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Anupama Jha
क्यूँ कहते मुझे परित्यक्ता? ???????????????? जिसने दिया न सम्मान उसको छोड़ा "मैंने" जो बंधन बाँध न सकी उसको तोड़ा "मैंने" था निज स्वाभिमान प्यारा न जुर्म था सहना गवारा हाँ उस पुरुष को छोड़ा मैंने घर अपना तोड़ा मैंने अफसोस नही न कोई जश्न है बस एक प्रश्न है है एक छोटी सी दुविधा वो परित्यक्त? या मैं परित्यक्ता?? Anupama jha #परित्यक्ता#YQbaba#YQdidi
Harendra Singh Lodhi
मानवता के इन मेलों में मेरे भी कुछ अपने हैं। एक ढलती सहमी सहमी सी सांझ मेरी है, तो उस परित्यक्त पड़े खंडहर मन्दिर में एक दीपक तक को तरसतीं वो पाषाण मूर्तियां मेरी हैं, गांव के छोर अवस्थिति वो तन्हा कुटिया, उसमें निवसित हाड़ हाड़ वो बूढ़ी बुढ़िया अहा! उसके आरे में रखा तिमिर से लड़ता वो अभिमन्यु दीया मेरा है, अपने ही दल से विलग हुआ, स्वनीड लौटता वो थका हारा चरेरू मेरा है। मानवता के इन मेलों में मेरे भी कुछ अपने हैं। ©Harendra Singh Lodhi परित्यक्त #अकेलापन #तन्हा #पराजित #हिन्दीकविता #हिन्दी_साहित्य #stay_home_stay_safe
Dr SONI
Nisheeth pandey
प्रकाश जो चमकता है मेरी कविता में किस कौतूहल की तेरी मेरी एक नजर में एक टूटे पुराने प्यार के चटकते रंग उन्माद भरी कहानी , एक हृदयस्पर्शी एहसासें , एक परित्यक्त पीड़ा ...... किसी पंछी के उजड़ते पंख ..... ये कैसा सूरज की किरण में निशीथ पहर का बसेरा ..... #निशीथ ©Nisheeth pandey प्रकाश जो चमकता है मेरी कविता में किस कौतूहल की तेरी मेरी एक नजर में एक टूटे पुराने प्यार के चटकते रंग उन्माद भरी कहानी , एक हृदयस्पर्शी
Nisheeth pandey
प्रकाश जो चमकता है मेरी कविता में किस कौतूहल की तेरी मेरी एक नजर में एक टूटे पुराने प्यार के चटकते रंग उन्माद भरी कहानी , एक हृदयस्पर्शी एहसासें , एक परित्यक्त पीड़ा ...... किसी पंछी के उजड़ते पंख ..... ये कैसा सूरज की किरण में निशीथ पहर का बसेरा ..... #निशीथ ©Nisheeth pandey प्रकाश जो चमकता है मेरी कविता में किस कौतूहल की तेरी मेरी एक नजर में एक टूटे पुराने प्यार के चटकते रंग उन्माद भरी कहानी , एक हृदयस्पर्शी
Nisheeth pandey
प्रकाश जो चमकता है मेरी कविता में किस कौतूहल की तेरी मेरी एक नजर में एक टूटे पुराने प्यार के चटकते रंग उन्माद भरी कहानी , एक हृदयस्पर्शी एहसासें , एक परित्यक्त पीड़ा ...... किसी पंछी के उजड़ते पंख ..... ये कैसा सूरज की किरण में निशीथ पहर (अर्धरात्रि का समय)का बसेरा ..... #निशीथ ©Nisheeth pandey #khoj प्रकाश जो चमकता है मेरी कविता में किस कौतूहल की तेरी मेरी एक नजर में एक टूटे पुराने प्यार के चटकते रंग उन्माद भरी कहानी , एक हृदयस
Arun Nagar
शहर की रैलियां ठंडी पड़ गई हैं इस पहर अलाव में आग नहीं जलाई जाती सब परित्यक्त प्रेमी हो गए हैं नशेड़ी सो रहे हैं,जाग रहे हैं बचे खुचे उदास कविता को खा रहे हैं बचे खुचों से बचे हुए मैं और तुम प्रिय सड़कों पर रोमांस रोमांस चिल्लाते भाग रहे हैं अपने ईश्वर की जानिब। ©Arun Nagar शहर की रैलियां ठंडी पड़ गई हैं इस पहर अलाव में आग नहीं जलाई जाती सब परित्यक्त प्रेमी हो गए हैं नशेड़ी सो रहे हैं,जाग रहे हैं
vasundhara pandey
"परित्यक्त " चीखता जब ह्रदय, प्रयास ये अभी अपूर्ण है! "परित्यक्त " परित्यक्त होना एक बूँद हलाहल के घूँट सा, दाह्य हृदय सिथिल होता अनाथ सा! अवसर या अपराध सब अज्ञात हो, रह बचा बस ख़ामोशी का अल
Tanvi Goyal
स्त्री सीता बन सकती है बुद्ध नही। by tanvi goyal read in caption स्त्री सीता बन सकती है बुद्ध नही। अंधेरी रातों में जब वो घर छोड़ कर जाती है, समाज के उलाहनों से घिर जाती है, पापी कपटी शब्दों से पुकारी जाती
Niwas
परित्यकता परित्यकता मेरे मकान मालिक की बहू,जिसे देखती है दुनिया गिद्ध नज़रों से जिसे समझते हैं दुनिया वाले आसान शिकार।। उसे देख मैं द्रवित हो उठता हू