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Ravendra
PФФJД ЦDΞSHI
ठण्ड मे अदरक, काली मिर्च, इलायची वाली चाय गले को बहुत राहत देती हैं बना लाओ यार मै रजाई मे हूँ.... ☕️😮💨👩🏭 ©ᴩᴏᴏᴊᴀ ᴜᴅᴇꜱʜɪ #teatime #चाय #pujaudeshi #ठण्ड vineetapanchal jayram Kumar sm@rt_divi_p@ndey HMahesh Ramani Ehsaas"(ˈvamˌpī(ə)r)"Radio Sunil Kumar Maury
Hindi Me Kavya हिन्दी में काव्य
😄🍵☕🍵☕😄 चाय ☕🍵कॉफी से दिन कि शुरुआत हो। शरदी कि ठण्ड से और ज्यादा आराम हो।। रजाई और 🔥आग बस, फुर्सत भरी दिन-रात हो।।। 🧦🧥🧤😇🧤🧥🧣 ©Hindi Me Kavya हिन्दी में काव्य 🧥🧣🧦रजाई और 🔥आग... #ठण्ड #मौसम #season #Poet #Poetry #poem #कविता
Hindi Me Kavya हिन्दी में काव्य
🧣🧤🧦🧥 ठण्ड में कुनकुनी सी धूप हो। कुछ गपशप, चाय-काफ़ी से दिन शुरुआत हो।। धूप और रजाई के साथ शर्दी का सत्संग हो। आग तापते लम्बी चौड़ी बातों से रात गुजर रही हो।। .......... ©Hindi Me Kavya हिन्दी में काव्य 🧣कडाके कि ठण्ड में कुनकुनी सी धूप हो🧥,,,, #2023Recap #कविता #दो_पंक्ति_दिल_की #mausam #New #poem #Hindi
Ravendra
Rameshkumar Mehra Mehra
बो याद आयी कुछ यू... कि लौट आए सब सिलसिले...! ठण्डी हबा, खुशनुमा, गुनगुनी धूप................!! और दिसम्बर का ये पन्द्रहबा दिन की तरह............ ©Rameshkumar Mehra Mehra # बो याद आयी कुछ यू कि लौट आए सब सिलसिले, ठण्डी हबा खुशनुमा...गुनगुनी धूप....
Bharat Bhushan pathak
गहराए रात जब ठण्डी,मन भी ये मचलता है। पवन भी तेज बहती है,लगे हमको,कुचलता है।। ठिठुराती तन,यह सबकी,हृदय जोरों धड़कता है। नुकीले दाँत हैं इसके,सभी जनमन,कड़कता है।। ©Bharat Bhushan pathak #astrology गहराए रात जब ठण्डी,मन भी ये मचलता है। पवन भी तेज बहती है,लगे हमको,कुचलता है।। ठिठुराती तन,यह सबकी,हृदय जोरों धड़कता है। नुकीले द
Divya Pathak
असफलता के मार्ग से ही सफलता के मार्ग का अनुमान लगाया जा सकता है क्योंकि धूप का महत्व ठण्ड में ठिठुरने वाला ही बता सकता है। ©Divya Pathak #GateLight असफलता के मार्ग से ही सफलता के मार्ग का अनुमान लगाया जा सकता है क्योंकि धूप का महत्व ठण्ड में ठिठुरने वाला ही बता सकता है।
HINDI SAHITYA SAGAR
कविता : सर्द मन रात की नीरवता, कहीं दूर से आती हुई, दर्द-रंज मिश्रित, ध्वनि को सहज ही, सुन पा रही है, प्रतिपल परिवर्तित होती, उस ध्वनि को... ऐसा प्रतीत होता, जैसे कभी सुनी थी, कहीं किसी मोड़ पर, अब पहचानने की, लाख कोशिशों के बाद, एक असफ़लता ही, साबित हो रही है.. शायद दूर की, या बहुत दूर की, कई तरह के, चिन्तनों की, स्वीकारोक्ति थी, स्वीकारोक्ति? प्रश्नचिन्ह.... ठीक है, एक ठण्डी, काफ़ी, ठण्डी, आह... . . आज की रात, काफ़ी सर्द है, सर्द मन भी है! -शैलेन्द्र राजपूत ©HINDI SAHITYA SAGAR कविता : सर्द मन रात की नीरवता, कहीं दूर से आती हुई, दर्द-रंज मिश्रित, ध्वनि को सहज ही, सुन पा रही है, प्रतिपल परिवर्तित होती,