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Sumaiya Irshad

#yqbaba#yqdidi हसद-Jealousy बलैया-Nazar Utarna

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वो हसद की निगाह लेकर हमारा इंतज़ार कर रहे थे
उन्हें क्या पता के हम मां से बलैया लेकर निकले हैं।
 #YQBaba#YQDidi
हसद-Jealousy
बलैया-Nazar Utarna

Madhubala Maurya

Manjamma Jogati: सड़कों पर पैसे मांगने से पद्मश्री तक,राष्ट्रपति को 'दुआएं' देने वाली ट्रांसजेंडर मंजम्मा l देख कर आत्मा खुश हो गई जिस तरह से #समाज

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Sanjay Sharma Saras

#राजस्थानी_सोरठा लुळ-लुळ करै जुहार, साजण सामी गोरड़ी, कद निरखै ! भरतार , दोयूं नैंण उडीकता। ©® संजय शर्मा 'सरस' अर्थ - अपने साजन के सामने ब #कविता

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लुळ-लुळ करै जुहार, साजण सामी गोरड़ी,
कद निरखै ! भरतार , दोयूं नैंण उडीकता।

©Sanjay Sharma Saras #राजस्थानी_सोरठा

लुळ-लुळ करै जुहार, साजण सामी गोरड़ी,
कद निरखै ! भरतार , दोयूं नैंण उडीकता।
©® संजय शर्मा 'सरस'

अर्थ - अपने साजन के सामने ब

Devesh Dixit

rakshabandhan nojotohindi रक्षा बंधन बहना लेकर बैठी राखी कब भईया आएगा लगा के तिलक बांध के राखी वो मिठाई खाएगा

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Shilpi Signodia

इक बीज मैंने बोया था , फूल वो संजोया था , नीर चक्षुओं से रुक ना पाए, बाहों में मेरी जब वो रोया था । मेरे जीवन की तासीर बदली, नन्ही हथेलिय #yqbaba #yqtales #yqhindi #yqfeelings #yqpoetry #yqdiary #yqlife

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इक बीज मैंने बोया था,
फूल वो संजोया था,
नीर चक्षुओं से रुक ना पाए,
बाहों में मेरी जब वो रोया था ।

  इक बीज मैंने बोया था ,
फूल वो संजोया था ,
नीर चक्षुओं से रुक ना पाए,
बाहों में मेरी जब वो रोया था  ।

मेरे जीवन की तासीर बदली,
नन्ही हथेलिय

Rakhee ki kalam se

धरती त्रहिमान हुई राक्षसों का था आतंक बड़ा त्रेता युग न रहा आसान धरती को था कष्ट बड़ा गाय रूप धर पहुंची धारा तब ब्रह्मा जी के द्वार ब्रह्म #राम #कौशल्या #NojotoRamleela

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धरती त्रहिमान हुई
 राक्षसों का था आतंक बड़ा
त्रेता युग न रहा आसान
धरती को था कष्ट बड़ा

गाय रूप धर पहुंची धरा तब
ब्रह्मा जी के द्वार
ब्रह्मा जी के कहने पर विष्णु जी
ने फिर एक अवतार गढ़ा

राम रूप धरकर फिर उनको
धरती पर आना ही पड़ा
तरस रहे थे राजा दशरथ
पुत्रप्राप्ति बिन था संताप बड़ा

(कैप्शन में पूरा जरूर पढ़ें)
बोलो कौशल्या नंदन श्री राम चंद्र की जय🙏

©Rakhee ki kalam se धरती त्रहिमान हुई
 राक्षसों का था आतंक बड़ा
त्रेता युग न रहा आसान
धरती को था कष्ट बड़ा

गाय रूप धर पहुंची धारा तब
ब्रह्मा जी के द्वार
ब्रह्म

मुंशी पवन कुमार साव "शत्यागाशि"

#shatyagashi #rotikapdamakan #inequalities #poorpeople #poverty लाखों लोग.....? ¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥ आज भी जब हम ठंडी में, मखमली कम्बल में

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लाखों लोग.....?
¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥
सपने नहीं सिंदूरी उनका, बिन सपने ही, वो सोते हैं।
नीरव, शांत वातावरण में, बच्चे जठराग्नि से रोते हैं।
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👇
(Full in Caption) #shatyagashi #rotikapdamakan #inequalities #poorpeople #poverty 
      लाखों लोग.....?
¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥
आज भी जब हम ठंडी में,
मखमली कम्बल में

