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Ashka❤️
एक हवा के झोंको ने मुझे यू झंकझोर दिया, नई सुबह की नई किरण ने एक ऐसा मोड़ दिया, जिन कदमों पे था गुरूर मुझे, जिन कदमों पे था गुरूर मुझे, उसी ने मेरा साथ छोड़ दिया।। दुख का दायरा बढ़ती ही गई, लोगों ने पूछा चोट गहरी तो नहीं, कुछ कर दिखाऊं सोच ही रही थी, इस प्रश्न ने तो अंदर से ही तोड़ दिया। एक हवा के झोंकों ने मुझे यू झकझोर दिया।। समंदर की किनारों से गुजरना पसंद आते हैं, तन्हाई की गहराई ने मुझे सागर में धकेल दिया, संभाल भी ना सके खुद को हम रेतों पर, दरिया का पानी इतना शोर किया, एक हवा के झोंकों ने मुझे यूं झकझोर दिया, एक हवा के झोंकों ने मुझे यूं झकझोर दिया।। ©pooja sah मुझे यूं झकझोर दिया 🥺🤭 #Winter
Murari Shekhar
विशाखापत्तनम में रिसते जहरीली गैस के शिकार हुए कई इंसान और बेजुबां ! देश के बार्डर पर लड़ते हुए शहीद हो गए कितने सैनिक ! ओह,,,,,,,,,, प्राकृतिक आपदा के साथ-साथ कृत्रिम आपदा भी कम नहीं झकझोर दिया समंदर को फिर भी चैन नहीं सिकंदर को :-मुरारी शेखर #Hope झकझोर दिया समंदर को #Nojoto #NojotoHindi #NojotoEnglish #NojotoApp #NojotoFilms #Storytelling #Trending #Humanity #GasLeak
Shikha Mishra
क्या लिखूं मैं, हाथ काँपने लगती है राजनीति जब मरने वालों पर होने लगती है लीपा पोती तथ्यों से की जाने लगती है अन्तःस्थल तक मन विहल हो जाता है शर्मसार हो मानवता भी रोने लगती है. #गोरखपुर_त्रासदी #माँकादर्द गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में लापरवाही की वजह से हुई घटना ने अंतर्मन को झकझोर दिया ...... उस घटना के लिए चंद पंक्तिया
Mukesh!!!
कहीं खो गया था मैं दिलों की दरिया में डूबों गया था मैं न जाने क्यूँ ख़ुद को रोक न सका मैं समीप जाने से उसके ये कैसी दिल्लगी थी मेरी अपसरा के भांति उनकी हर अदा मुझे भाती जा रही थी यूं दिल में समाती जा रही थी एक हलकी आहट ने झकझोर दिया मुझे स्वप्न से हक़ीक़त में ला दिया मुझे !! ©Mukesh!!! उसके हाथ मेरे हाथ पर थे और कहीं खो गया था मैं दिलों की दरिया में डूबों गया था मैं न जाने क्यूँ ख़ुद को रोक न सका मैं समीप जाने से उसके ये
Divyanshu Pathak
तुम इंसान के रूप में औरत मैं इंसान के रुप में मर्द । इंसान लफ़्ज़ एक है लेकिन इसे कई अर्थ मिले । मेरे तेरे जिस्म की पहचान के लिए तुम महबूबा हो पत्नी हो दासी हो बेटी हो वेश्या हो। तुम्हें जिस नज़र से देखा दिखी पर मुझे किस नज़रिये से जाना मैं महबूब हूँ, पति हूँ, पिता हूँ, बेटा हूँ या यूं कहूँ आवारा, अय्याश, बेग़ैरत हूँ । तुम्हें लगता है में हमेशा से ऐसा हूँ ! एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते कराते आज हम कहाँ पहुँच गए पता है? समलैंगिकता ,एकांकी,लिवइन, बिना ज़िम्मेदारी के सबकुछ पाने की दौड़ में जानता हूँ तेरा जिस्म नुचा है और मेरी आत्मा । तुम एक राज़ हो ,मैं एक क़तरा तुम्हें समझना होगा और मुझे जज़्ब करना होगा । कभी तो ख़त्म करना होगा ये द्वंद प्रतिस्पर्धा को छोड़ अनुस्पर्धा का अनुसरण भी तो हो सकता है। क्या हम एक दूसरे के पूरक बनेंगे अपनी सदियों पुरानी विरासत की तरह । शिव है तो शक्ति है । शक्ति है तो शिव का वजूद है। #deepali suyal #इंसान #compare d suyal जब आपकी रचना ने दिल झकझोर दिया वहुत सोचा और तो कुछ नहीं समझ आया पर मुझे लगा हमारी जीवनशैली जो कि भार
