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अदनासा-
Instagram id @kavi_neetesh
दुनिया के सागर में हम, खोजी बनकर उतर गये मिला बहुत कुछ मगर, अपनों से हम छितर गये हर खोज का उद्देश्य था, मन को सुकून दिलाना कठिनाइयां दूर करके, जीवन को सुगम बनाना इतने अविष्कार करके भी, जीवन से हुए निराश नींद गंवाकर किया है, अपने आराम का विनाश जिस ख़ोज में जाना था, उस मार्ग से हम भटके अनेक परेशानियों में हम, खुद ही आकर अटके बाहर सारा संसार देखा, थोड़े तो भीतर भी आते मुलाकात होती खुद से, अपना परिचय भी पाते बाहर भटकना छोड़कर, अपने अंतर्मन में आओ अपने आत्म स्वरूप का, तुम पूरा परिचय पाओ आत्म दर्शन करके तुम्हें, शांति का होगा अनुभव रोज ये अभ्यास करके, शांति पाना होगा सम्भव अपने भीतर की खोज का, करते रहना अभ्यास सच्चा सुकून पाओगे तुम, खुद पर रखो विश्वास ©Instagram id @kavi_neetesh *अपने भीतर की खोज* दुनिया के सागर में हम, खोजी बनकर उतर गये मिला बहुत कुछ मगर, अपनों से हम छितर गये हर खोज का उद्देश्य था, मन को सुकून दिल
Ravi Sharma
हर श्वास एक आस है , यही आस विश्वास आंख मूंद के मान लो, वहीं है अंध विश्वास।। हर खोजी के पास है , कुछ पाने की आस अपने मन में खोजिए , वहीं प्रभु का वास।। शुकराना करते रहो और खुश रहने का प्रयास उसने ही सब करना , उस पर हो विश्वास।। भेद बड़ा ही गूढ़ है , क्या है अंध विश्वास जो मन को है भा गया , बस वो ही है विश्वास।। जीरो को जब भी मिले ,एक digit का साथ 'रवि' जीरो भी हीरो बने , ये होता है विश्वास।। ।। रवि ।। ©Ravi Sharma #chaand हर श्वास एक आस है , यही आस विश्वास आंख मूंद के मान लो, वहीं है अंध विश्वास।। हर खोजी के पास है , कुछ पाने की आस अपने मन में खोजिए ,
Lk jha
उम्र को कोसते अपनी झोली समेटते फटे छाते कि छांव में ग्राहक तलाशते मैं एक मोची.. कोई पहचान नहीं बस नुक्कड़ों का खोजी मौला को धिक्कारते अब लोग पुराने चप्पल पुराने जूते नहीं पहनते फिर नये क्यों टूटेंगे पर हम हर दिन टूटेंगे लोग दिवाल पे लोकतंत्र बचाते वहीं जहाँ मेरी चटाई बिछती सभी बस देखते आते -जाते लोकतंत्र को निहारते अब हाथ थरथराने लगे ग्राहक उम्र देख मटियाने लगे बच्चे ना आरक्षण लिये ना रोजगार बस बचा उम्र लाचार अब निग़ाहें विश्राम ढूंढ़ती है सुकूं कि रोटी थोड़ा मान ढूंढ़ती है पर कैसे करूँ बंद अपनी दूकान यहीं है घर,यहीं रोटी, यहीं आराम .. Lkjha"राही " ©Lk jha मैं एक मोची ख़ुद का खोजी #boat
Ayesha Aarya Singh
भटकती मार्ग ही हमें ,सटीक मार्ग बताती है , खोजी बनकर हम फिरे तो,मंजिल तक पहुँचाती हैं || ©Ayesha Aarya Singh #khoj भटकती मार्ग ही हमें ,सटीक मार्ग बताती है खोजी बनकर हम फिरे तो,मंजिल तक पहुँचाती हैं || #nojoto #shayari #Ayesha #love #life #knowledg
ranvee_singhh
.*कामयाबी* वक्त की जरूरतों ने हमें अपने ही आशियाने से बिछड़ने पर मजबूर कर दिया। जिसके सुनहरे आंचल में सुकून पलता था उसी मां की ममता से दूर कर दिया॥ तारीफें मिली पर सुकून नहीं, कमाई शोहरत ने पराए शहर में भी मशहूर कर दिया। आ गया तो घर लौटा ही नहीं जरा सी कामयाबी ने हमें दौलत के नशे में चूर कर दिया॥ *संघर्ष* घर से निकले तो दर दर भटके इक आशियाने को खोजने पर मजबूर कर दिया। अपने घर में देर तलक सोता था मैं ,पर नए घर ने जल्द उठने पर मजबूर कर दिया॥ वो जली रोटी वो अधूरी पकी सब्जी खाने पर मजबूर कर दिया! पहले हालातो ने बनाया शिकार मुझे फिर अपनो से भी मुझको दूर कर दिया॥ नौकरी बहुत खोजी पर नौकरी न मिली, दोस्तो ने भी अब मुझसे मुंह फेर लिया। पहले वक्त ने छीन ली खुशियां मेरी, फिर वक्त ने ही हमे न रोने पर मजबूर कर दिया॥ छोटी सी नौकरी की तलाश ने भटकाया बहुत, इक धैर्य ही तो था जो काम आया बहुत। योग्यता तो थी ही नहीं बचपन से बस डिग्रियां कमाई ,पर इन्ही डिग्रियों ने हमें भटकाया बहुत॥ नौकरी मिली भी तो योग्यतानुसार नही थी, काम तो बहुत था पर काम से प्यार नहीं। पर इन घर की मजबूरियों ने ही, हमें अनचाहे रास्ते पर चलाया बहुत॥ मुहब्बत भले न हुई मुझे काम से तो क्या, इस शहर में नाम बनाया बहुत। चंद दिनों की मेहनत मेंरी जिंदगी बना दी, पर मेरे भोले ने मुझे आजमाया बहुत॥ हिम्मत नही हारी फिर भी मैंने बस कर्म किया और कर्म से ही मैंने कमाया बहुत। इक छोटी सी नौकरी की तलाश ने भटकाया बहुत, मेरा धैर्य ही था जो काम आया बहुत॥ ©ranvee_singhh #friends .*कामयाबी* वक्त की जरूरतों ने हमें अपने ही आशियाने से बिछड़ने पर मजबूर कर दिया। जिसके सुनहरे आंचल में सुकून पलता था उसी मां की ममता
Kulbhushan Arora
क्रिसमिस की आप सबको बधाई ना केक ना चॉकलेट न है मेरे पास मिठाई, सबके लिए थोड़ी खुशी ले के आया हूं भाई, खुशी से बड़ी होती है क्या कोई सी मिठाई? बहुत खोजी मुझे तो समझ
CM Chaitanyaa
"श्रीराम चरितावली" प्रस्तावना : जिनका मुख-मंडल देख, अश्रु जल छलके अविराम। वे हैं नील मणि की भाँति, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम।। दशरथ के नंदन बड़े अद्भुत,
विष्णुप्रिया
गृहस्थ और वैराग्य के मध्य उलझे कुछ विचार, कुछ भाव, कुछ मान्यताएं, और, उनका उत्तर खोजती मैं... इसी उधेड़बुन में यह कहनी रच गई... ' हिमाद्रि ' कैप्शन में पढ़े... हिमालय....यह....नाम सुनते ही तीव्र अद्यात्मिक ऊर्जा का संचार सा होने लगता है मेरे भीतर । फिर भी आज तक हिमालय दर्शन का सौभाग्य, प्राप्त ना हो
Gopal Lal Bunker
कमाई ••••••••• चलता कब है जीवन सबका। मिलता कब है चैन गजब का।। निकट न सबके कुछ भी होई। बिना बनें जीवन में कोई।। ▪️▪️▪️ काम मेहनत से है बनता। कुछ करने से है कुछ मिलता।। आसान नहीं है कुछ करना। खून बहा पड़ता है मरना।। ▪️▪️▪️ मानव सभी अन्न भोजी हैं। अर्थ कमाई के खोजी हैं।। पाते हैं रोजी श्रम साधक। होता है सब फिर सुख कारक।। ▪️▪️▪️ ( कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें ) ✍️ गोपाल 'सौम्य सरल' करनी है यदि तुम्हें कमाई। करलो भाई सभी पढ़ाई।। पाकर शिक्षा सब कुछ पाओ। अर्थ सही निज हाथ कमाओ।। ▪️▪️▪️ कर्म भले हैं नेक कमाई। करता जो है मिले भलाई।। जग में फिर उसका नाम चले। उसकी करनी संतान फले। ▪️▪️▪️ झूठे जब बनते हैं झूठे।। कर्म किए बिन किस्मत रूठे। पाते वे कब खरी कमाई। होती उनकी जग रुसवाई। ▪️▪️▪️ नेक कमाई करलो भाई। बंद करो सब व्यर्थ खपाई।। है जीवन यह लेना देना। चल साथ सभी के है खेना।। ▪️▪️▪️ फल नेक कमाई का सद्गति। चलती है चाल सही सन्मति।। पुन्य सदा जिसका है मिलता। सबके घर सुख फल है खिलता।। ▪️▪️▪️ है इस जग में सब क्षण भंगुर। है पीछे लगा काल झिंगुर।। मत तुम सब मुठ्ठी भींच तनों। जग प्रिय हो सब जगदीश बनों।। ▪️▪️▪️ ✍️ गोपाल 'सौम्य सरल' #कमाई #चौपाई #जीवन #restzone #glal #yqdidi #rzलेखकसमूह 👀👀👀👀👀 गोपाल 'सौम्य सरल' चौपाई: कमाई ••••••••••••••••••