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Manaswin Manu
White I loved a girl with all my heart, We built a world that fell apart. We dreamt of staying side by side, To clear exams, to share the ride. We spoke of travels, a future bright, Of holding hands through every fight. But she’s gone, we’re far away, I’m left with words I didn’t say. I cry when songs of love appear, Each lyric pulls her memory near. I see her face in every place, The temples, the streets, her gentle grace. Last night, a dream took hold of me, Her life appeared as it used to be. I saw her smile in a photo new, And with a boy, the world saw too. The comments cheered, her joy was bright, They wished her love, they wished her light. My heart broke, but I smiled, For her happiness made it worthwhile. My heart broke, I smiled through tears, As she’s happy, despite my fears. Boy stood with her, right by her side, Her smile was warm, my tears I’d hide. Dreams didn't stop; they twist and turn, To places where my heart burns. I found myself in a sanctuary wide, With birds and lakes, beauty every side. And there she was, with friends around, But it was her, my heart had found. We saw each other, and time stood still, An impulse stronger than any will. We hugged so tight and for so long, A moment where nothing felt wrong. Our tears fell freely, we didn’t speak, Her warmth was all I wished to keep. I wished the world would let us stay, In that embrace, to drift away. But just like life, the dream had its way, She left again, like that first day. I woke up crying, her hug still there, Her scent, her touch, it felt so near. And one thought stayed as morning came, A silent wish I couldn’t tame. If we meet again, by some mistake, In a street, a temple or by a lake, I hope she smiles, just once for me, I hope she’s kind, I hope she’s free. And if it’s too much to ask her to stay, I’ll ask for a hug to take the pain away. One last hug, to feel her close, To hold the love I miss the most. ©Manaswin Manu #lasthug #Hug #Manaswin_Manu
Manaswin Manu
अवसाद को स्वीकारना ही आध्यात्म है इससे घबराना, घबरा कर लोग ढूंढना, रिश्ते बनाना यही बंधन है बंधन, कभी खुशी, कभी घुटन, कभी उत्सव, कभी स्मृति है खुशी, घुटन, उत्सव, स्मृति ये सब छलावे हैं छलावे नश्वर हैं और नश्वर हैं सारे प्रयास नश्वर हैं सारे प्रयास प्रयास प्रसिद्धि के, दायित्वों के निर्वहन के, अर्थोपर्जन के सारे प्रयास थकान हैं और थकान से मुक्ति का एक मात्र तरीका है अपने अवसाद को स्वीकारना ......................................................... अवसाद को स्वीकारना मुक्ति का मार्ग है पर इस मार्ग को मुश्किल बना देती हैं 'आशा' और 'प्रेरणा' आशा कि 'पराजय' और 'अवसाद' क्षणिक हैं, प्रेरणा कि तिमिर के उस पार कोई शाश्वत प्रकाश है, आशा भ्रम है और प्रेरणा है अपने अवसाद को स्वीकार न कर पाने वाले कमजोर कायरों की कविता प्रेरणा कविता है और ये कविता लाती है पैसा, प्रसिद्धि, रिश्ते, गर्व इत्यादि अन्य संसारिकताएं सांसारिकता मोह है मोह है मुक्ति का सनातन बैरी किंतु मुक्ति किस्से ? संसार से ? क्या हम स्वयं संसार नही ? तो स्वयं से और संसार से मुक्ति का उपाय क्या ? उपाय है ये देख पाना कि : संसार संधान है और मुक्ति साध्य । इस देख पाने के मार्ग में बाधक हैं, सारी प्रेरणाएं, सारी आशायें, सारे प्रयास जिनसे जन्म लेती है तृष्णा, भटकन और बन्धन प्रेरणा, आशा, प्रयास, तृष्णा, भटकन और बंधनों का गिर जाना ही है अवसाद सो अवसाद ही मुक्ति है अवसाद को स्वीकारना है स्वीकारना इस तथ्य को कि हम मुक्त हैं। ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #depression
