Find the Latest Status about वर्षा त्रतु from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, वर्षा त्रतु.
अनिल मालवीय मन्नत*
Krishna Tripathi
मिट्टी की पहली पुकार पर वर्षा का अभिनंदन है नव नभ के नव बिहगवृंद का शतवंदन अभिनंदन है मिट्टी की पहली पुकार पर वर्षा का अभिनंदन है तरु पल्लव जो था मुरझाया मानो मंद मंद मुस्काया पतझड़ उदधी आग में झुलसे तरुवर ने नव जीवन पाया प्रेम राग में भीगी धरती नव यौवन नव चंदन है मिट्टी की पहली पुकार पर वर्षा का अभिनंदन है फर फर करके उड़े पतिंगा धरती पर पपिहा पान करें कोयल कूक कूक कर गाए पंछी नवल विहान करें टर्र टर्र दादुर के बोले मिट्टी में स्पंदन है मिट्टी की पहली पुकार पर वर्षा का अभिनंदन है इंद्रधनुष के रंग सजाकर सप्तरंगों से संधान करें पर्वत वृक्ष नदी सरोवर नव वस्त्रों का परिधान धरें मेघों के इन घन घमंड का जलवृंदों से अरिमर्दन है मिट्टी की पहली पुकार पर वर्षा का अभिनंदन है वर्षा की मधुरिम बेला पर युवा उमंग जगाती है आज प्रकृति आनंदित होकर अपनी छटा बिखराती है मिट्टी की सौंधी खुशबू यूं माटी मानो चंदन है मिट्टी की पहली पुकार पर वर्षा का अभिनंदन है ©Krishna Krishna Ki ✍️ Se वर्षा ऋतु का स्वागत #rainfall #Nojoto #nojotohindi VOICE OF NEW INDIA सचिन सारस्वत priyanshi Anshu writer
Archana Tiwari Tanuja
पत्तियां :- जैसे गिरती हैं किसी शाख से पत्तियां, वैसे ज़िंदगी के दिन गिनती उंगलियां। सुकोमल कोपल दरख़्तों पे यूं निकलती, मानो नवजात शिशु की हो किलकारियां। यूं हवाओं संग तुम राब्ता बनाए रखना, घिर आए जो कभी दु:ख की बदलियां। हर शाख झूमता गिरते हैं पत्ते बेबस हो! ऐसे ही तो चलतीं हमारी भी ज़िंदगियां। चमक-चमक के गरज-गरज के भरमाती, डरातीं हैं बहुत कड़कती हुई बिजलियां। दु:ख की बारिशों बाद होगा दिन सुहाना, सुख की हरियाली लाए रंगीन तितलियां। पत्तियों जैसा है संघर्ष हमारे जीवन का, वर्षा,धूप छांव,आंधी और झेले गर्मियां। अर्चना तिवारी तनुजा ©Archana Tiwari Tanuja #Pattiyan #Nojoto #kavita #NojotoHindi #hindiwriters #mythaughts #Virel 30/06/2023 जैसे गिरतीं हैं किसी शाख से पत्तियां, वैसे ज़िंदगी
Devesh Dixit
Nisheeth pandey
प्रेम की तलाश ************ मैं तलाशना छोड़ दिया हूं हर कहीं जहां भी तुम्हारी झलकियां मिलती महसूस हुआ करती थी मुझे पता रहता था -कहां हो तुम सुबह की सैर छोड़ दी क्योंकि घास के पत्तों पर ठहरी मोती सी झिलमिलाती ओस की बूंदों से तुम्हारी स्नेह जुड़ी थी .... दोपहर भी तुम्हारे तिलमिलाहट से कहाँ अछूता था -निरूद्देश्य भागती पिघलाती पसीने से लथपथ शरीर देखती तुम्हारी आखें सड़कों पर बहती गर्म हवाओं में कहीं दूर मृगमरीचिका और उसमें उलझना तुम्हें अच्छा लगता था शाम में तुम्हारा सूर्यास्त की लालिमा ओढ़ना तुम्हें कितना सकून देता था -लगता है सूर्य की अंतिम लालिमा के साथ साथ विलुप्ती में तुम भी -तुम्हारी उपस्थिति