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Ankit waghela
Dear GrandParents जो बुज़ुर्ग कहे गए.. सुने सुनाए बूढ़े हम हो गए बचपन ना गया,महस अंगुठा चूसने से रहे गए थोपी हर बात कानों में...हम तसलीम कर गए आधे सपने,कुछ बचकाने कुछ अनजाने हो गए जो बुज़ुर्ग कहे गए..सुने सुनाए बूढ़े हम हो गए जवानीया आए जाए,कमसिन कोनसे दिन थे रहे गए कुछ अपने कुछ पराए,ज़िम्मेदारियों तले कुछ सजाए इख्तियार था क्या..एक दौर था बस..दौड़ गए जो बुज़ुर्ग कहे गए..सुने सुनाए बूढ़े हम हो गए अब एक उम्रदराज हम भी है..साथ रिश्ते भी कभी गलियों में...आरजू ए रूबरू होती भी अब आखरी है पंक्तियां,आखरी सांसमे कह गए कारवां तो चलता गया,गाफिल हम खुद को खो गए जो बुज़ुर्ग कहे गए..सुने सुनाए बूढ़े हम हो गए #Deargrandparents जो बुज़ुर्ग कहे गए..
शुभी
ये दर-ओ-दीवार घर नहीं, ज़िन्दाँ हैं, ईंटों से नहीं, बुज़ुर्गों से घर बनता है। ज़िन्दाँ- prison #yqbaba #dimri #ghar #बुज़ुर्ग #buzurg
Shashank Rastogi
दौर नया है ज़माना नया है इश्क़ भी नया है इशक के इज़हार का तरीका भी नया है लेकिन वादें ,कसमें है वही पुरानी जो हमने सुनी थी, बड़े बुजुर्गो की ज़ुबानी इश्क़ तो इश्क़ है पहले भी सबसे बड़ा नशा था, आज भी सबसे बड़ी दवा है #नया #दौर #बुज़ुर्ग #ज़ुबानी #वादे #पुराने #मोहब्बत #दवा
VATSA
उसी में मकान है बुज़ुर्ग जज़्बातों का जिसे बचपन की अटेची समझ फेंक आए हो #बुज़ुर्ग #vatsa #dsvatsa #yqbaba #yqdidi उसी में मकान है बुज़ुर्ग जज़्बातों का जिसे बचपन की अटेची समझ फेंक आए हो
Shivam Sahu singer
Qalb
#OpenPoetry ज़िंदगी का यही तो मतलब बताया था बुज़ुर्गों ने; ख़्वाब हौसले देंगे महज़; मेहनत मजबूरियाँ करवाएँगी ज़िंदगी का यही तो मतलब बताया था बुज़ुर्गों ने; ख़्वाब हौसले देंगे महज़; मेहनत मजबूरियाँ करवाएँगी
Manish Tiwari
Durga Bangari
#ठेट-पहाड़ी गौ-कु-गौ खाली हड़ लाग रे। बूढ़ा-बुडियोलें म्यर.... अब को पूछोलो लाड़-लगै-की ! कस छै रे नना ? #ठेट-पहाड़ी गाँव खाली होता जा रहा है बुज़ुर्गों से मेरे... कौन अब प्यार से पूछेगा, मियां! कैसे हो...?
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नव-पुरातन मन **************** नव अंकुरित युवा जीवन शैली भूला है,देती पुरातन अंकुरित वृद्ध जीवन शैली को, देख न पाते न समझ पाते नीरवता से परिपूर्ण उन निस्वार्थ मन की दुविधा को, ढ़लती साँझ की भाँति एक मन की पुस्तक कहीं न कहीं मायूस सी लगती है, रिश्तों रूपी पुस्तकालय में तन्हा सी पुरातन पुस्तक सी लगती है, नव पुस्तक के निष्ठुर मन से आस कितनी लगती है,मन की पुस्तकालय में पुरातन मन अपवाद को घुटिकता में परिवर्तित कर लेती है,शब्दों से न हो प्रस्तुत स्वंय को मौनता में विलुप्त कर लेते हैं, भावों को अपने नव-मन के संग साझा जो करना चाहते हैं,विचारों की तारतम्य की सटीकता न लाने में असमर्थ वो हो जाते हैं , नव मन की जीवन की शैली की संस्कृति से पुरातन मन की जीवन शैली की संस्कृति प्राय पराजित हो जाती है, देख लेना पढ़कर कभी पुरातन मन की पुस्तक को भी नव मन की पुस्तकालय में तन्हा सी वो पुस्तक लगती है, बुज़ुर्ग हमारा मार्गदर्शक इनके बिन जीवन अधूर