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Chetan malviya

मैं तुम्हारी बाल हँसी तुम मेरे एकांत के रुदन हो जाना..,

मैं बन जाऊँ पार्थ तुम मेरे मधुसूदन हो जाना..।। #पार्थ #रुदन #मधुसूदन #प्रेम #निस्वार्थ #yqquotes #yqhindi #yqfeelings

Drg

पिया मिलन को बहे कोमल आँसू, विरह में बहे पीड़ न जाने क्या लीला है प्रभु तुम्हारी, जो ऐसी बनाई है प्रीत ~ drg #रुदन #हृदय #संजोग #संबंध #सौभाग्य #प्रियवर #yqbaba #yqdidi Photo credits : ava7.com

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उनके रुदन में देख सुख संसार का,
हृदय बहा गया प्रेम के कोमल अश्रु
संजोग से बंधा था जो संबंध हमारा,
सौभाग्य से बने वे मेरे प्रियवर है पिया मिलन को बहे कोमल आँसू, विरह में बहे पीड़
न जाने क्या लीला है प्रभु तुम्हारी, जो ऐसी बनाई है प्रीत

~ drg

#रुदन  #हृदय  #संजोग #संबंध #सौभाग्य #प्रियवर #yqbaba #yqdidi 

Photo credits : ava7.com

Shilpa yadav

ग़रीबी को देखा है नजदीकी से
बस पर उसके भोले चेहरे को
महिला के मटमैले कपड़ों से
बच्चे के चिथड़े हुए कपड़े से

पथराईं सी आंखे थी उनकी
रूदन की आवाज लिए बस
अनायास ही न जाने क्यूं
आंखों में आंसू आए
एहसास हुआ उस क्षण 
दरिद्रता का समुद्र मंथन

नीलाम हो गया अमीरों का
 शहर क्या 
बिखर गयीं उम्मीदें उस क्षण 
अपादमस्तक कंपकंपा उठें
जब महिले ने भूख से अपने
प्राण त्याग दिए
हाय!है ऐसी मानवता पर
जो खड़े स्तंभो सा देख रहे
नेता भी अपने हाथ को सेंक रहे
ग़रीबों को सरेआम बेच रहे।

©Shilpa yadav #poor
#गरीबी
#जीवनअनुभव 
#वेदना
#कलह
#रुदन

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 1 - धर्मो धारयति प्रजाः आज की बात नहीं है। बात है उस समय की, जब पृथ्वी की केन्द्रच्युति हुई, अर्थात् आज से कई लाख वर्ष पूर्व की। केन्द्रच्युति से पूर्व उत्तर तथा दक्षिण के दोनों प्रदेशों में मनुष्य सुखपूर्वक रहते थे। आज के समान वहाँ हिम का साम्राज्य नहीं था, यह बात अब भौतिक विज्ञान के भू-तत्त्वज्ञ तथा प्राणिशास्त्र के ज्ञाताओं ने स्वीकार कर ली है। पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवप्रदेश में बहुत बड़ा महाद्वीप था अन्तःकारिक। महाद्वीप तो वह आज भी है।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
1 - धर्मो धारयति प्रजाः

आज की बात नहीं है। बात है उस समय की, जब पृथ्वी की केन्द्रच्युति हुई, अर्थात् आज से कई लाख वर्ष पूर्व की। केन्द्रच्युति से पूर्व उत्तर तथा दक्षिण के दोनों प्रदेशों में मनुष्य सुखपूर्वक रहते थे। आज के समान वहाँ हिम का साम्राज्य नहीं था, यह बात अब भौतिक विज्ञान के भू-तत्त्वज्ञ तथा प्राणिशास्त्र के ज्ञाताओं ने स्वीकार कर ली है।

पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवप्रदेश में बहुत बड़ा महाद्वीप था अन्तःकारिक। महाद्वीप तो वह आज भी है।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 1 - जिन्हें दोष नहीं दीखते 'आप निर्दोष हैं। आराध्य का आदेश पालन करने के अतिरिक्त आपके पास ओर कोई मार्ग नहीं था।' आचार्य शुक्र आ गये थे आज तलातल में। पृथ्वी के नीचे सात लोक हैं - अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल , रसातल और पाताल। इनमें तीसरा लोक सूतल भगवान् वामन ने बलि को दे रखा है। उसके नीचे अधोलोंको का मध्य लोक तलातल मायावियों के परमाचार्य परम शैव असुर-विश्वकर्मा दानवेन्द्र मय का निवास है। सुतल में बलि की प्रतिकूलता का प्रयत्न करने वाले असुर

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
1 - जिन्हें दोष नहीं दीखते

'आप निर्दोष हैं। आराध्य का आदेश पालन करने के अतिरिक्त आपके पास ओर कोई मार्ग नहीं था।' आचार्य शुक्र आ गये थे आज तलातल में। पृथ्वी के नीचे सात लोक हैं - अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल , रसातल और पाताल। इनमें तीसरा लोक सूतल भगवान् वामन ने बलि को दे रखा है। उसके नीचे अधोलोंको का मध्य लोक तलातल मायावियों के परमाचार्य परम शैव असुर-विश्वकर्मा दानवेन्द्र मय का निवास है। सुतल में बलि की प्रतिकूलता का प्रयत्न करने वाले असुर

रजनीश "स्वच्छंद"

