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ऋतुराज पपनै "क्षितिज"
आ भी जा बरखा,न दिखा इतने तेवर। देख तेरी राह तक रहे,तेरी दीदी के देवर।। 😂😂 Barish 🌧️ the season of love ❤️ ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #rain #बरखा
Rakesh frnds4ever
सावन बरसे, तरसे दिल, क्यों ना निकले घर से दिल बरखा में भी दिल प्यासा है, भीगी भीगी सी हर आशा है कैसी छाई ये बाहर है दिल ये क्यों बेकरार है रैना जागे , क्यों भागे मन नैना बरसे यूं तरसे ये मन खाली खाली सा ये तन बदन जलता बुझता रहे जब चले ये पवन सावन बरसे क्यों तरसे दिल क्यों ना निकले बाहर ये दिल बारिश में भी ये मन प्यासा है जूठी जूठी सी हर दिलाशा है,,,.... ©Rakesh frnds4ever #baarish #सावन #बरसे , तरसे दिल, क्यों ना निकले घर से #दिल #बरखा में भी दिल #प्यासा है, #भीगी भीगी सी हर आशा है कैसी छाई ये #बहार है दिल ये क्यों बेकरार है रैना जागे , क्यों भागे मन नैना बरसे यूं तरसे ये मन खाली खाली सा ये तन बदन
अदनासा-
वो "बरखा" रानी और मैं "बहका" राजा बूंदों की गहनों में लिपटी इतराती , मुझसे पूछ बैठी प्यारी बरखा रानी , ज़रा बोलो तो तुम्हारी क्या रज़ा है ? कहता हूं गुस्ताख़ी माफ़ हो बरखा रानी , अगर आपकी बेश-क़ीमती रज़ा हो तो , एक ख़ता जो बार-बार करना चाहता हूं , कि तुम्हारी अदाओं की आग़ोश में , जी भर बहक कर तरबतर होना चाहता हूं , ऐसे में छाता भूल ही जाने में मज़ा है । और सुनो मेरी इल्तज़ा यारों मेरे प्यारों , अब मुझे छाता भूलने का तंज़ ना मारो । ज़रा पूछ भी लो बारिश में भीगने वालों से , कि छाता भूल जाने में क्या मज़ा है । ©अदनासा- #हिंदी #बरखा #बरसात #बारिश #वर्षा #Pinterest #Instagram #rain #Facebook #अदनासा
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read moreShubham Bhardwaj
बारिश की बूंदें और बरखा की फुहार। मन को भाने लगी है यह मस्त बहार ।। ©Shubham Bhardwaj #feelings #बारिश #की #बूंदे #और #बरखा #फुहार
राघव रमण
झहरैत पैनक एक अछार डुमि गेल खेत आ खरिहान पोखैर इनार सबतरि भरलै हवा बसातक करू गुणगान ©Raghav Raman #बरखा
Sangeeta Verma
अंबर कहे बादल से,तू शोर न मचाया कर बरसना है तो बरस खाली गर्जन न सुनाया कर, हरे भरे खेतों की आभा, खो सी गई है, कल-कल करती नदियां, सुखी हो सी गई है, ऐसे तो अकाल का,प्रकोप भड़क जाएगा, समय पे न बरसेगा तो, कौन तुझे अपनाएगा, सूखे दरख़्तों से घोंसले उजड़ जायेंगे, जग की न्यारी लाली में, पंछी कलरव कैसे गाएंगे, भारत सोने की चिड़िया है, ये मंत्र यही दर्शाता है, धरती सोना उगलेगी, जब बादल जल बरसाता है, लगता है तुम दूरगामी देशों के हो चुके हो, या शहर की चकाचौंध में, तुम भी खो चुके हो, धरा वियोगी हो गई है, मुरझाई सी सो गई है शीतल बरखा की बूंदों से,मिलन की आस में खो गई है, एक किसान का मकान, कर्ज और लगान बाकी है, बरस जाओ बादल, एक इम्तिहान अभी बाकी है , संगीता वर्मा ✍️✍️ ©Sangeeta Verma #tree #बादल #बरखा
BARKHA Meena
प्यार करो पर प्यार न मांगो। ©BARKHA Meena #निर्मोही #बरखा #लव #सुकून #बात #Rose #roseday
Kumar Manoj Naveen
***बरखा में मिलन की आस *** आईल ई बरखा के बहार हो , पिया अईले ना घरवा। निमन ना लागे ई फुहार हो पिया बिन मोर अंगनवा । आईल इ कईसन बैरन बिपतिया, बसवो न चले ,ना चले रेल गड़िया, बीती जाई का सावन के खूमार हो, निक लागे ना अंगनवा। आईल ई बरखा के बहार हो , पिया अईले ना घरवा। जब- जब बरसे ई बैरन बदरिया , तब -तब याद आवे पिया के सुरतिया, दिनवा त कट जाला कटे ना रतिया, अब कैसे जियायी दिन -रात हो, बीतल जाला बरखा के महिनवा। आईल ई बरखा के बहार हो , पिया अईले ना घरवा। बरसे ला बदरा त भीगे बदनवा, उपर से पुरूवा सिहरावेला तनवा , टूटेला देहिया, काटे दौरे बिछवनवा , कब अईहे सजना हमार हो, अब ई दरद ना सहाता। आईल ई बरखा के बहार हो , पिया अईले ना घरवा। **नवीन कुमार पाठक ** #बरखा में मिलन की आस #
#बरखा में मिलन की आस #
read moreankit saraswat
बादल बरसें अम्बर से और बरसे मन मेरा भी। जैसे मयूरा जंगल में नाचे नाचे मन मेरा भी। चित्त चोर सुहानी बरखा रानी चित्त चुराये मेरा भी। दामिनी चमके गगन में है चमकता हृदय मेरा भी। घनश्याम गरज कर कहते मानव बरसे मन मेरा भी। सजनी के काजल की रेखा चपला सी घनघोर बड़ी। बरखा की बूंदों सी कोमल है सजनी की बोली। दिल चुराये अगन लगाये बेला ये सावन की।। #अंकित सारस्वत# #बरखा और मैं
#बरखा और मैं
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