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AJAY NAYAK
आ रंग दूं ऐ मेरी राधा आ रंग दूं, धीरे धीरे से तेरी स्वेत गलियां । ऐसा रंग लगाऊं ऐसा रंग चढ़ाऊं मेरा खुद का श्याम रंग भी लागे फीका फीका। तू जितना उतारे रगड़ रगड़ के वो चढ़ता जाए बिच्छू विष समाना। तेरे लाल होठों को छू के एक एक करके बस निकले गालियां। मेरे लिए तो बस यही है तेरी वो बलायियां। जिसे सुनने को जिसे पाने को मैं हर बार जनम लू यहां । जब भी मिले रंग दूं मैं धीरे धीरे से तेरी स्वेत गलियां। ऐ मेरी राधा आ रंग दूं। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Holi आ रंग दूं ऐ मेरी राधा आ रंग दूं, धीरे धीरे से तेरी स्वेत गलियां । ऐसा रंग लगाऊं
N S Yadav GoldMine
उन समस्त श्रेष्ठ महारथियों के मन मैं उस समय क्या दशा हुई थी वीर ! पढ़िए महाभारत !! 📖📖 महाभारत: स्त्री पर्व विंष अध्याय: श्लोक 18-35 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 उन क्रूरकर्मा कृपाचार्य, कर्ण और जयद्रथ को धिक्कार है, द्रोणाचार्य और उनके पुत्र को भी धिक्कार है। जिन्होंने मुझे इसी उम्र में विधवा बना दिया। आप बालक थे और अकेले युद्ध कर रहे थे तो भी मुझे दु:ख देने के लिये जिन लोगों ने मिलकर आपको मारा था, उन समस्त श्रेष्ठ महारथियों के मन उस समय क्या दशा हुई थी? वीर। 📜 आप पाण्डवों और पान्चालों के देखते-देखते सनाथ होते हुए भी अनाथ की भांति कैसे मारे गये। आपको युद्धस्थल में बहुत से महारथियों द्वारा मारा गया देख आपके पिता पुरुषसिंह वीर पाण्डव कैसे जी रहे हैं? कमलनयन। प्राणेष्वर। पाण्डवों को यह विशाल राज्य मिल गया है, उन्होंने शत्रुओं को जो पराजित कर दिया है, यह सब कुछ आपके बिना उन्हें प्रसन्न नहीं कर सकेगा। 📜 आर्यपुत्र। आपके शस्त्रों द्वारा जीते हुए पुण्य लोकों में मैं भी धर्म और इन्द्रिय संयम के बल से शीघ्र ही आऊंगी। आप वहां मेरी राह देखिये। जान पड़ता है कि मृत्यु काल आये बिना किसी का भी मरना अत्यन्त कठिन है, तभी तो मैं अभागिनी आप को युद्ध में मारा गया देखकर भी अबतक जी रही हूं। 📜 नरश्रेष्ठ। आप पितृलोक में जाकर इस समय मेरी भी तरह दूसरी किस स्त्री को मन्द मुस्कान के साथ मीठी वाणी द्वारा बलायेंगे? निश्चय ही स्वर्ग में जाकर आप अपने सुन्दर रूप और मन्द मुस्कान युक्त मधुर वाणी के द्वारा वहां की अप्सराओं के मन को मथ डालेंगे। 📜 सुभद्रानन्दन। आप पुण्य आत्माओं के लोकों में जाकर अप्सराओं के साथ मिलकर विहार करते समय मेरे शुभ कर्मों का भी स्मरण किजियेगा। वीरं इस लोक में तो मेरे साथ आपका कुल छह महिनों तक ही सहवास रहा है। सातवें महिने में ही आप वीरगति को प्राप्त हो गये। 📜 इस तरह की बातें कहकर दु:ख में डूवी हुई इस उत्तरा को जिसका सारा संकल्प मिट्टी में मिल गया है, मत्स्य राज विराट के कुल की स्त्रियां खींचकर दूर ले जा रही हैं। शोक से आतुर ही उत्तरा को खींचकर अत्यंत आर्त हुई वे स्त्रियां राजा विराट को मारा गया देख स्वंय भी चीखने और विलाप करने लगी हैं। 📜 द्रोणाचार्य के बाणों से छिन्न-भिन्न हो खून से लथपथ होकर रणभूमि में पड़े हुए राजा विराट को ये गीध, गीदड़ और कौऐ लौंच रहे हैं। विराट को उन विहंगमों द्वारा लौंचे जाते देख कजरारी आंखों वाली उनकी रानियां आतुत हो होकर उन्हें हटाने की चेष्टा करती हैं पर हटा नहीं पाती हैं। 