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Sonu Sharma

कोई 👁️ #नज़र भी उठाए..
                #तुझपे तो 💓दिल  #धड़क जाता है
#मैंने तुझे 💗 चाहा है.... #अपनी👰 "#आबरु की तरह"

©Sonu sharma #WallPot

shweta Agarwal (sunshine)

जब तक सफर खूबसूरत न हो 
तो चलने में मजा किसे आता है,
मंजिल का गुरूर तो हमें बचपन से है,
पर जब सफर सुहाना और खूबसूरत हो,
तो हर मुश्किल काम भी आसान हो जाता है,

©Shweta Agarwal © sunshine #मंजिल 
#दिल
#धड़क
#Life 

#safar

Maneesh Ji

वों #चाय ही क्या ,, जों #कड़क ना हों वों #दिल ही क्या ,, जिसमें #धड़क ना हों #प्यार तों आपने भी किया होगा ,, मगर सुनो वों #इश्क़ ही क्या ,, जिसमें #तड़प ना हों ........................................................................ 🥀 🥀 Vo Chay Hi Kya ,, Jo Kadak Na Ho Vo Dil Hi Kya ,, Jisme Dhadak Na Ho #Mr_MANEESH

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- MERI SHAYARI MERI DASTAAN वों #चाय ही क्या ,, जों #कड़क ना हों
वों #दिल ही क्या ,, जिसमें #धड़क ना हों
#प्यार तों आपने भी किया होगा ,, मगर सुनो
वों #इश्क़ ही क्या ,, जिसमें #तड़प ना हों
........................................................................ 🥀 🥀

Vo Chay Hi Kya ,, Jo Kadak Na Ho
Vo Dil Hi Kya ,, Jisme Dhadak Na Ho

prachianshu dixit

#धड़क

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काली घनघोर घटाओं मे बिजली की चमक हो जैसे।
मेरे दिल मे तेरी धड़कन ,की धड़क भी है वैसे। #धड़क

गौरव गोरखपुरी

#MeraShehar 10 गुजर रहे थे जब तेरे शहर से काम लेना तो था मुझे सब्र से मगर ट्रेन प्लेटफार्म पर जब आ के रुकी आंखे पागलों की तरह तूझे ढूंढने लगी #कविता

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गुजर रहे थे जब तेरे शहर से
काम लेना तो था मुझे सब्र से
मगर ट्रेन प्लेटफार्म पर जब आ के रुकी
आंखे पागलों की तरह तूझे ढूंढने लगी

और फिर जब ट्रेन स्टेशन छोड़ के जाने लगी
ऐसा लगा कि तू मुझे छोड़ के जा रही है
और बड़ी जोर से तेरी याद आने लगी

बाहर आने को आतुर थी , दिल की धड़कन ,धड़क धड़क कर 
मगर बेचारी रह गई , सीने के अंदर तड़प तड़प कर

सांसे चल रही थी ऐसी , जैसे कि कह रही हो 
कि ट्रेन से उतर जाओ , वो यहीं कहीं तो होगी 
जैसे ही मै हाथ बढ़ाऊंगा ,तुम मेरे साथ चल दोगी
हाल रूह का ऐसा था, जैसे इलाज से मिलने आया रोगी

तभी गले लग कर रोते देखा , मैंने एक जोड़े को प्लेटफार्म पर
हाथ छुड़ा कर जाते देखा ,लड़की को मैंने प्लेटफॉर्म पर 

फिर हां ना की खींच तान में , ट्रेन काफी आगे निकल गई

चलो , अच्छा ही हुआ ,जो उतरे नहीं थे हम ट्रेन से
कैसे कैसे खुद को सम्हाला था तुम्हारे जाने के बाद 
फिर हो जाते हम पहले से - बेचैन से 

फिर वादा खुद से कर आए हम ,गुजरते हुए तेरे शहर से
कि जोड़ेंगे खुद से ,याद किसी और की, क्योंकि जहर को काटते हैं जहर से #MeraShehar 10 

गुजर रहे थे जब तेरे शहर से
काम लेना तो था मुझे सब्र से

मगर ट्रेन प्लेटफार्म पर जब आ के रुकी
आंखे पागलों की तरह तूझे ढूंढने लगी

Kaku Pahari

कुछ तो कहो

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खामोश रह के यूं खामोश ना रहो,
जो भी हो दिल में आज कहो।
फिर हम कहां ना जाने कहां होंगे,
जितना है जो भी कुछ तो बतलाओ।
                                        