की संवेदना करवटें लेने लगती है । रात रात में अचानक चांद को निशीथ पहर निहारना या अचानक जागकर -जादुई चांदनी में या वर्षा की रिमझिम जल से छत पर ख़ुद को लबालब करना आर्तनाद टर्राते मेंढकों की जो तुम्हें लुभाती थी और अंधेरी काली रातों के सन्नाटे में ठंडी हवाँ का स्पर्श लेना मैं ढूंढना तलाशना हर जगह हर पल जहां कहीं भी तुम रहती थी कहां नहीं थी हर जगह थी तुम मगर अब थक सा गया हूं तुम्हारे भावनात्मक स्पर्श के भवँर में डूबते डूबते इसलिये अब मैं तलाशना छोड़ दिया हर कहीं जहां भी तुम्हारी झलकियां मिलती महसूस हुआ करती थी #निशीथ ©Nisheeth pandey #SunSet प्रेम की तलाश ************ मैं तलाशना छोड़ दिया हूं हर कहीं जहां भी तुम्हारी झलकियां मिलती
कुमार रंजीत (मनीषी)
Devesh Dixit
वृक्ष एक लकड़हारा लेकर आया, कुल्हाड़ी अपने हाथ में। एक सदस्य था और भी आया, जो था उसके साथ में। हरियाली से ये बाग़ भरा था, जो था खेत खलिहान में। उनका ध्यान अब हम पर था, हम भी थे तब मैदान में। घबराए सकुचाए सोच रहे थे, क्या होगा अपने साथ में। वहाँ पर और भी वृक्ष खड़े थे, जो सूखे थे वहीं बाग़ में। पर आ रहे थे वो मूर्ख यहीं पर, थे वो अब अपनी धाक में। उठाई कुल्हाड़ी उसने मुझ पर, मैं बोला अब अवसाद में। मुझको छोड़ो उसको काटो, वो सूखा खड़ा है बाग़ में। हम हरे भरे हैं हमें मत काटो, आओगे वरना संताप में। वर्षा न होगी अब फिर कभी, तब आओगे अकाल में। भूख भी थमेगी नहीं कभी, फँसोगे तुम जनजाल में। अभी वक्त है संभलजा वरना, पहुँचोगे तुम यमधाम में। ऐसा न आगे तुम कभी करना, संकट बनोगे संसार में। ईश्वर भी खफा होंगे तुमसे, जो रहे अपनी धाक में। तब न रोना ग़लती हुई तुमसे, अभी हो हमारी ताक में। ............................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #वृक्ष #nojotohindi वृक्ष एक लकड़हारा लेकर आया, कुल्हाड़ी अपने हाथ में। एक सदस्य था और भी आया, जो था उसके साथ में।
Devesh Dixit
चलो इश्क दोबारा कर लें बहुत हुईं अब गमगीन बातें, चलो इश्क दोबारा कर लें। कब सुलझीं अनबन से बातें, पल ये हम हसीन कर लें। मिले कभी थे हम पहली बार, उन्हीं लम्हों को बयांँ कर लें। एक दूजे के मुख से फिर हम, उन्हीं वादों की वर्षा कर लें। खो जाएँ हम एक दूजे की, आँखों के फिर समंदर में। बहके से हम बिन पिये ही, गोते खाएँ उसी भंवर में। एक दूजे के अब प्यार में, आओ मगन हम हो जाएँ। छोड़ कर सब ताना कस्सी, हम दोनों बाहों में आ जाएँ। दिखाती थी जो पहले अदा, फिर से तुम वो दिखा दो न। जिस मुस्कान पर था फिदा, वही मुस्कान तुम दिखा दो न। क्यों करनी है गमगीन बातें, चलो इश्क दोबारा कर लें। छोड़ सभी हम फालतू बातें, पलों को फिर हसीन कर लें। ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #चलो_इश्क_दोबारा_कर_लें #nojotohindi #nojotohindipoetry चलो इश्क दोबारा कर लें बहुत हुईं अब गमगीन बातें, चलो इश्क दोबारा कर लें। कब सुलझ