Find the Latest Status about आदिकाल की प्रवृत्तियाँ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, आदिकाल की प्रवृत्तियाँ.
Pooja Singh Rajput 🎓
त्रैतायुग में धर्म के तीन पैर थे। इस युग में पाप की मात्रा 25% और पुण्य की मात्रा 75% थी। द्वापर में धर्म के दो पैर ही रहे। इस युग में पाप की मात्रा 50% और पुण्य की मात्रा 50% थी। कलिकाल में धर्म के पैरों का कोई नामोनिशान नहीं है। इस युग में पाप की मात्रा 75% और पुण्य की मात्रा 25% ही रह गए है। -pooja singh rajput✍🍁 #वैदिककाल#भगवान#आनादीकाल#आदिकाल#कर्म#निशाचर#युग
Deepika
mast malang
बात उस समय की जब इन्सान आदिमानव था, थोड़ा भोला,अज्ञानी, थोड़ा दानव था,, अपनी हस्ती और मस्ती में मगन रहता था, बिना वस्र पूर्णतः नग्न रहता था ,, ना घमंड ना अपमान ना सत्कार होता था, क्या उस समय भी औरतों का बलातकार होता था,, बात उस समय की जब इन्सान आदिमानव था, थोड़ा भोला,अज्ञानी, थोड़ा दानव था,, अपनी हस्ती और मस्ती में मगन रहता था, बिना वस्र पूर्णतः नग्न रहता थ
बात उस समय की जब इन्सान आदिमानव था, थोड़ा भोला,अज्ञानी, थोड़ा दानव था,, अपनी हस्ती और मस्ती में मगन रहता था, बिना वस्र पूर्णतः नग्न रहता थ #आदिकाल
read moreRakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
read moreAnuj Ray
खुशबू चरित्र की" खुशबू चरित्र की, हीरे सी चमकती है, फूलों सी महकती है। खुशबू चरित्र की, जीवन के आईने में, सूरज सी दमकती है। खुशबू चरित्र की, आदर्श भी गढ़ती है, इतिहास भी रचती है। ©Anuj Ray # खुशबू की चरित्र की"
# खुशबू की चरित्र की" #कविता
read moreNitish Aarya
प्यार दुनिया का एक फासाना है इसका अपनाही एक ताराना है सब जानते है की मिलेंगे सिर्फ आँसू पर न जाने दुनिया में हर कोई इसका दिवाना है ©Nitish Aarya सायरी की की दायरी
सायरी की की दायरी #शायरी
read more