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vishnu prabhakar singh
हृदय का वंदन गुलाब सुर्ख परिवेश में काँटों के देश में सुगंध से वायु में रचता है पत्र प्रेम भाव वायु का प्रवाह सारगर्भित निश्छलता संग प्रथमदृष्टया भा जाता है दिशा अवतरण का सुर्ख स्रोत है गुलाब! फिर छिड़ी रात, बात फूलों की.... आपका साथ-साथ फूलों का.. आपकी बात बात फूलों की..❤️ Deepali suyal तुम्हारी मोगरे वाली कविता से उपजी ये कविता 😊 Collab करना था पर तुमने तो collab off किया था 😔 #yqdidi
फिर छिड़ी रात, बात फूलों की.... आपका साथ-साथ फूलों का.. आपकी बात बात फूलों की..❤️ Deepali suyal तुम्हारी मोगरे वाली कविता से उपजी ये कविता 😊 Collab करना था पर तुमने तो collab off किया था 😔 #yqdidi
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और अब थाम लिया उसने असर कर और आया गुलाब कुछ ठहर कर जिन्दादिली और इश्क का चन्दन संस्कार मोगरे का,गुलाब का सम्बन्ध वो तौर,वो दौर और महकता शबाब हमने भी लगाया है,इश्क का गुलाब इतना सुंदर है ये bg मेरे ख़याल का ख़याल भी बडी़ हिफा़जत से रखता है, वो मुझसे 'मोंगरे सा इश्क़' करता है। #mongraman #mrmongra
इतना सुंदर है ये bg मेरे ख़याल का ख़याल भी बडी़ हिफा़जत से रखता है, वो मुझसे 'मोंगरे सा इश्क़' करता है। #mongraman #mrmongra
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गुल हूँ,गुलाब हूँ महक का शबाब हूँ मुझे तोड़ हाथों में ले सुकून भरी सांसों में ले बिखेर दे मलमल मान प्रेम का प्रतीक जान श्रद्धा में तू लीन हो कभी ना गमगीन हो हर प्रेम को मेरी कसम मुझमें है पाक अनम तुम मेरे राह के राही मेरा संपूर्ण है प्रेम धारा गुलाब तुम्हारा। महक अपनी... इन हवाओं में बिखे़र कर , इत्र हो जाना मेरा... आसान होगा शायद.... हर साँस में... घुल कर तेरी हर रोम में... मैं महकती हूँ , मैं तुमसे... 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ ।
महक अपनी... इन हवाओं में बिखे़र कर , इत्र हो जाना मेरा... आसान होगा शायद.... हर साँस में... घुल कर तेरी हर रोम में... मैं महकती हूँ , मैं तुमसे... 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ ।
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मैं जब सुर्ख होता हूँ बड़ा होता हूँ मेरा रूप प्रेम होता है और आत्मा युगल एक दूजे के लिए परस्पर व्यवहार में जीता हूँ, बड़ा होता हूँ। प्रेम परवान चढ़ता है सादगी छटा बिखेरती है साथ जीता हूँ साथ मरता हूँ, और बड़ा होता हूँ। गुलाबी स्नेह का हर क्षण काँटों पर भारी पड़ता है मैं फूल हो जाता हूँ याचना का नहीं,युगल का प्यारा गुलाब तुम्हारा। अपनी शाख़ में लगे तुम , आकर्षक बहुत लगते हो , महक तुम्हारी... मुझे... मदहोश करती है , इक पल को तो... मेरा भी... जी चाहता है तोड़कर... पास रख लूँ मैं मेरे ,
अपनी शाख़ में लगे तुम , आकर्षक बहुत लगते हो , महक तुम्हारी... मुझे... मदहोश करती है , इक पल को तो... मेरा भी... जी चाहता है तोड़कर... पास रख लूँ मैं मेरे ,
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मिट जायेंगे दर्ज हो कर अद्भुत रूप का तर्ज ले कर निरंकार शहीदों को अर्ज होगा मोगरा,गुलाब,चन्दन फर्ज होगा इन शब्दों में ये... यहीं कहीं ठहर जाऐंगें , महसूस करोगे जब भी ज़रा भी करीब़ से , छूते ही तुम्हारे वो फिर से... महक जाऐंगें , मोंगरे तुम्हारे हैं दूर तुमसे कहाँ रह पायेंगें । #इश्कमोगरेसा #मोगरेसाइश्क़मेरा #मेरामोंगरेसाइश्क
इन शब्दों में ये... यहीं कहीं ठहर जाऐंगें , महसूस करोगे जब भी ज़रा भी करीब़ से , छूते ही तुम्हारे वो फिर से... महक जाऐंगें , मोंगरे तुम्हारे हैं दूर तुमसे कहाँ रह पायेंगें । #इश्कमोगरेसा #मोगरेसाइश्क़मेरा #मेरामोंगरेसाइश्क
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पत्थर के पुष्पपात्र ठोस पुष्पगुच्छ के नियंता कोमल सामंजस्य पारस्परिक आचार दोनों का सौंदर्य मेल तराश की आत्मा संग आनुपातिक सुडौलता हृदय नियामक प्रेम पटल,प्रेम पवित्र भूमिका भाव प्रधान पत्थर पृष्ठ,पुष्प संज्ञा विशेषण प्रेम,आवारा गुलाब तुम्हारा! उसके ख़यालों में रहने से... उसका ख़याल रखने तक , प्रेम की सबसे बारीक ईकाई... ख़याल रखना ही है । ख़याल उसका... ख़याल उसके मान का... ख़याल उसके सम्मान का... ख़याल उसके अतीत का... ख़याल उसके वर्तमान का... ख़याल उसके भविष्य का...