Manaswin Manu
गंगा की अविरल निर्मलता और हरि-हरा का धाम हूँ मैं राम-लखन के झूले का हिलता डुलता विश्राम हूँ मैं रभ्या के तप की भूमि हूँ भावों का भावावेश हूँ मैं ऋषिकेश हूँ मैं, ऋषिकेश हूँ मैं ऋषिकेश हूँ मैं, ऋषिकेश हूँ मैं योग हूँ मैं, आरोग्य हूँ मैं जप, पूजा हूँ और ध्यान हूँ मैं सीधा, सुंदर और सहज, सरल गंगा आरती का गान हूँ मैं जगहित प्रभु ने विषपान किया शिव शंकर का संदेश हूँ मैं ऋषिकेश हूँ मैं, ऋषिकेश हूँ मैं ऋषिकेश हूँ मैं, ऋषिकेश हूँ मैं ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #Rishikesh
Manaswin Manu
जब आर्यमा गुम हो निशा में हो तमस जब हर दिशा में रत्नाकर जब रो रहा हो भाग्य मेरा सो रहा हो हर तरफ जब हो उदासी देह घायल, नेह प्यासी कहीं भी कोई आश ना हो किसी पे जब विश्वाश ना हो तब भी तुम्हारा साथ होगा हाथों मे तुम्हारा हाथ होगा और धड़कन झूम कर के मुझसे यह कहती रहेगी ये वही है -- ये वही है ये ही है सदभाग्य तेरा ये है मन का मीत तेरा ये सनातन प्रीत तेरा ये हृदय का हर्ष तेरा ये ही है उत्कर्ष तेरा ये धड़कनों की सतसई है जो कमी थी, वो यही है है जो ये तो सब सही है ये वही है -- ये वही है ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #Sristy #sristysinghvarid
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युग के आरंभ से अब तक किसी मनुष्य के हृदय में उत्पन्न प्रेम की सबसे गहरी और सच्ची भावना जैसी रही होगी तुम्हारे लिए मेरा प्यार वैसा ही है तुम्हारी सुंदर निश्चल आँखें और सीधी सच्ची बातें किसी पेशेवर झूठे को भी किसी मासूम बच्चे सा निर्मल कर देती हैं तो कहो मैं कैसे अपवाद रहता ? तुम्हारा प्यार, इनकार, गुस्सा सबकुछ स्वीकार है मुझे समय के अंत तक तुम्हारी प्रतीक्षा भी स्वीकार है किन्तु फिर भी एक उद्विग्नता है कि हम शीघ्र-अतिशीघ्र साथ आ जाएं ताकि इस छोटे - नश्वर जीवन मे तुम्हारे साथ थोड़ा अधिक समय बिता सकूँ ©Manaswin Manu #100Loveletters #Manaswin_Manu
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मैंने प्रेम में प्रतीक्षा की है और प्रतीक्षा के हर छन में मैंने तुमसे उतना प्यार किया है जितना किया जाता है एक पूरे युग में मेरी सारी समझदारी इस एक प्रश्न के आगे हार गई थी कि बेहतर क्या है सृष्टि में पाने योग्य जो कुछ है उन सबको पाना या बिना किसी आश्वाशन के केवल तुम्हारी प्रतीक्षा करना और बिना उत्तर जाने भी मैंने तुम्हारी प्रतीक्षा को चुना ©Manaswin Manu #100loveletters #letter1 #Manaswin_Manu
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Is anything around me real ? Do anything exist ? What if I reject all existence? The question comes "who is rejecting ?" My thoughts are rejecting. And "Who is thinking ?" Its me. So if I think, I am, I exit. (*Rene descartes*) I exist atleast as a thinking being. So my existence is certain. And existence of anything other then me, This sun, the moon, the earth, seasons, day & night, rivers and mountains, their existence is still questionable. But for me they exist. Because I can experience them. So if for me, my experience is the basis of existence of this universe. Then anything I say About this universe, Should be an absolute subjective truth. And all my thoughts, Should me my truth. Supported by the existence of this universe, Truth without exaggeration. So