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गुस्ताख़शब्द

कुछ आप कहेंगे, तो कुछ हम फरमायेंगे। आप देंगे मुक़ाम, अल्फ़ाज़ हम ढूंढ लायेंगे।। #gustaakhshabd #गुस्ताख़शब्द Try to Feel conviction & artistical attachment with the writing, everything will start making sense🕊️🌼 Feel free to visit instagram 🐾

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गुस्ताख़शब्द

साक्ष्य चाहिए तुम्हें कैसा,
प्रेम नहीं हैं धर्म जैसा।
न धागा न ताबीज़...
रंग सूफ़ी ये कोरा ऐसा।।

तुम कागजी चाल चाहते हो,
ज़माने से मिसाल चाहते हो।
मेरी तिश्नगी मेरी प्रेरणा...
तुम जां 'गुस्ताख़' चाहते हो।।

©गुस्ताख़शब्द  “Kise chahiye mann ka sona, aankh ke moti? Kise padi hai andar kya hai?”

तारा- “Ye tum nahi ho Ved. ye sab nakli hai.”
वेद- “Wo toh acting thi naa. Wo mai role play kar raha tha. Aur ye mai real mei hoon.”

#lovequotes #Question #प्रेम #स्नेह #deep #individuality #Life_experience #हिंदी #पंक्ति #Inspiration

“Kise chahiye mann ka sona, aankh ke moti? Kise padi hai andar kya hai?” तारा- “Ye tum nahi ho Ved. ye sab nakli hai.” वेद- “Wo toh acting thi naa. Wo mai role play kar raha tha. Aur ye mai real mei hoon.” #lovequotes #Question #प्रेम #स्नेह #Deep #individuality #Life_experience #हिंदी #पंक्ति #Inspiration #फ़िल्म

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गुस्ताख़शब्द

  तुम्हें आरंभ याद है, मुझे अंत पता है।
तुम्हें प्रेम भाये है, मेरा दर्द ख़ता है।।

तुम ठहरा आसमां, मैं नदी का छोर हूं।
तुम ढलती शाम, मैं सुबह का शोर हूं।।

तुम होंठों की हँसी, मैं रूह का ग़म हूं।
तुम गिलास़ आधा, मैं पैमाना कम हूं।।

तुम कहानी पूरी, मैं अधूरा छंद हूं?
तुम आज़ाद पंछी, मैं क़ैद बंद हूं?

©गुस्ताख़शब्द
  हम जिनकी पनाह में बैठे थे, वो किसी और का पल्लू थामे हैं।
#Love #Hate #Life #प्रेम #धोखा #Deep #गुस्ताख़शब्द #gustaakhshabd #जिंदगी #कविता

हम जिनकी पनाह में बैठे थे, वो किसी और का पल्लू थामे हैं। Love #Hate Life #प्रेम #धोखा #Deep #गुस्ताख़शब्द #gustaakhshabd #जिंदगी #कविता #शायरी

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गुस्ताख़शब्द

जहां में लोग कैसे कैसे, मकां देखे मैंने ऐसे वैसे।
#Reality #सत्य #भ्रम #मकान #प्रेम #गुस्ताख़शब्द 
#whatmatters #Question

जहां में लोग कैसे कैसे, मकां देखे मैंने ऐसे वैसे। #Reality #सत्य #भ्रम #मकान #प्रेम #गुस्ताख़शब्द #whatmatters #Question

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गुस्ताख़शब्द

मुझे तेरी आभा विचलित नहीं करती,
और तेरे ओज से संपूर्ण नहीं है धरती,
भले तेरा रूप विशाल होता जाए...
तेरी पियूष की नदियाँ अब नहीं झरती।

©गुस्ताख़शब्द
  #चाँद #आभा #ओज #संपूर्ण #गुस्ताख़शब्द #Love  #Hate #story
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गुस्ताख़शब्द

एक क़ैद है,
एक खुली हवा।
एक घर है,
एक वही दूका।

एक दूर है,
एक पास जहां।
एक साज़ है,
एक सांस रवां।

©गुस्ताख़शब्द
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गुस्ताख़शब्द

साँझ की बेला यूँ शरमाई,
उतर के रजनी फिर इठलाई,
तम की चादर तान जो सोई,
कि अल्प उषा नज़र न आई।

प्रकाश माँगे छोटा कोना,
स्याह रात का पार होना,
पर छाए गर मेघ क्षितिज पे,
तय हो जाए दिन का भी रोना।।

©गुस्ताख़शब्द
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गुस्ताख़शब्द

प्रणय प्रलय का पर्याय,
वो अनंत अविनाशी है।
नीलकंठ औ चंद्रशेखर भी,
झाँकी उसकी ही काशी है।

तांडव धैर्य- धीर- धरम,
आशुतोष ग्रहों की राशि है।
प्रेत वही औ वही उपाय,
प्रेरणा उसकी अभिलाषी है।

©गुस्ताख़शब्द
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गुस्ताख़शब्द

भोर देख दिशा खो जाऊं,
ईश मेरे कैसे तुझे पाऊं?

पंक्ति छोड़ लफ़्ज़ जो लाऊं,
पापी मैं बन सूफी आऊं।।

तम की राह रोशनी पाऊं,
तुमसे मैं एक हो जाऊं।।

धुंध थामे चलता आऊं,
पर तेरे दर क्या ही लाऊं?

©गुस्ताख़शब्द
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गुस्ताख़शब्द

मैं तुम्हारी पंक्ति,
तुम मेरी व्याख्या।
मिले जो तुझे शिव,
तो मिले मुझे कामाख्या।

मैं तो शीत चांदनी,
तुम ठहरा आसमां।
गए ढूंढने हम नबी,
पर मिले न कोई आशना।

©गुस्ताख़शब्द
  तुम ढूंढे हो जिसको, वो है ही नहीं सच में।
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तुम ढूंढे हो जिसको, वो है ही नहीं सच में। #bekhudi #शिव #कामाख्या #ढूंढना #nabi #आशना #गुस्ताख़शब्द #Deep #जिंदगी #ज़िन्दगी

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गुस्ताख़शब्द

सारी बिसातें हार गए,
साहस का चोला ढक कर।
हार ही मिली अभिमन्यु,
तुझे चक्रव्यूह में फंस कर।।

हां; शूरता में प्रखर हुए,
रण विद्या में तुम तप कर।
अपनों के ही घात आगे,
मिली यूं बेबस मृत्यु तत्पर।।

©गुस्ताख़शब्द
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