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AD Grk

#Dosti #NojotoADGrk love #you #Live Debasis Singh Dr Imran Hassan Barbhuiya मै और मेरे कान्हा CHOUDHARY HARDIN KUKNA anjana yadav #Life

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Rameshkumar Mehra Mehra

!# तू मेरी बो खुशी है,जो मै किसी को ना दूॅ...... #Quotes

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Shivkumar

VoteForIndia Vote चुनाव मतदान Politics { ∆ कड़क कविता किसी को पता नहीं है, लेकिन मैं इसे साझा कर रहा हूं क्योंकि मैं इस विचार को

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AD Grk

#Moon ADGrk Mili Saha मै और मेरे कान्हा Jashvant Madhu dayal MRS SHARMA #Love #NojotoADGrk

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PB Creator

हाँ कुछ खोई खोई सी रहती हूं.. हाँ मैं खुद में सोई सोई सी रहती हूं .. हाँ मुझे फरक नही पड़ता इस दुनिया के सोर से, क्योकि मैं खुद के सोर में ल #Life

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Vikrant Rajliwal

"क्रोना काल: बचाव की जंग" एक मेमोरी! #shortmovie मैने यानि कि आपके अपने मित्र विक्रांत राजलीवाल ने "क्रोना काल" में क्रोना संक्रमण से बचाव #मोटिवेशनल #publichealth #fightagainstcorona #covidawareness #healtheducation #StaySafeStayInformed #PreventionIsKey #CommunityHealth #ViralAwareness #TogetherAgainstCovid

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Rashid Babu Mumbai Ka King

दोस्त की तरह से कोई नही हु तो #Love

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Jk

#JKpoetess #marathi #MarathiKavita #hungry #streetgirl आज मै अपनी कविता के माध्यम से एक भारतीय स्ट्रीट सर्कस लड़की का दर्द व्यक्त करने #मराठीकविता

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sweetie Bhumi

#sad_feeling #Confusion लाइफ✍✍ Life #Life_Experiences #notojo #nojohindi Sumit Sharma Jay Shri Shyam vickyrajput Pardeep writer (Be

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Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मु #कविता #ख्यालों #आरज़ू #तसव्वुर #हिज़्र #मशग़ूल #रफ़ाक़त

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*** ग़ज़ल *** 
*** नुमाइश *** 

" क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं ,
मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से ,
 क्यों ना  तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं ,
खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये ,
तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं ,
बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , 
तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये ,
लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं ,
इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं ,
तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं ,
ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी ,
फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं ,
उल्फते-ए-हयात  एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे ,
जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . "

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** 
*** नुमाइश *** 

" क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं ,
मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से ,
 क्यों ना  तेरा बार बार मु
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