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अदनासा-
प्रत्येक मार्ग की अवस्था केवल आरंभ है, उसका अंत तो हम सुनिश्चित करते है, वास्तव में मार्ग तो अनिश्चित एवं अनंत है। ©अदनासा- #हिंदी #मार्ग #आरंभ #अंत #अनंत #अनिश्चित #अवस्था #Instagram #Facebook #अदनासा
Ravendra
Srinivas
कौशल एक शाश्वत वफादार दोस्त है जो कभी निराश नहीं करता है, जबकि पैसा एक अनिश्चित दोस्त है जो कभी लंबे समय तक नहीं टिकता है। ©Srinivas #skill कौशल एक शाश्वत वफादार दोस्त है जो कभी निराश नहीं करता है, जबकि पैसा एक अनिश्चित दोस्त है जो कभी लंबे समय तक नहीं टिकता है।
एक अजनबी
हमने इश्क़ किया,बंद कमरों में फ़िजिक्स पढ़ते हुए, ऊंची छतों पर बैठकर तारे देखते हुए, रोटियां सेक रही मां के सामने बैठकर चपर-चपर खाते हुए हमने नहीं रखी बटुए में तस्वीरें, किताबों में गुलाब, अलमारियों में चिट्ठियां हमारे कस्बे में नहीं थे सिनेमाहॉल, पार्क और पब्लिक लाइब्रेरी हम तय करके नहीं मिले, हमने इश्क़ किया जिसमें सब कुछ अनिश्चित था, कहीं अचानक टकरा जाना सड़क पर और हफ़्तों तक न दिखना भी, और उन लड़कियों से किया इश्क़ हमने जिन्हें तमीज़ नहीं थी प्यार की, जिनके सुसंस्कृत घरों की चहारदीवारी में नहीं सिखाई जाती थी प्यार की तहज़ीब हमने उनसे किया इश्क़ जिन्हें हमेशा जल्दी रहती थी,किताबें बदलकर लौट जाने की, मुस्कुराकर चेहरा छिपाने की, मंदिर के कोनों में,अपने हिस्से का चुंबन लेकर,वापस दौड़ जाने की ऊनकी भाभियां उकसाती, समझाती रहती थीं उन्हें,मगर वे साथ लाती थीं सदा गैस पर रखे हुए दूध का, छोटे भाई के साथ का या घर आई मौसी का ताज़ा बहाना, जल्दी लौट जाने का हमने डरपोक, समझदार, सुशील, आज्ञाकारी लड़कियों से इश्क़ किया जो ट्रेन की आवाज़ सुनकर भी काट देती थीं फ़ोन, छूने पर कांप जाया करती थीं, देखने वालों के आने पर, सजकर बैठ जाती थी छुइमुइयां बनकर कपड़ों के न उघड़ने का ख़्याल रखते हुए,सारी रात सोने वाली महीने के कुछ दिनों में, अकारण चिड़चिड़ी हो जाने वाली, अंगूठी, कंगन, बालियों, और गुस्सैल पिताओं से बहुत प्यार करने वाली सच्चरित्र लड़कियों से किया हमने प्यार जो किसी सोमवार, मंगलवार या शुक्रवार की सुबह अचानक विदा हो गईं, सजी हुई कारों में बैठकर, उसी रात उन्होंने फूंका बहुत समर्पण, बेसब्री और उन्माद से अपना सहेजकर रखा हुआ कुंवारापन चुटकी भर लाल पाउडर,और भरे हुए बटुए में अपनी तस्वीर लगवाने के लिए बिकीं, करवाचौथ वाली सादी लड़कियों से ऐसा किया हमने इश्क़ कि चांद, तारों, आसमान को बकते रहे रातभर गालियां खोए सब उन घरों के संस्कार, गुलाबों में घोलकर पी शराब, मांओं से की बदतमीज़ी, होते रहे बर्बाद बेहिसाब। 🌼 ©एक अजनबी #हमने_इश्क_किया #कृपया_पूरी_पढ़े 🙏🏻 #बहुत_मेहनत_लगी_है। हमने इश्क़ किया,बंद कमरों में फ़िजिक्स पढ़ते हुए, ऊंची छतों पर बैठकर तारे देखते ह
Nain