मेरे बच्चे- बिहार का रुदन।। मेरे सरकार बता मुझको, किस ख़ातिर तुझको वोट करूँ। लिए गोद मे लाल को अपने, इसका भी गला क्या घोंट मरूं। मैं माता हूँ मेरी पीड़ा, #Poetry #kavita

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मेरे बच्चे- बिहार का रुदन।।

मेरे सरकार बता मुझको,
किस ख़ातिर तुझको वोट करूँ।
लिए गोद मे लाल को अपने,
इसका भी गला क्या घोंट मरूं।

मैं माता हूँ मेरी पीड़ा,
कानों में पिघल क्यूँ न गिरती है।
है कैसा मायाजाल बुना,
ममता भी दर दर फिरती है।

आज यहां तो कल को वहां,
क्या लाल जना है मरने को।
नौ नौ महीने खून पिलाया,
क्या कोख रखा है झरने को।

जिसे ज्ञान की नगरी कहते,
ज्ञान बना धृतराष्ट्र यहां।
मेरे लहु में खोट रही क्या,
क्या इनका नहीं है राष्ट्र यहां।

शरण मैं किसकी बोलो जाउँ,
बुद्ध भी पत्थर का बूत हुआ।
गांधी सुभाष के सपने थे,
देखो निर्जीव ये पूत हुआ।

बन गांधारी शाप मैं क्या दूँ,
किस कुल का संहार करूँ।
आंसू मेरे व्यर्थ न हों,
बस इतनी सी पुकार करूँ।

राजनीत का जला के चूल्हा,
रुदन पे ठहाके लगाते हो।
बस इतनी बात जरा कह दो,
बेशर्मी कहाँ से लाते हो।


कोख है उजड़ा, मैं ज़िंदा हूँ,
आहों को आंधी बनाउंगी।
तुमसे मुक्ति पाने को मैं,
फिर एक गांधी बनाउंगी।।

©रजनीश "स्वछंद" मेरे बच्चे- बिहार का रुदन।।

मेरे सरकार बता मुझको,
किस ख़ातिर तुझको वोट करूँ।
लिए गोद मे लाल को अपने,
इसका भी गला क्या घोंट मरूं।

मैं माता हूँ मेरी पीड़ा,

TAPAS AGARWAL

निशब्द #कविता

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निशब्द हूं निशब्द हूं मैं
ये कैसा रुदन छाया है
मासूम की अस्मत लूट गया
ये कैसा वहशी आया है
ना इनको कोई डर किसी का
दर्द इन्हें होता ही नहीं
मानवता और दया का कोई
अंश इनमें होता ही नहीं
अबोध नन्नी जान पे ये
कैसा कहर बरपाया है
निशब्द हूं निशब्द हूं मैं
ये कैसा रुदन छाया है।। निशब्द

Sultan Mohit Bajpai

तुम आ जाना.. -------------------- ताबिश :- ताप ,वैभव ,शोक ,दुःख फज :-रुदन ,रोना ,विलाप फुंगा :-दर्द भरी पुकार ,रुदन ,गोहार फुरकत :- जुदाई बेकस :-मित्र हींन ,अकेला Hindi #Nojoto #Emotionalhindiquotestatic #NojotoWODHindiquotestatic #Quotes #Shayari #Poetry#nojotokalakasha#nojotoLove#NojotoGajal#mylove #nojotohindi

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जितना तुमपे ,मैं मरता हूँ , 
तुम भी मरना तो ,आ जाना..!

जब रातो को तुम, उठ'उठ कर 
आहें भरना तो ,आ जाना..!!

जितना मैंने इस ,फुरकत में ,
अक़्सर फ़ज-ओ-फुंगा किया है..!

उतना ही तुम, ताबिश होकर ,
बेकस होना ,तो आ जाना तुम आ जाना..
--------------------
ताबिश :- ताप ,वैभव ,शोक ,दुःख
फज :-रुदन ,रोना ,विलाप
फुंगा :-दर्द भरी पुकार ,रुदन ,गोहार
फुरकत :- जुदाई
बेकस :-मित्र हींन ,अकेला
#NojotoHindi #Nojoto #EmotionalHindiQuotestatic #NojotoWodHindiQuotestatic #Quotes #Shayari #Poetry#nojotokalakasha#nojotolove#nojotogajal#mylove

Kumar.vikash18

हमारी बिटिया हर दिन की तरह आज भी तड़के मैं सैर पर निकला, और दिनों की तरह आज भी मेरी श्रीमती जी मेरे साथ ही थीं! हम दोनों का विगत कई वर्षों से सुबह की सैर का यह सिलसिला बदस्तूर जारी था! ठंडी गर्मी बरसात कोई भी मौसम

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हमारी बिटिया 

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👇 हमारी बिटिया 

हर दिन की तरह आज भी तड़के मैं सैर
पर निकला, और दिनों की तरह आज
भी मेरी श्रीमती जी मेरे साथ ही थीं!
हम दोनों का विगत कई वर्षों से सुबह
की सैर का यह सिलसिला बदस्तूर जारी
था! ठंडी गर्मी बरसात कोई भी मौसम

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 15 - तामस त्याग नियतस्य तु संन्यास: कर्मणो नोपपद्यते। मोहात्तस्य परित्यागस्तामस: परिकीर्तितः।। (गीता 18।7)

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
15 - तामस त्याग

नियतस्य तु संन्यास: कर्मणो नोपपद्यते।
मोहात्तस्य परित्यागस्तामस: परिकीर्तितः।।
(गीता 18।7)
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