📜 इन युवतियों के मुखार बिन्दु धूप से तप गये हैं, आयास और परिश्रम से उनके रंग फीके पड़ गये हैं। माधव। उत्तर, अभिमन्यु, काम्बोज निवासी सुदक्षिण और सुन्दर दिखाई देने वाले लक्ष्मण- ये सभी बालक थे। इन मारेगये बालकों को देखो। युद्ध के मुहाने पर सोए हुए परम सुन्दर कुमार लक्ष्मण पर भी दृष्टिपात करो। ©N S Yadav GoldMine #GarajteBaadal उन समस्त श्रेष्ठ महारथियों के मन मैं उस समय क्या दशा हुई थी वीर ! पढ़िए महाभारत !! 📖📖 महाभारत: स्त्री पर्व विंष अध्याय: श्लो
Sweta
भाई तुम बड़ा प्यारा है मेरा राज दुलारा है हंसी का पिटारा है चाय का दिवाना है आया आज राखी का त्योहार ,सोचा क्या दू उपहार माँगी है दुआएँ, तेरी सारी बलायें ले लूँ मैं हर बार ये खूबसूरत रिश्ता बना रहे ,तुम्हारी जिन्दगी खुशियों से भरा रहे हर लम्हा जिन्दगी प्यार लुटाता रहे ,होठों पर मुस्कान छाया रहे कच्चे धागें से प्यार बाधकर , कलाई पर प्यार सजा कर माथे पर रोली - चंदन का टीका लगाकर , मुहँ मे गुलाब जामुन एक नहीं दो-चार खिला कर राखी तो बांध दिया, चलों पैसे निकालो पैकेट फाड़कर रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ छोटे 💐💐💐🤗 Chhote gulabjamun banane me time lag gya na......😂😂lo tumara gulabjamun.. Always Happy chhote 🤗🤗 Dedicating a #testimonial to Bheem Shanka
Insprational Qoute
गर्भवती माँ सम्पूर्ण व्यथा ************************ सहस्र-सौम्य-सुमधित वो माँ आन्तरिक तन में अंश पालती है, नित नित स्नेहस्पर्श से वो नवजात शिशु से सु -संवाद करती है, परम्-अनुनय-विनय की शाश्वत सी समग्रता की अनुभूति करती है, कष्ट-पीड़ा-दुःख सभी झेल कर वो स्वपोषण से विकसित करती है, अभद्र-कुरूप-अवांछनीय सम बेडौल देह को भी सहन करती है, कहरा उठे देख उसका पीड़ जब वह नवल हृदय को जन्मती है निर्मोह-निःपाप-निश्चल हृदय से शिशु को स्तनपान तक कराती है, रोज रोज अनुनय करती ईश्वर से उसकी बलाये वो खुद ले लेती है, ईश्वरीय कृति कृतज्ञता से सरोबार वो जगतजननी माँ कहलाती है, यह सभी रसों की सु रस अविरल धार सरित सरिता स्नेह बरसाती है। सहस्र-सौम्य-सुमधित वो माँ आन्तरिक तन में अंश पालती है, नित नित स्नेहस्पर्श से वो नवजात शिशु से सु -संवाद करती है, परम्-अनुनय-विनय की शाश्वत
वो फिर आएगी
ऋण सारे हम चुका लेंगे जब, फिर एक उधारी आती है, जिसका कर्ज हम चुका नही सकते उस माँ की बारी आती है... ( caption मे पढे 👇) ऋण सारे हम चुका लेंगे जब, फिर एक उधारी आती है, जिसका कर्ज हम चुका नही सकते उस माँ की बारी आती है., नौ महिने हमे गर्भ मे पाल सारी पीड़ा सह ज
_Ram_Laxman_
मय ओखर ले बिहाय के आस लगाय हावव । मोर दाई ले मिले बर ओला घर बलाय हावव । जब घर आईस ता मोर दाई ओला पसंद कर डरिस... तब ले ओला मय मोर दाई बर बहू बने बर मनाय हावव ।। ©_judwaa_writes_ मय ओखर ले बिहाय के आस लगाय हावव । मोर दाई ले मिले बर ओला घर बलाय हावव । जब घर आईस ता मोर दाई ओला पसंद कर डरिस... तब ले ओला मय मोर दाई बर
Rao Talha Rajput
दूर रहती हैं सदा उनसे बलाये सारी जिनके सर पर हाथ बुजुर्गो का होता है...