                        दिल धड़क धड़क कुछ कह रहा है,
                        कुछ तो बात है जो यूं चुप रह रहा है।
                        गिरा दो पर्दे बतला दो राज़ जो भी है,
                        इजाज़त तो दो इन लबों को जो खामोश हैं। कुछ तो कहो

Arzooo

दिल ने धड़क धड़क कर आफ़त सी मचा दी... 
यारों ने मज़ाक में कहा था.. 
" वो तुम्हे पूछ रहा था " #मज़ाक #पूछ #यार #दिल #धड़क

BeautifullyBroken

#Lovenojoto

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छाया है मुझ पर ।
दिल हर बार तेरा ही नाम लेता है,
धड़क धड़क कर। #love#nojoto

Deepti Gawali(Deep..)

#OpenPoetry

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#OpenPoetry दिल धड़क के रह गया

स्याह सी रात
पैजण, चूड़ी 
और झुमकियाँ,
दर्पण में खुदको
निहारती मैं
सबको उतार
सादगी को पहनती मैं
अचानक
मद-मस्त हवा 
छू कर गुजरती हैं,
और कुछ आवाज़ 
पहुँचती हैं,
कानों को राहत देने,
जैसे लोरी कोई दूर से
उसकी याद बनकर 
पूरा बदन इत्र सा 
सुगंधमय करना
चाह रही हो, पर
थकान से भरपूर शरीर
और दिल का
अभी अभी जागना,
ज़रा से अश्रु 
और नींद थके शरीर
को सुला गया
हाय यह बेचारा दिल,
दिल धड़क के रह गया.. #OpenPoetry

गौरव गोरखपुरी

#OpenPoetry तेरा शहर गुजर रहे थे जब तेरे शहर से काम लेना तो था मुझे सब्र से मगर ट्रेन प्लेटफार्म पर जब आ के रुकी आंखे पागलों की तरह तूझे ढूंढने लगी और फिर जब ट्रेन स्टेशन छोड़ के जाने लगी #कविता

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#OpenPoetry  
तेरा शहर

गुजर रहे थे जब तेरे शहर से ,
काम लेना तो था मुझे सब्र से ।
मगर ट्रेन प्लेटफार्म पर जब आ के रुकी ,
आंखे पागलों की तरह तूझे ढूंढने लगी ।

और फिर जब ट्रेन स्टेशन छोड़ के जाने लगी ,
ऐसा लगा कि तू मुझे छोड़ के जा रही है..
और बड़ी जोर से तेरी याद आने लगी ।
बाहर आने को आतुर थी , दिल की धड़कन ,धड़क धड़क कर ।
मगर बेचारी रह गई , सीने के अंदर तड़प तड़प कर ।

सांसे चल रही थी ऐसी , जैसे कि कह रही हो - 
कि ट्रेन से उतर जाओ गौरव , वो यहीं कहीं तो होगी ।
जैसे ही मै हाथ बढ़ाऊंगा , तुम मेरे साथ चल दोगी ।
हाल रूह का ऐसा था - जैसे इलाज से मिलने आया रोगी ।

तभी गले लग कर रोते देखा , मैंने एक जोड़े को प्लेटफार्म पर ।
हाथ छुड़ा कर जाते देखा ,लड़की को मैंने प्लेटफॉर्म पर ।
फिर हां ना की खींच तान में , ट्रेन काफी आगे निकल गई ।
मगर तू तो इस शहर में नहीं, कैसे ये बात मेरे जहन से निकल गई ।

चलो , अच्छा ही हुआ ,जो उतरे नहीं थे हम ट्रेन से ।
कैसे कैसे खुद को सम्हाला था , तुम्हारे जाने के बाद , 
फिर हो जाते हम पहले से - बेचैन से ।

फिर वादा खुद से कर आए हम ,गुजरते हुए तेरे शहर से ।
कि जोड़ेंगे खुद से ,याद किसी और की, क्योंकि जहर को काटते हैं जहर से ।। #OpenPoetry तेरा शहर 
गुजर रहे थे जब तेरे शहर से
काम लेना तो था मुझे सब्र से

मगर ट्रेन प्लेटफार्म पर जब आ के रुकी
आंखे पागलों की तरह तूझे ढूंढने लगी

और फिर जब ट्रेन स्टेशन छोड़ के जाने लगी
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