उसके ख़यालों में रहने से... उसका ख़याल रखने तक , प्रेम की सबसे बारीक ईकाई... ख़याल रखना ही है । ख़याल उसका... ख़याल उसके मान का... ख़याल उसके सम्मान का... ख़याल उसके अतीत का... ख़याल उसके वर्तमान का... ख़याल उसके भविष्य का...
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जब समय की पूर्णता लिए प्रथम,श्री कली,रूप पाता है एकाकीपन का छटा प्रतीक्षा में सिमटी आभा आवरण से प्रस्फुटित हो अपना कथा कहता है कथा गुलाबी ही हो, आवश्यक नहीं,सौगंध नहीं धर्म के रंग में तय रूप पाता है गुलाब तो बस सुर्ख हो जाता है। सुबह की... मेरी वो , खराश़... सी आवाज़ मेरी वो धीमी सी आवाज़ तुमसे... कुछ कहना चाहती है । पलकें.. सूजी सी मेरी , अलसाई हो नज़रे मेरी , अधखुली आँखों से मेरी ,
सुबह की... मेरी वो , खराश़... सी आवाज़ मेरी वो धीमी सी आवाज़ तुमसे... कुछ कहना चाहती है । पलकें.. सूजी सी मेरी , अलसाई हो नज़रे मेरी , अधखुली आँखों से मेरी ,
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अपने पूर्ण अवस्था में मेरे पुष्प का आकार मेरे पंखुड़ियों का झुकाव और वो स्नेहशील बंधन गुम्बज का मध्य मेरे आजादी देता है, बिखरना मेरा आत्मा है युग से मैं,महक लिए, जल लिए झड़ता हूँ बिखरता हूँ, विस्तार मेरा आचरण है विभाजन मेरा पूण्य है इस आत्मा में जीता हूँ गुलाब जल पीता हूँ। बेसब्र मैं, देखो... कितना सब्र रखती हूँ , मैं तुमसे... 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ । ************************** जानती हूँ... मैं चाय बेहद गरम है , पर... उसकी...
बेसब्र मैं, देखो... कितना सब्र रखती हूँ , मैं तुमसे... 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ । ************************** जानती हूँ... मैं चाय बेहद गरम है , पर... उसकी...
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पुष्प की अभिलाषा उपकृत निष्ठा उचित सत्य सिद्ध हो। विश्वास महक उठे प्रेम खिल जाये आलिंगन में आत्माओं का सत्य सिद्ध हो, ठीक उस तौर,जो दबा मिट्टी में आधार,अस्तित्व का मूल सहारा गुलाब तुम्हारा। तेरे अहसासों में... रहती हूँ मैं , तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ मैं । ************************** विद्या और बुद्धि की लालची सदा से रही हूँ मैं , लालच से वशीभूत मैं , अक्सर मोर पंख रखती थी
तेरे अहसासों में... रहती हूँ मैं , तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ मैं । ************************** विद्या और बुद्धि की लालची सदा से रही हूँ मैं , लालच से वशीभूत मैं , अक्सर मोर पंख रखती थी
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स्वभाव सहन सबको सुहाता गहन गठन गरमाहट गुलाब। दायरे में तेरे मैं... मैं होकर रहती हूँ , मैं तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ । #मेरामोंगरेसाइश्क #मोगरेसाइश्क़मेरा #मोगरेवालाइश्क #इश्कमोगरेसा
दायरे में तेरे मैं... मैं होकर रहती हूँ , मैं तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ । #मेरामोंगरेसाइश्क #मोगरेसाइश्क़मेरा #मोगरेवालाइश्क #इश्कमोगरेसा
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