से भाल
रास रचाए वृदावन में, जिसके संग घूमे ग्वाल
चढ़कर कदंब की डाली जब वो छेड़े मीठी तान
मंत्र मुग्ध हो जाते सब पशु पक्षी और भगवान
अपनी नटखट बातों से जो सबके मन को मोहे
माखन मिश्री और पूरी बड़ी उसके मन को मोहे
जिसकी रोज उलहनाये सुन यशोमती घबराएं
पकड़कर जिसको ओखली में वो बांध के आए
फिर भी बान ना छूटे बड़ा नटखट हैं वो ग्वाल
गोकुल में हैं घर उसका सब कहें उसे नंदलाल 
अपनी मीठी मुस्कान से जो सबका मन लुभाए
करके माखन चोरी और साफ़ निकल वो आए 
राधा के संग रास करें हैं गोपियां जिसपे निहाल
बड़ा ही सहज सांवरो सुंदर हैं मेरा कृष्ण गोपाल

©Ankur tiwari #janmashtami 
अधरो पर बंसी सजे,सजे मोर पंख से भाल
रास रचाए वृदावन में, जिसके संग घूमे ग्वाल
चढ़कर कदंब की डाली जब वो छेड़े मीठी तान
मंत्र मु

KP EDUCATION HD

पीएम मोदी ने लाल किले से कहा आज जब मैं अमृतकाल में आपसे बात कर रहा हूं, यह अमृतकाल का पहला वर्ष है। अमृतकाल के पहले वर्ष में मैं आपको पूरे व #न्यूज़

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मिलें आप जो चाय पे , कर ली फिर दो बात । इसी बहाने आप से , हो सीधी मुलाकात ।।१ बढ़ जाये फिर चाय का , स्वाद और भी खूब । आप रहे सम्मुख सुनो #कविता

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मिलें आप जो चाय पे , कर ली फिर दो बात ।
इसी बहाने आप से  ,  हो सीधी मुलाकात ।।१

बढ़ जाये फिर चाय का , स्वाद और भी खूब ।
आप रहे सम्मुख सुनो  , औ हम जाये  डूब ।।२

हर चुस्की पे चाय की , किया प्रेम की बात ।
बिन मिश्री मीठी लगी , अपनी वह मुलाकात ।।३

जूठी करके दे रही , नित्य सुबह की चाय ।
कहती दिन मीठा रहे , उत्तम यही उपाय ।।४

निर्मंल मन को देखिए , तन के क्या है हाथ ।
प्रेम -प्रीत  की डोर तो , बाँधे  जीवन  साथ ।।५

पीते थे हम भी कभी  , चाय आपके साथ ।
छुड़ा लिए  है आपने , आज  हाथ से हाथ ।।६

लौट नहीं  पाया  कभी , देखो  वह रविवार ।
अदरक वाली  चाय में , मिला आपका प्यार ।।७

चंदा भी छुपता रहे  , देख  तुम्हारा  भाल ।
रूप तुम्हारा देखकर , मन में  उठे सवाल ।।८

कहीं  और  देखा  नही , ऐसा  सुंदर  रूप ।
जन जन को वह मोह ले , रंक दिखे या भूप ।।९

देख पिया खिलने लगा , गोरी का हर अंग ।
अधरो से मिलने लगा , आज हिना का रंग ।।१०
१५/०९/२०२२     - महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मिलें आप जो चाय पे , कर ली फिर दो बात ।
इसी बहाने आप से  ,  हो सीधी मुलाकात ।।१

बढ़ जाये फिर चाय का , स्वाद और भी खूब ।
आप रहे सम्मुख सुनो

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मिलें आप जो चाय पे , कर ली फिर दो बात । इसी बहाने आप से , हो रही मुलाकात ।।१ बढ़ जाये फिर चाय का , स्वाद और भी खूब । आप रहे सम्मुख सुनो , #कविता

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मिलें आप जो चाय पे , कर ली फिर दो बात ।
इसी बहाने आप से  ,  हो रही मुलाकात ।।१

बढ़ जाये फिर चाय का , स्वाद और भी खूब ।
आप रहे सम्मुख सुनो  , औ हम जाये  डूब ।।२

हर चुस्की पे चाय की , किया प्रेम की बात ।
बिन मिश्री मीठी लगी , वहीं चाय की रात ।।३

जूठी करके दे रही , नित्य सुबह की चाय ।
कहती दिन मीठा रहे , उत्तम यही उपाय ।।४

निर्मंल मन को देखिए , तन के क्या है हाथ ।
प्रेम -प्रीत  की डोर तो , बाधे  जीवन  साथ ।।५

पीते थे हम भी कभी  , चाय आपके साथ ।
छुड़ा लिए  है आपने , आज  हाथ से हाथ ।।६

लौट नहीं  पाया  कभी , देखो  वह रविवार ।
अदरक वाली  चाय में , मिला आपका प्यार ।।७

चंदा भी छुपता रहे  , देख  तुम्हारा  भाल ।
रूप तुम्हारा देखकर , मन में  उठे सवाल ।।८

कहीं  और  देखा  नही , ऐसा  सुंदर  रूप ।
जन जन को वह मोह ले , रंक दिखे या भूप ।।९

देख पिया खिलने लगा , गोरी का हर अंग ।
अधरो से मिलने लगा , आज हिना का रंग ।।१०
१५/०९/२०२२     - महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मिलें आप जो चाय पे , कर ली फिर दो बात ।
इसी बहाने आप से  ,  हो रही मुलाकात ।।१

बढ़ जाये फिर चाय का , स्वाद और भी खूब ।
आप रहे सम्मुख सुनो  ,
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