I am saying this, For you My friend, My love letter ,My sunflower. You exist for me And your existence Make the spring dance The rain sing The evening red And the nights dark The stars twinkle The moon smile You do this Just by existing. Just the fact that you exist makes this world a better place You make me a better human. Your existence inspires me to become better To become selfless To become loving And for this I will always love you I will always love us I love you ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #Her
Manaswin Manu
चौदह भुवनों के जो स्वामी जो सकल सृष्टि के रक्षक है वो महाकाल वो महारुद्र वो जो दुर्गुण के भक्षक हैं चंद्र, सूर्य, और अग्नि तीनो हैं जिनके त्रिनयन बने वो विश्वरूप, वो रामेश्वर हर स्वास कि जिनका पवन बने वो नीलकंठ, वो गंगाधर शशिशेखर, औघड़दानी है वो शिव शम्भू, वो शर्भेश्वर डमरूधर, वो शूलपाणि है वो आदियोगी, वो आदिगुरु जग के कर्ता, जग के कारण वो त्रिपुरारी, पार्वतीपति जिनके भक्त स्वयं हैं नारायण वो पशुपति, वो भूतनाथ वो सबसे भोले भाले है कोई देव हो या कोई देवराज महादेव सभी से निराले है नंदी जिनके वाहन है जो ध्यान मगन सन्यासी है गले में सर्प, तन पर भभूत वो जो श्मशान निवासी है जो सगुन रूप में ध्यानी है निर्गुण हो खुद ध्यान रूप जो सबमे हैं, और कही नही वो शिव शाश्वत आनंद अनूप वो एकलिंग जिनकी पूजा में रत ये सारी सृष्टि है वो हवि, यज्ञमय, शून्य रूप जिनमे लीन समष्टि है हम हाथ जोड़ कर प्रभु तुम्हारी वंदना करें है वामदेव, पंचवक्त्र हम तुम्हारी अर्चना करें हे सामप्रियः स्वरमयी हे विरूपाक्ष त्रिनयन तुम्हे नमन, तुम्हे नमन तुम्हे नमन, तुम्हे नमन ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #aadiyogi #shiv
#Manaswin_Manu #aadiyogi #Shiv
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चौदह भुवनों के जो स्वामी जो सकल सृष्टि के रक्षक है वो महाकाल वो महारुद्र वो जो दुर्गुण के भक्षक हैं चंद्र, सूर्य, और अग्नि तीनो हैं जिनके त्रिनयन बने वो विश्वरूप, वो रामेश्वर हर स्वास कि जिनका पवन बने वो नीलकंठ, वो गंगाधर शशिशेखर, औघड़दानी है वो शिव शम्भू, वो शर्भेश्वर डमरूधर, वो शूलपाणि है वो आदियोगी, वो आदिगुरु जग के कर्ता, जग के कारण वो त्रिपुरारी, पार्वतीपति जिनके भक्त स्वयं हैं नारायण वो पशुपति, वो भूतनाथ वो सबसे भोले भाले है कोई देव हो या कोई देवराज महादेव सभी से निराले है नंदी जिनके वाहन है जो ध्यान मगन सन्यासी है गले में सर्प, तन पर भभूत वो जो श्मशान निवासी है जो सगुन रूप में ध्यानी है निर्गुण हो खुद ध्यान रूप जो सबमे हैं, और कही नही वो शिव शाश्वत आनंद अनूप वो एकलिंग जिनकी पूजा में रत ये सारी सृष्टि है वो हवि, यज्ञमय, शून्य रूप जिनमे लीन समष्टि है हम हाथ जोड़ कर प्रभु तुम्हारी वंदना करें है वामदेव, पंचवक्त्र हम तुम्हारी अर्चना करें हे सामप्रियः स्वरमयी हे विरूपाक्ष त्रिनयन तुम्हे नमन, तुम्हे नमन तुम्हे नमन, तुम्हे नमन ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #shiv
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आँखों से आँसू सा, फिसलना हमारा मायूस होके शाम सा, ढलना हमारा प्यार देखा उसने, मेरा टूटना भी देखा देखा ही नही उसने, संभलना हमारा ये सच है जब गया वो, मन बहुत दुखी था जीवन था सूना सूना, दिल बहुत था रोया पर सोचता हूँ अब ये, जो पाया था ठीक था वो ? या ठीक ही हुआ जो, पाकर उसे है खोया देखा था उसने उसपर, मन मचलना हमारा देखा ही नही उसने, ये बदलना हमारा प्यार देखा उसने, मेरा टूटना भी देखा देखा ही नही उसने, संभालना हमारा ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #mentalHealth