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HintsOfHeart.
"यदि स्वर्ग कहीं है पृथ्वी पर, तो वह नारी उर के भीतर, दल पर दल खोल हृदय के अस्तर जब बिठलाती प्रसन्न होकर वह अमर प्रणय के शतदल पर! मादकता जग में कहीं अगर, वह नारी अधरों में सुखकर, क्षण में प्राणों की पीड़ा हर, नव जीवन का दे सकती वर वह अधरों पर धर मदिराधर।"¹ ©HintsOfHeart. #सुमित्रानंदन_पंत #Good_Night 💖 1. सुमित्रानंदन पंत की कविता 'स्त्री' का अंश।
#सुमित्रानंदन_पंत #good_night 💖 1. सुमित्रानंदन पंत की कविता 'स्त्री' का अंश। #womensday
read moreनवीन बहुगुणा(शून्य)
महान कविवर श्री सुमित्रानंदन पंत जी की जयंती पर कोटि कोटि नमन🙏🙏🇮🇳🍃 #सुमित्रानंदनपंत#महानकविnojoto#Nojotoindia
read moreGeetkar Niraj
प्रकृति पर कविता/Poem on nature in hindi जलमग्न हुई कहीं धरा,कहीं बूंद-बूंद को तरसे धरती। किसने छेड़ा है इसको, क्यों गुस्से में है प्रकृति।। किसने घोला विष हवा में,किसने वृक्षों को काटा ? क्यों बढ़ा है ताप धरा का,क्यों ये धरती जल रही ? जिम्मेवार है इसका कौन,क्यों ग्लेशियर पिघल रही ? किसने इसका अपमान किया, कौन मिटा रहा इसकी कलाकृति ? किसने छेड़ा है इसको,क्यों गुस्से में..........? धरती माँ का छलनी कर सीना,प्यास बुझाकर नीर बहाया। जल स्तर और नैतिकता को भूतल के नीचे पहुँचाया। विलुप्त हुये जो जीव धरा से,जिम्मेवार है उसका कौन ? जुल्म सह-सहकर तेरा, अब नहीं रहेगी प्रकृति मौन। आनेवाले कल की जलवायु परिवर्तन झाकी है। टेलर है भूकंप, सुनामी, पिक्चर अभी बाकी है। फिर नहीं कहना कि क्यों कुदरत हो गई बेदर्दी ? किसने छेड़ा है इसको ,क्यों गुस्से में............3। ©Geetkar Niraj प्रकृति पर कविता। #natre #poemonnature #geetkarniraj
प्रकृति पर कविता। #natre #Poemonnature #geetkarniraj
read moreAlok tripathi
सुन्दर हैं विहग, सुमन सुंदर, मानव!तुम सबसे सुंदरतम्, निर्मित सबकी तिल सुषमा से, तुम निखिल सृष्टि में चिर निरूपम्। ©आलोक त्रिपाठी मानव प्रेम का चित्रण पंत की इस कविता में देखिए। #NojotoRamleela
मानव प्रेम का चित्रण पंत की इस कविता में देखिए। Ramleela #NojotoRamleela
read moreDR. SANJU TRIPATHI
प्रकृति की सुंदरता (कविता) सुबह सवेरे पूरब से जब किरणों संग सूर्योदय होता है, लगता है वो दृश्य अति मनोहर, मन आनंदित होता है। कहीं धूप,कहीं छांव निराली चारों ओर फैली हरियाली, प्रकृति की सुंदरता को देख कर,मन प्रफुल्लित होता है। कभी पतझड़ लाती, कभी बसंत,कभी गर्मी,कभी सर्दी, हर मौसम की अपनी सुंदरता, हर रूप अनोखा होता है। वन,नदियांँ,पर्वत और सागर गरिमा बढ़ाते हैं प्रकृति की, अन्न,धन,जल व उर्जा का प्रकृति में भंडार भरा होता है। पशु-पक्षी गाते हैं तितली और भंँवरे बागों में गुनगुनाते हैं, कभी बादल,कभी नीला आसमान खूबसूरती बढ़ाता है। प्रकृति की सुंदरता बचाने का हमको प्रयास करना होगा, प्रकृति पर ही तो सभी जीवों का जीवन आश्रित होता है। प्रकृति की सुंदरता(कविता) #कोराकागज #collabwithकोराकागज #KKPC16 #विशेषप्रतियोगिता
प्रकृति की सुंदरता(कविता) #कोराकागज #collabwithकोराकागज #kkpc16 #विशेषप्रतियोगिता
read moreविष्णुप्रिया
वह बसंत का रंगोत्सव, वर्षा की वह मुग्ध सुगंध, शरद पर्णिमा का निर्मल शीतल चंचल वह पूर्णचंद्र, वह पतझड़ के पर्णो का स्पन्दन नव कोपलों की वह सिहरन.... जिन पर विहगों का मधुमय गान, और नादिया का मीठा पान, कशी के घाटों की वह चहलपहल, और वह गंगा का पावन जल अल्हड धारा जिसकी भरती, मन में मेरे, नव जीवन संबल । ऐसा अनुपम रूप शाश्वत, अन्यत्र क्हाँ संभव है, ये तो मेरी मातृभूमि को ईश्वर का प्रेम नमन है । #yqdidi #कविता #प्रकृति #yqlife
Shailendra Singh Yadav
कुछलोग नदी के पुल पर छलांग लगा कर नहां रहे थे। कुछ लोग स्वीमिंग पूल पर नहां रहे थे। कुछ लोग निशुल्क नहां रहे थे। कुछ शुल्क देकर नहां रहे थे। नदी के पुल का स्नान प्राकृतिक था । स्विममिंग पूल का स्नान अप्राकृतिक था। प्राकृतिक में मजा है । बनावटी तो सजा है। नदी का बहता पानी पवित्र है। स्विममिंग पूल का रुका पानी अपवित्र है। कवि:- शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता प्रकृति में मजा है।
शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता प्रकृति में मजा है।
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