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नरेश होशियारपुरी
कल तक जो हमसे। आज जाने कहाँ खो गए।। ख़्वाब सजा कर इन आँखों में वो किसी और के हो गए।। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 190 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
DrLal Thadani
दिल के अरमां बस तेरी फरमाइशें करते थे रब से बस तुझे मिलने की ख्वाहिशें करते थे इश्क ने किया बेबस दिल पर भी ज़ोर नहीं सोते जागते ख़्वाब तेरी ही नुमाइशें करते थे कागज़ कलम दवात रोज़ करती है तेरा जिक्र अल्फ़ाज़_दिलसे शब्दों की आजमाइशें करते थे #डॉलालथदानी 14.6.2021 #अल्फ़ाज़_दिलसे #liveandlovelifebylal 8005529714 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 190 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
Neha Pathak
ख्वाब, चाहत, ख्वाहिशें, कुछ ज्यादा ही पाल रखे थे इच्छा, भाव, उम्मीद बहुत ज्यादा ही फरमाइशें करते थे जीवन के ऐसे मोड़ पर आकर ठहरें, दूर दूर तक बस अकेले थे आज तन्हा बैठ वो लालच जो बर्बादी की ओर ले आई उसे सोच अफ़सोस ही हम कर सकते है और कुछ ना बचे थे आज यकीं हुआ ज़िंदगी सिर्फ जीने का नाम है बाकी सब तो लगाव है! 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 190 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
Writer Aayna Official
वो हमसे... और हम उन्हे पूरी किया करते थे, वो करते थे हमसे बातें, और हम उन्हे बड़ी स्थिरता से, वशीभूत होकर देखा करते थे !! 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 190 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
नेहा उदय भान गुप्ता
वो बचपन कितना खुशगवार था, जब हम अपनों से फरमाइशें करते थे, ना जाने कहा खो गए हसी पल, जब हम अपनों से सिफारिशें करते थे। बहुत ढूंढा पर वो तो मिला नही, ना जाने क्यों हम अब इतने बड़े हो गए, कभी जिद करते थे, कभी प्रेम से बोलकर, अपनों से गुज़ारिशें करते थे।। अब तो इतना तन्हा अकेले हो गये, नही देने वाला है अब कोई सहारा, होके सबसे दूर समुद्र के किनारे बैठ, सबसे मिलने की कोशिशें करते थे। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 190 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
अभिलाष सोनी
क्यूँ उनसे हम फ़रमाइशें करते थे। जो हमारी ही आजमाइशें करते थे। रिश्तों को संभालना आता नहीं। गैरों के सामने नुमाइशें करते थे। खुद की गलतियों पे पर्दा डालना। और दूसरों की पैमाइशें करते थे। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 190 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
DR. SANJU TRIPATHI
अब ना लौटेंगें वो गुजरे जमाने जब हम तुमसे फ़रमाइशें करते थे, बीत गए वो लम्हे जब हम अपने प्यार की आजमाइशें करते थे। चाहत तो बेशुमार थी तुमसे पर गलतफहमियों की दीवार गहरी थी, यकीन करता था दिल तुम पर खुद से भी ज्यादा पर चोट गहरी थी। अपनी जिंदगी से अब कोई भी शिकवा और शिकायत न रह गई, भले ही प्यार ना रहा दरमियांँ पर प्यार की बंदिशें बाकी रह गई। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 190 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
वो बचपन कितना खुशगवार था, जब हम अपनों से फरमाइशें करते थे, ना जाने कहा खो गए हसी पल, जब हम अपनों से सिफारिशें करते थे। बहुत ढूंढा पर वो तो मिला नही, ना जाने क्यों हम अब इतने बड़े हो गए, कभी जिद करते थे, कभी प्रेम से बोलकर, अपनों से गुज़ारिशें करते थे।। अब तो इतना तन्हा अकेले हो गये, नही देने वाला है अब कोई सहारा, होके सबसे दूर समुद्र के किनारे बैठ, सबसे मिलने की कोशिशें करते थे। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 190 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
आसमान से भी ऊँचा होता है, पिता का कद, उनसे हम जानें कितनी सारी फ़रमाइशें करते थे। ख़ुद की सभी ज़रूरतों को, करते वो अनदेखी, हमारी सभी फ़रमाइशों को, पूरी किया करते थे। पिता की दुआएँ, बच्चों को संकट से बचाती है, पिता बिना फ़रमाइशें, धरी की धरी रह जाती है। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 190 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
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