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Poonam Suyal
ज़िंदगी तू मुक्कमल नहीं, सब कुछ यहाँ, कहाँ सही होता है किसी का कुछ, तो किसी का कुछ और पीछे छूटता है चाहे जैसी भी है तू, मुझे बेहद प्यारी है मैंने हर हाल में, तुझसे बाज़ी मारी है तूने सिखाया है मुझे बहुत कुछ, नहीं हार कभी मैंने मानी असमंजस में पड़ जाती हूँ मैं कभी, फ़िर भी तेरी मैं हूँ दीवानी ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1105 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Nitesh Prajapati
अकेले रहना अच्छा तो लगता है, लेकिन कभी-कभी सताती है तनहाइयां, यूँ तो सब कुछ हासिल कर लिया मैंने फिर भी, कभी-कभी लगता है ज़िन्दगी तू मुकम्मल नहीं। ना जान पा रहा हूंँ मैं, ना ही पहचान पा रहा हूंँ मैं, के किस चीज की कमी है, मेरी इस आधी अधूरी सी ज़िन्दगी के मंज़र में। आधी अधूरी सी ज़िन्दगी को, बहुत ही मुकम्मल करने की कोशिश की मैंने, लेकिन फिर भी ऐसी कोई वज़ह या शख्सियत, ना मिली मुझे के जो इसे मुकम्मल बना सके। ढूँढ रहा हूंँ आज भी ऐसी शख्सियत, के जो मेरे दिल के जज़्बात को समझें, और मुझे अपनी ज़िन्दगी की साँसे बनाकर, यह जो बाकी ज़िन्दगी है उसे मुकम्मल करें। -Nitesh Prajapati (Niharsh) ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1105 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Manojkumar Srivastava
जिंदगी में दर्द न हो तो जीने में मजा नहीं है! ज़िन्दगी बेमानी है! ©Manojkumar Srivastava #दर्द #ज़िन्दगी#ज़िन्दगीतूमुकम्मलनहीं
Ish Kumar King
ज़िन्दगी तू मुक़म्मल नहीं अब जी के क्या फ़ायदा उतर चुका है नशा प्यार का अब पी के पाया फ़ायदा ज़ख्म को ज़ख्म ही रहने दो उन्हें सी के क्या फायदा फ़ायदे में किसी का नुकसान हो उस फायदे से क्या फायदा ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1105 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Dr Upama Singh
ऐ! ज़िन्दगी तू कभी मुकम्मल नहीं हुई। मेरी मज़बूरी का फ़ायदा उठाती हुई। तू हमेशा मौका के बदले धोखा देती रही। मेरी परिस्थिति का तू मज़ाक बनाती रही। ज़िन्दगी से मैं तेरे रूठी हुई साथी अपना छूटा कोई। सिसकियाँ निकलती अजनबी रातों को सांँसें घुलती हुई। सब कुछ है मगर सच्ची खुशी कोई भी नहीं। ग़म है ज़िन्दगी में दर्द दिल से जाता ही नहीं। राह–ए–मोहब्बत में मुझे लूटा हर कोई यहीं ज़िन्दगी अब बीत रही मेरी अधूरी ही सही। हर कोई शामिल ज़िन्दगी में हर पल कहीं। लेकिन तेरी कमी पूरा करता कोई भी नहीं। थोड़ा छुप छुप कर जीने की कोशिश हमने भी की। थक कर कभी उदास जो हुई कभी किसी ने हाल पूछा ही नहीं। अब अपने ज़िन्दगी पर एतबार भी मुझे रहा ही नहीं। समझ लिया मैंने उदास भरी ज़िन्दगी अब कटेगी ऐसे ही। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1105 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
अभिलाष सोनी
क्यूँ ज़िन्दगी तू मुकम्मल नहीं, बस यही आख़िरी सवाल है। तेरी ख़ातिर उम्र भर भटके, फिर भी आज तू इस हाल है। ख़्वाहिशों का दौर छोड़कर, बस तुझको सँवारना चाहा। जो दिल ने चाहा वो न मिला, बस यही तो एक मलाल है। कतरा-कतरा तेरी ख़ातिर, पल-पल हम पिघलते रहें। अश्कों से भी जो ना बदली, वो तक़दीर भी कमाल है। तुझको सँवारने की ख़ातिर, हम बनते और बिगड़ते रहे। जाने क्या कमी रह गई जो, आज भी तू तंग हाल है। क्यूँ ज़िन्दगी तू मुकम्मल नहीं, बस यही आख़िरी सवाल है। तेरी ख़ातिर उम्र भर भटके, फिर भी आज तू इस हाल है। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1105 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
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जब व्यक्ति नाकामी का सामना करते करते हार जाता है,उम्मीद भी अक्सर ज़िन्दगी का तमाशा बना देती है,हर लम्हा टूटकर बिखरते हैं फिर भी एक आस दिल में अपने कायम रखते हैं, दामन छूट जाये भले हकीक़त से ख़्वाबों को अपने देखना नहीं छोड़ते हैं, निहारते जब कभी असहाय सा एक टूटे परिन्दे सा आसमां की तरफ दिल में उसके एक ही प्रश्न पनपता ज़िन्दगी तू मुकम्मल क्यों नहीं..? माना पुरुष हूँ मैं क्या मेरा मेरी ख़्वाहिशों पर कोई हक़ नहीं..?दिल तो हम पुरूषों के पास भी होता है,कोई पत्थर नहीं जज़्बात तो होते है अपने भी मगर झुक जाते हैं अक्सर जिम्मेदारी के बोझ तले ही,आँसुओं का सैलाब तो आँखों में अपनी भी बसता है, मगर हम बेटियों की तरह रोकर सामने सबके दिखला सकते नहीं, एक पुरुष की मनोदशा जब वह नाकाम होकर टूट जाता है उसी भाव को शब्दो में ढ़ालने की हमने कोशिश की है, ******************************** ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1105 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।
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