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ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

आ भी जा बरखा,न दिखा इतने तेवर।
देख तेरी राह तक रहे,तेरी दीदी के देवर।।
😂😂
Barish 🌧️ the season of love ❤️

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #rain 
#बरखा

Rakesh frnds4ever

#baarish #सावन #बरसे , तरसे दिल, क्यों ना निकले घर से #दिल #बरखा में भी दिल #प्यासा है, #भीगी भीगी सी हर आशा है कैसी छाई ये #बहार है दिल ये क्यों बेकरार है रैना जागे , क्यों भागे मन नैना बरसे यूं तरसे ये मन खाली खाली सा ये तन बदन

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अदनासा-

Shubham Bhardwaj

राघव रमण

#बरखा

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झहरैत पैनक एक अछार
डुमि गेल खेत आ खरिहान
पोखैर इनार सबतरि भरलै
हवा बसातक करू गुणगान

©Raghav Raman #बरखा

Sangeeta Verma

अंबर कहे बादल से,तू शोर न मचाया कर
बरसना है तो बरस खाली गर्जन न सुनाया कर,

हरे भरे  खेतों की आभा, खो सी गई है,
कल-कल करती नदियां, सुखी हो सी गई है,

ऐसे तो अकाल का,प्रकोप भड़क जाएगा,
समय पे न बरसेगा तो, कौन तुझे अपनाएगा,

सूखे दरख़्तों से घोंसले उजड़ जायेंगे,
जग की न्यारी लाली में, पंछी कलरव कैसे गाएंगे,

भारत सोने की चिड़िया है, ये मंत्र यही दर्शाता है,
धरती सोना उगलेगी, जब बादल जल बरसाता है,

लगता है तुम दूरगामी देशों के हो चुके हो,
या शहर की चकाचौंध में, तुम भी खो चुके हो,

धरा वियोगी हो गई है, मुरझाई सी सो गई है
शीतल बरखा की बूंदों से,मिलन की आस में खो गई है,

एक किसान का मकान, कर्ज और लगान बाकी है,
बरस जाओ बादल, एक इम्तिहान अभी बाकी है ,

संगीता वर्मा ✍️✍️

©Sangeeta Verma #tree #बादल #बरखा

BARKHA Meena

प्यार करो पर प्यार न मांगो।

©BARKHA Meena #निर्मोही #बरखा #लव #सुकून #बात 
#Rose 
#roseday

Anita Mohan

#बरखा

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Kumar Manoj Naveen

#बरखा में मिलन की आस #

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***बरखा में मिलन की आस ***
आईल ई बरखा के बहार हो ,
पिया अईले ना घरवा।
निमन ना लागे ई फुहार हो
 पिया बिन मोर अंगनवा ।
 आईल इ कईसन बैरन बिपतिया, 
 बसवो न चले ,ना चले रेल गड़िया, 
 बीती जाई का सावन के खूमार हो,
 निक लागे ना अंगनवा। 
 आईल ई बरखा के बहार हो ,
पिया अईले ना घरवा।
जब- जब बरसे ई बैरन बदरिया ,
तब -तब याद आवे पिया के सुरतिया, 
दिनवा त कट जाला कटे ना रतिया,
अब कैसे जियायी दिन -रात हो, 
बीतल जाला बरखा के महिनवा। 
आईल ई बरखा के बहार हो ,
पिया अईले ना घरवा।
बरसे ला बदरा त भीगे बदनवा, 
उपर से पुरूवा सिहरावेला तनवा , 
टूटेला देहिया, काटे दौरे बिछवनवा , 
कब अईहे सजना हमार हो, 
अब ई दरद ना सहाता। 
आईल ई बरखा के बहार हो ,
पिया अईले ना घरवा।
**नवीन कुमार पाठक ** #बरखा में मिलन की आस #

ankit saraswat

#बरखा और मैं

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बादल बरसें अम्बर से और बरसे मन मेरा भी।
जैसे मयूरा जंगल में नाचे नाचे मन मेरा भी। 
चित्त चोर सुहानी बरखा रानी चित्त चुराये मेरा भी। 
दामिनी चमके गगन में है चमकता हृदय मेरा भी। 
घनश्याम गरज कर कहते मानव बरसे मन मेरा भी। 
सजनी के काजल की रेखा चपला सी घनघोर बड़ी। 
बरखा की बूंदों सी कोमल है सजनी की बोली। 
दिल चुराये अगन लगाये बेला ये सावन की।। 

#अंकित सारस्वत# #बरखा और मैं
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