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Amitosh Upadhyay "Amit"
हम तो ठहरे भीनी खुशबू बिखरे बिखरे रहते हैं,, चाहे जितने कर लो सितम हम हँसते हँसते सहते हैं।। Amitosh Upadhyay " amit " #भीनी खुशबू
V.k. sehra
गजब का अहसास होता होता है जब भीनी भीनी सर्दी और एक लम्बा सा सफर jindgi zeene ka ak anokha andaz Priya Poonam Sweta Kushwaha Faguni Verma shivam kumar mishra
Sonam kuril
"अदभुत, अद्वितीय , सौंदर्य से परिपूर्ण , कितना मनमोहक प्राकृतिक दृश्य है , इन् नयनों को शीतललता प्रदान करती ये हरियाली , जहाँ तलक ये दृष्टि जाती है हरियाली ही हरियाली नजर आती है , मिट्टी की सौंधी सौंधी सी खुश्बू जीवन को महकती है , ये नदियाँ ,ये पहाड़ , ये झरनों से गिरता शीतल जल , ये इठलाती नदियां की लहरें ,ये भीनी भीनी फूलों की महक , ये सन्नन सन्नन चलती पवन , मानो रोम रोम थिरकाती है ," सोंचकर ही हृदय कितना पुलकित हो उठता है , किसी रोज़ छाँव की तलाश में जब तुम घर से निकलोगे , हरी भरी बगिया नहीं , कोसों बंजर जमीं मिलेगी , काट रहे हो जो इतनी कुरुरता से वृक्षों को , एक रोज़ इसी की छाँव को तरसोगे, ये वृक्ष हमारी धरोहर है , इसे ऐसे तो मत नष्ट करो | "अदभुत, अद्वितीय , सौंदर्य से परिपूर्ण , कितना मनमोहक प्राकृतिक दृश्य है , इन् नयनों को शीतललता प्रदान करती ये हरियाली , जहाँ तलक ये दृष्टि जाती है हरियाली ही हरियाली नजर आती है , मिट्टी की सौंधी सौंधी सी खुश्बू जीवन को महकती है , ये नदियाँ ,ये पहाड़ , ये झरनों से गिरता शीतल जल , ये इठलाती नदियां की लहरें ,ये भीनी भीनी फूलों की महक , ये सन्नन सन्नन चलती पवन ,
Preeti Lata
उसके इश्क़ की तलाश थी मुझे भी एक रोज़ वो खिड़की से झांकती आँखें एक पल में ही यूँ , क़ि दीवाना कर गयी , की अब सोते जागते दिन रात बस वही आँखों के प्रत्यक्ष मानो नृत्य कर रही हो , मानो एक फितूर सा सवार हो गया हो, उस रोज़ भी प्रतिदिन की तरह मैं चांदनी चौक की गलियों से गुजर रहा था । तभी घुँगरू की वो परिचित सी आवाज़ , वो भीनी भीनी बेला की सुंगंध , मानो अपनी और आकर्षित कर रही हो, मैं बेसुध होके उस दिशा में बढ़ता गया , मेरी तलाश खत्म हुई एक ऐसी जगह जिसे सभ्य लोग "रेड लाइट एरिया" कहते है जाने दीजिये मैं अंदर गया तो उन्ही आँखों का दीदार हुआ , मानो बार बार उनसे प्यार हुआ फिर मैंने कुछ न कहा चुप चाप एकटक उन्हें निहारता रहा मानो सब स्तब्ध प्रतीत होरहा हो फिर एहसास हुआ की इश्क़ उन आँखों से आज भी है क्या हुआ वो दुनिया की नज़रों में तवायफ़ है मुझे उसमे मेरे इश्क़ की तलाश और उसके इश्क़ की भी तलाश मुझ पर आकर रुक सी गयी हो मानो और आज 5 वर्ष होगये और आज भी जब भी उनका दीदार होता है हर बार उनसे इश्क़ बेशुमार होता हैँ। Preeti Lata @perceptive_writer #RDV19 uske ishq ki talash #RDV19 उसके इश्क़ की तलाश थी मुझे भी एक रोज़ वो खिड़की से झांकती आँखें एक पल में ही यूँ , क़ि दीवाना कर गयी , की अब सोते जागते दिन रात बस वही आँखों के प्रत्यक्ष मानो नृत्य कर रही हो , मानो एक फितूर सा सवार हो गया हो, उस रोज़ भी प्रतिदिन की तरह मैं चांदनी चौक की गलियों से गुजर रहा था ।
Shradhey
#DaughtersDay खुशबू है उसकी भीनी-भीनी सी लहजा रहता ही गुड़-चीनी सी घर के दर-दर पर महकी सी घर के हर कमरे में चहकी सी बेटिया से ही घर 'घर' सा है। Happy Daughter's Day all Girl's 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 #Girls#Nojoto#Girlspower
shailja ydv
सूखे फूल एक किताब के बीच से भीनी -भीनी सी ख़ुशबू है आज आयी, खोल कर देखी तो ... एक गुलाब की महक पूरे कमरे में है समाई, बहुत दिनों के बाद उसे देख मेरी आँखें भी नम हो आयी, इस सूखे गुलाब ने आज फिर से तेरी याद है दिलाई सूखे गुलाब ने
Gaurav Yadav
“मुझे पता न चला” हम मिले बेशक डो अजनबियों की तरह थे, मगर तुम दिल में कब आ बसे मुझे पता न चला! अपनी आँखों में राखी थी मेने इज्जत तुम्हारे लिए, इसमें प्यार कब उमड़ आया मुझे पता न चला! यूँ तो शराफत और सादगी लुभाती थी मुझको, तेरी शरारतों पर कब फिसल गया पता न चला! खुली जुल्फों से आती थी जो तुम्हारी भीनी-भीनी खुशबु, जाने कब खामोश जंगल सी हुई मुझे पता न चला! अधरों पर चमकती थी जो सूरज की लालिमा, वो मदहोश लैब बेसुध क्यों हुए मुझे पता न चला! वजह चाहे जो हो तेरे इस घुट-घुट के जीने की, मेरे जीने की वजह अब तुम हो शायद तुम्हें पता न चला!! “मुझे पता न चला” हम मिले बेशक डो अजनबियों की तरह थे, मगर तुम दिल में कब आ बसे मुझे पता न चला! अपनी आँखों में राखी थी मेने इज्जत तुम्हारे लिए, इसमें प्यार कब उमड़ आया मुझे पता न चला!
Krtikaa
प्यार की चाशनी में विश्वास की चीनी हो, चाय सा कड़क हो रिश्ता और परवाह की महक भीनी- भीनी हो! #nojoto #nojotoquotes #krtika
WildSudhirAarya
नाराज़ अभी सुबह है तेरी नाराजगी की दोपहर तो होने दे ये भीनी भीनी धूप जब सूख जायेगी सुर्ख धूप चावल ही क्या kumar's तेरी चाहत को भी पका के तस्तरी मे रखवा देगी| फिर ये नाराजगी तेरी लंच पे जाने से तुझे रोक नही पायेगी|| #नाराज़
निखिल कुमार अंजान
बारिश आसमां से पानी की बूंदे जब जमीं पर गिरती है जमीं से उठने वाली भीनी भीनी महक साँसों मे घुलती है तन मन बहक जाता है बरसात मे भीगने का दिल कर जाता है....... #अंजान... #अंजान.... #मेरी_डायरी.... #rain.... #nojoto....