DHARMENDRA KASHYAP
उन लम्हों की यादों का थपेड़ा ऐसा था , झकझोर दिया दिल को संभलने से पहले , जब थमा वादियों में यूं ओस की तरह , निचोड़ दिया तपन ने झरने से पहले , मैं समझा एक मुसाफिर उस हुस्न-ए-शबब को, छोड़ दिया उसने रंग बदलने से पहले, जितना भी चला संग में बेखौफ थी दीवानगी, बेजोड़ किया उसने जोड़ टूटने से पहले , काश आ जाए वह शाम बने मदहोश हम दोनों , ताबड़तोड़ की मोहब्बत रुसवा होने से पहले , उन लम्हों की यादों का थपेड़ा ऐसा था , झकझोर दिया दिल को संभलने से पहले , जब थमा वादियों में यूं ओस की तरह , निचोड़ दिया तपन ने झरने से पहल
अलक
तूफानों के इस दहसत में अनुमान लगाये बैठे हैं खुद के जीवन की फिक्र नहीं इक जान बचाये बैठे हैं ।। वह नन्हा था पर था बुलबुल मानव चित को झकझोर दिया मानवता की परिभाषा को मृत्यु के पथ पर तौल दिया ।। एक था मानव वो भी शायद जो मृत्यु को पाने निकला था ना चिन्ता थी उसको अपनी पर जान बचानें निकला था ।। मिट गया तुफा खुद ही तबतक वह जीवन पाये बैठा था वह जीत गया अपना जीवन इक जान बचाये बैठा था ।। गर हो, ऐसी मानवता तब ही मानव कहलाता है अपने दुख का ना दर्द उसे पर सबके जख्म मिटाता है ।। अशोक सिंह आज़मगढ़ तूफानों के इस दहसत में अनुमान लगाये बैठे हैं खुद के जीवन की फिक्र नहीं इक जान बचाये बैठे हैं ।। वह नन्हा था पर था बुलबुल मानव चित को झकझोर
अभिलाष सोनी
विषय :- तुम्हें मेरी क़सम (11-10-2021) ********************************* तुम्हें मेरी क़सम है, अब मुझसे कोई वादा न करना। मेरी तरफ लौटकर आने का, कोई इरादा न करना। कोशिशें तो तुमने बहुत की, मुझे बदनाम करने की। साजिशें एक बार फिर कर लो, पर ज्यादा न करना। महफ़ूज़ हूँ मैं अब तुमसे दूर होकर, अकेले जहाँ में। मेरी गलियों से गुज़रना, मगर शोर शराबा न करना। वक़्त ने खूब सबक सिखाया, तुम्हारे साथ होने से। प्यार सबसे करना, पर किसी से बेतहाशा न करना। मेरी आरजुओं को तुमने इस क़दर झकझोर दिया है। दिल कहता है आरज़ू पूरी होने की प्रत्याशा न करना। विषय :- तुम्हें मेरी क़सम (11-10-2021) तुम्हें मेरी क़सम है, अब मुझसे कोई वादा न करना। मेरी तरफ लौटकर आने का, कोई इरादा न करना। कोशिशें तो त
Ravindra Singh
'तुझसे बात करना छोड़ दिया ' तुझे भी फ़ुरसत नहीं, मैंने भी होते हुए फ़ुरसत, तुझसे बात करना छोड़ दिया । जा रहा था तेरी राह पर ,सोचा मंज़िल है तू, जा अकेली, मैंने अपनी राह को तेरे विरुद्ध मोड़ दिया। तुझे भी फ़ुरसत नहीं, मैंने भी होते हुए फ़ुरसत, तुझसे बात करना छोड़ दिया । ऐसा नहीं कि तुझे मनाने का प्रयास नहीं किया मैंने। किया बहुत, कि आये लौटकर तू, बहुत इंतज़ार मैंने । जब तोड़ दी तूने बँधी आस की डोर, जुदाई के ग़म ने मुझे झकझोर दिया । तुझे भी फ़ुरसत नहीं, मैंने भी होते हुए फ़ुरसत, तुझसे बात करना छोड़ दिया । ©Ravindra Singh 'तुझसे बात करना छोड़ दिया ' तुझे भी फ़ुरसत नहीं, मैंने भी होते हुए फ़ुरसत, तुझसे बात करना छोड़ दिया । जा रहा था तेरी राह पर ,सोचा मंज़िल ह