Amit kumar jha
होंगे सारे अंधेरे दूर उम्मिद का एक दीया जलाओ तो सही,, मंजिल भी मिल ही जायेगी कदम आगे बढ़ाओ तो सही.. कर दे रौशन तू सारे जहाँ को अपने तेज़ से,, सारी बलाये मिट जायेगी रब को एक बार गुहार लगाओ तो सही.. होंगे सारे अंधेरे दूर उम्मिद का एक दीया जलाओ तो सही... 5th April at 9:00 P.M Ak. Amit होंगे सारे अंधेरे दूर उम्मिद का एक दीया जलाओ तो सही,, मंजिल भी मिल ही जायेगी कदम आगे बढ़ाओ तो सही.. कर दे रौशन तू सारे जहाँ को अपने तेज़ से,
काव्याभिषेक
Friends forever किसी अपने ने हमसे पूछा कि तुम्हारा यार कैसा लगता है ..? तो हमने भी मुस्कुरा कर कहा कि.. ⏬👇⏬👇⏬👇⏬👇 किसी अपने ने हमसे पूछा , कि बताओ *तुम्हारा यार कैसा लगता है .?* तो हमने भी मुस्कुराते हुए कहा , कि पहली नजर के *प्यार जैसा लगता है ।।* मुस
काव्याभिषेक
किसी अपने ने हमसे पूछा , कि बताओ *तुम्हारा यार कैसा लगता है .?* तो हमने भी मुस्कुराते हुए कहा , कि पहली नजर के *प्यार जैसा लगता है ।।* मुसीबत में साथ होता तो , मात-पिता *परिवार जैसा लगता है ।।* जब भी मुस्कुराता है तो , सपना हुआ *साकार जैसा लगता है ।।* बिन मांगे मन्नत पूरी हो जाए , उस सच्चे *दरबार जैसा लगता है ।।* करतूतों की यादें लिए , सुनहरे *अखबार जैसा लगता है ।।* अच्छे दिन की गारंटी लिए , मोदी की *सरकार जैसा लगता है ।।* समाधानों की कई दुकानें लिए , खानदानी *बाज़ार जैसा लगता है ।।* फर्श से अर्श तक पहुंचा , सफल हुए *व्यापार जैसा लगता है ।।* गमों को गुम ही कर देवे , हास्य *किरदार जैसा लगता है ।।* बलायें घर बसर नहीं पाती , चौकन्ने *चौकीदार जैसा लगता है ।।* वफ़ा पे ग्रंथ लिख दे जो , वो *कलमकार जैसा लगता है ।।* कभी इजहार , कभी फनकार , कभी *गुलज़ार जैसा लगता है ।।* हां मेरा यार ऎसा लगता है , हां मेरा यार ऎसा लगता है ।। किसी अपने ने हमसे पूछा , कि बताओ *तुम्हारा यार कैसा लगता है .?* तो हमने भी मुस्कुराते हुए कहा , कि पहली नजर के *प्यार जैसा लगता है ।।* मुस