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Pradeep Kalra
AJAY NAYAK
आ रंग दूं ऐ मेरी राधा आ रंग दूं, धीरे धीरे से तेरी स्वेत गलियां । ऐसा रंग लगाऊं ऐसा रंग चढ़ाऊं मेरा खुद का श्याम रंग भी लागे फीका फीका। तू जितना उतारे रगड़ रगड़ के वो चढ़ता जाए बिच्छू विष समाना। तेरे लाल होठों को छू के एक एक करके बस निकले गालियां। मेरे लिए तो बस यही है तेरी वो बलायियां। जिसे सुनने को जिसे पाने को मैं हर बार जनम लू यहां । जब भी मिले रंग दूं मैं धीरे धीरे से तेरी स्वेत गलियां। ऐ मेरी राधा आ रंग दूं। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Holi आ रंग दूं ऐ मेरी राधा आ रंग दूं, धीरे धीरे से तेरी स्वेत गलियां । ऐसा रंग लगाऊं
Rao Talha Rajput
दूर रहती हैं सदा उनसे बलाये सारी जिनके सर पर हाथ बुजुर्गो का होता है...
🅼🆄🅺🅴🆂🅷 🅶🆄🅿🆃🅰
बलाये उसकी सारी, मुझको ऐ खुदा दे देना, मैंने उस पाकीजगी से, सर को उसके चूमा है ।। बलाये उसकी सारी, मुझको ऐ खुदा दे देना, #mukeshguptaquotes #lovequote #love #shayari #bestshayari #broken #hindi #gazal #urdu #poem
कवि प्रदीप वैरागी
मुसीबत जब भी आती है बलायें टाल देती है। दुआओं की मुझे अपनी सदा ही ढाल देती है।। मुकद्दर का सिकंदर हूँ तेरा आशीष पाकर के, जब भी गिरता हूँ
कवि रोशनलाल "हंस"
आज का ज्ञान दोस्तो के सामने कहते थे देख ये तेरी 💑भाभी है उस लड़की की आज दोस्तो किसी और से शादी है😳 Dosto Ke Samne Kahte The Dekh Ye Teri 💑 Bhabhi Hai Us Ladki Ki Aaj Dosto Kisi Aur Se Shadi Hai 😳 सारी बलायें लेती जा तुझको दुखी परिवार मिले
_Ram_Laxman_
मय ओखर ले बिहाय के आस लगाय हावव । मोर दाई ले मिले बर ओला घर बलाय हावव । जब घर आईस ता मोर दाई ओला पसंद कर डरिस... तब ले ओला मय मोर दाई बर बहू बने बर मनाय हावव ।। ©_judwaa_writes_ मय ओखर ले बिहाय के आस लगाय हावव । मोर दाई ले मिले बर ओला घर बलाय हावव । जब घर आईस ता मोर दाई ओला पसंद कर डरिस... तब ले ओला मय मोर दाई बर
Amit kumar jha
होंगे सारे अंधेरे दूर उम्मिद का एक दीया जलाओ तो सही,, मंजिल भी मिल ही जायेगी कदम आगे बढ़ाओ तो सही.. कर दे रौशन तू सारे जहाँ को अपने तेज़ से,, सारी बलाये मिट जायेगी रब को एक बार गुहार लगाओ तो सही.. होंगे सारे अंधेरे दूर उम्मिद का एक दीया जलाओ तो सही... 5th April at 9:00 P.M Ak. Amit होंगे सारे अंधेरे दूर उम्मिद का एक दीया जलाओ तो सही,, मंजिल भी मिल ही जायेगी कदम आगे बढ़ाओ तो सही.. कर दे रौशन तू सारे जहाँ को अपने तेज़ से,
Kumar.vikash18
सिक्के अब चलते नहीं जमाना नोटों का है फिर भी कटोरे में आज सिक्के डालते हैं लोग ! और चन्द सिक्कों के बदले नोटों की दुआ माँगते हैं लोग !! बैठा मंदिर के द्वार पर जिसे लोग समझे हैं भिखारी ! दरअसल वही तो है खोटे सिक्कों का व्यापारी !! लेकर सब बलायें तुम्हारी सिक्कों के रूप में ! बांटता वह अपनी दुआओं की दौलत सारी !! और खुद रहता जिन्दगी भर भिखारी का भिखारी ! क्यों की वह तो ठहरा खोटे सिक्कों का व्यापारी !! खोटा सिक्का Shambhu Kumar Gupta Amit Tiwari Lalit Kushwah Pratyush (🅿S🅿) Mukesh Poonia सिक्के अब चलते नहीं जमाना नोटों का है फिर भी कटोरे म