Sneha Agarwal 'Geet'

#स्नेहा_अग्रवाल #मैं अनबूझ पहेली तेरी मेरी यारी है कितनी सदियों पुरानी, आजादी से भी पहले की है यह कहानी। राम- रहीम नाम से जानता था सारा मो #कविता

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तेरी मेरी यारी है कितनी सदियों पुरानी,
आजादी से भी पहले की है यह कहानी
सम्पूर्ण रचनाकैप्शन में पढ़ें। #स्नेहा_अग्रवाल
#मैं अनबूझ पहेली

तेरी मेरी यारी है कितनी सदियों पुरानी,
आजादी से भी पहले की है यह कहानी।

राम- रहीम नाम से जानता था सारा मो

अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी. पेज-47 शेष भाग प्रिया दुबे ने अपनी भाभी की बलैया ली.. अपनी आँखों से काजल निकालकर मनीषा को नज़र का टीका लगाया...मनीषा का मस #प्रेरक

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पेज-47
आज सब कुछ आईने की तरह साफ हो गया.... कल तक सारी बहनें कहती रहीं हमारे मानक जैसा कोई नहीं था आज वही बहनें मनीषा को अपने हृदय से लगाना चाहती हैं...इस प्रसंग से एक बार फिर दिल से दिल मिल गये.... मानक खड़ा हुआ और मनीषा के लिये जोरदार तालियां बजाने लगा...और एक बार फिर पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा.. फिर खुशियों ने चौगुनी रफ्तार से दस्तक दी... शर्मा जी ने माइक लिया और अतिउत्साह में कहने लगे-अब और देर नहीं होनी चाहिये... हरि इच्छा बलबान जो होता है अच्छे के लिये होता है... आइये हम रस्म शुरु करते हैं..शहनाइयाँ बजने लगी सभी एक दूसरे के गले ऐसे मिल रहे हैं मानो आज ईद या दीवाली हो..मानो सबने कुछ खोते खोते पूरा संसार पा लिया हो... जोश उत्साह हजार गुना हर इंसान के चेहरे पर चमकने लगा..! कोई कहता-अब तो जमकर धमाल होगा..! किसी ने कहा-मैं तो डटकर खाऊंगा.. ! कोई कह उठा-ऐसा भी होता है.. इतना सुंदर दृश्य अब कहां देखने को मिलता है..!
आगे कैप्शन में.. 🙏

©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी. 
पेज-47
शेष भाग 
प्रिया दुबे ने अपनी भाभी की बलैया ली.. अपनी आँखों से काजल निकालकर मनीषा को नज़र का टीका लगाया...मनीषा का मस

अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी.. पेज 37 शेष भाग. कथाकार को कौन सुन पा रहा है सबको तो गेस्टहॉउस जाकर दुल्हनियां के दीदार जो करने थे... कहीं कहीं अन्दर ही #प्रेरक

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पेज-37
एक ओर मानक की सगाई की धूम दूसरी ओर बिजली के दिल दिमाग में शादी का भूत हुआ सवार... ताऊ जी सब कुछ सहन कर सकते थे मगर बिजली जो कह दे उसे पूरा करने में जान लगा देते थे.. ताऊ जी.. करीब छह फुट लम्बा भीमकाय शरीर किन्तु वृद्धावस्था ने उदर को लम्बोदर कर रख्खा था.. घुटनों तक सोलह हाथ की धोती लपेटे.. हाथ में सरसों तेल में नहाया शारीरिक कद के मुताबिक लट्ठ.. नाक से जबड़े तक गिरती फिर उठकर कानों को छूकर गालों पर दोनों ओर वृत्त निर्मित करती घणी मूछें.. जिन्हें देखते ही अच्छे अच्छों की घिग्घी बंध जाती है.. किसी की ना सुननेवाले ताऊ जी की नकेल केवल हमारे विशाल साहब ने कस रख्खी थी वरना तो मानक की सगाई बाद में पहले बिजली को बादल से मिलाना ही पड़ता.. यहाँ कथाकार ने बिजली को आते
 देख सबको सतर्क करने करना चाहा.. मगर

आगे कैप्शन में..

©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी.. 
पेज 37 
शेष भाग. 
कथाकार को कौन सुन पा रहा है सबको तो गेस्टहॉउस जाकर दुल्हनियां के दीदार जो करने थे... कहीं कहीं अन्दर ही
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