–एक उम्मीद– .. एक ढलती हुई उदास शाम ... दिल में निराशा का मंजर ... घर लौटते पक्षियों का शोर ... काम से लौटता थका हुआ मजदूर... एक और आने वाले कल की बेचैनी कुछ अपनों के पडे़ मिस्ड कॉल .... कुछ जिम्मेदारियों का जाल ... एक अनिश्चित भविष्य का डर ... कुछ ठंडी पड़ी अपेक्षाएं... मगर टेबल लैंप की माध्यम सी लौ... में हिम्मत बटोर कर मैं फिर भी आज उम्मीद ही लिखूंगी की शायद एक दिन सब ठीक हो जाएगा..! .. ©Nain एक ढलती हुई उदास शाम दिल में निराशा का मंजर घर लौटते पक्षियों का शोर काम से लौटता थका हुआ मजदूर एक और आने वाले कल की बेचैनी कुछ अपनों के
Er.Shivampandit
कलम कुछ सोच कर ©Er.Shivam Tiwari #PenPaper #कलम #कुछ_सोच_कर न कुछ सोच कर न कुछ समझ कर व्याकुल कलम तो बस यूं ही चलती है कागज़ की राहों पर
Ayush Shukla
'सड़क और मुसाफ़िर' जीवन के उस पराए शहर में न जाने कितने बिखरे गलियों में दर-ब-दर भटका हूँ। जब गली की सड़कें अनंत यात्रा का महामार्ग होने को एक चौराहा में) आतुरता से मिलती हैं ।। असीम अभीप्सा लिए मैं भी उन गलियों से गुजरते हुए सड़क के सीने पर दौड़ लगाते-लगाते जब कई चौराहे से टकराता हूँ। हर चौराहे पर कई सड़क बाहें फैलाए एक नए सफ़र के साथ खड़ी होती हैं, तब ये समझना बड़ा जटिल हो जाता है कि किस रास्ते का आलिंगन करूँ। इस कठिन निर्णय के मैदान में चेतना और अंतरात्मा की आवाज़ के बीच एक घमासान गृहयुद्ध छिड़ जाता है। तब ये मालूम पड़ता है कि ये आंतरिक युद्ध उतना ही स्वाभाविक है जितना संसार का सूर्य और चंद्रमा के समक्ष नियमित रूप से गतिशील होना । कभी-कभी संशय के बादल कुछ पलों के लिए इनकी रोशनी को अवरुद्ध कर देते हैं परंतु सदैव के लिए नहीं! ये सिविल वॉर हमें सही निष्कर्ष तक जाने में मदद तो करते ही हैं साथ ही चंद्रगुप्त और नेपोलियन जैसा एक उत्कृष्ट नेतृत्वकर्ता व योद्धा बनने में भी बड़े सहायक होते हैं ।। अंततः चेतना और अंतरात्मा की इस सम्मलित पुकार को सुनने के पश्चात मध्य-मार्ग अपनाते हुए जब दोनों में सामंजस्य स्थापित कर निष्कर्ष के । किनारे आता हूँ, और एक रास्ता पकड़ अपने निर्धारित मंज़िल की ओर निकल जाता हूँ, तो इन सब उतार-चढ़ाव में एक बात स्पष्ट हो जाती है कि जीवन की इस अनिश्चित यात्रा में सड़क भी मुसाफिर का इंतज़ार करती हैं. सड़क भी अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाना चाहती हैं। आयुष शुक्ला "भईया जी" ©Ayush Shukla Safar 'सड़क और मुसाफ़िर' जीवन के उस पराए शहर में न जाने कितने बिखरे गलियों में दर-ब-दर भटका हूँ। जब गली की सड़कें अनंत यात्रा का महामार्ग ह
Kulbhushan Arora
86400 पलों का होता है एक दिन😍😍 #cinemagraph 86400 पलों को भरपूर जियो, ना जाने कौन से पल में क्या हो, हर एक पल के साथ इंसाफ करो, अनिश्चित पल ले लिए मत डरो, स्वयं में उत्सा
Kulbhushan Arora
मैं*अ* आ गया, तुम्हारे लिए उत्तर ले कर😊 मैं हूं*अ*.... देखो प्रभाव मेरा, अगर क्रोधित हो मैं पहले जुड़ा... संभव...*अ*संभव हो गया परीमित को *अ*परिमित किया मान्य था कर दिया...*अ*मान्य
Kulbhushan Arora
कल क्या होगा? कोई नहीं जानता... *तुम लिखने को प्रोफेशन मत बनाना, हर कोई लिखता है...जो काम तुम कर रहे हो वो लाखों में कोई एक करता है* उन दिनों चंडीगढ़ में ब्लड डोनर और मोटीव