Find the Latest Status about हिरण्यकश्यप from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, हिरण्यकश्यप.
Kavi Narendra Gurjar
दौड़े आये हरि नरसिंह बन हिरण्यकश्यप का जब हाहाकार मचा था, दृढ़ भक्ति से भक्त ने ऐसा इतिहास रचा था, होलीका हुईं भस्म और प्रहलाद बचा था, #ka
दौड़े आये हरि नरसिंह बन हिरण्यकश्यप का जब हाहाकार मचा था, दृढ़ भक्ति से भक्त ने ऐसा इतिहास रचा था, होलीका हुईं भस्म और प्रहलाद बचा था, ka #Holi #nojotophoto #kavi_nagendra_gurjar
read moreविष्णुप्रिया
स्व से बंधित मैं, अहम् द्वेष से परिपूर्ण समस्त रागों को स्वाह कर और सत्व में कर विलीन ; दीप्त प्रह्लाद कुसुमित हो हो नव चेतन में, चित्त अन्तर्लीन.... हिरण्यकश्यपु और प्रह्लाद दो दृष्टिकोन है, जहाँ..... ★ हिरण्यकश्यपु लड़ता है, और प्रह्लाद जोड़ता है । ★ हिरण्यकश्यपु इन्द्रियों का भोग करता है
हिरण्यकश्यपु और प्रह्लाद दो दृष्टिकोन है, जहाँ..... ★ हिरण्यकश्यपु लड़ता है, और प्रह्लाद जोड़ता है । ★ हिरण्यकश्यपु इन्द्रियों का भोग करता है #Spirituality #yqdidi #होलिकादहन #हिंदीकोट्स #holika_dahan #आत्मबोध #विष्णुप्रिया
read moreshubham hirode
न मनुष्य से न पशु से , न दिन में न रात में, न घर के अंदर न बाहर, न अस्त्र से न शस्त्र के, प्राणों को कोई डर न हो ऐसा वरदान था वो हिरण्यकश्यप को महल के प्रवेशद्वार की चौखट पर, जो न घर का बाहर था न भीतर, गोधूलि बेला में, जब न दिन था न रात, आधा मनुष्य, आधा पशु जो न नर था न पशु, ऐसे नरसिंह के रूप में अपने लंबे तेज़ नाखूनों से, जो न अस्त्र थे न शस्त्र थे, उनसे मार गया। कहें तो अधर्मी अहम को समाप्त कर दिया गया।। ये कहानी तो सब जानते है हिरण्यकश्यप से कुछ लोग हैं जो न जाने ख़ुद को क्या मानते है। नरसिंह सा अवतार भी है वो ये कहाँ जानते है।। प्रह्लाद की भक्ति से कुछ लोग है जो इस महामारी में भी रक्षित रहते हैं।।। ये कहानी तो सब जानते है हिरण्यकश्यप से कुछ लोग हैं जो न जाने ख़ुद को क्या मानते है। नरसिंह सा अवतार भी है वो ये कहाँ जानते है।। प्रह्लाद की
ये कहानी तो सब जानते है हिरण्यकश्यप से कुछ लोग हैं जो न जाने ख़ुद को क्या मानते है। नरसिंह सा अवतार भी है वो ये कहाँ जानते है।। प्रह्लाद की #God #Motivation #Inspiration #yqbaba #yqdidi #coronavirus #covid19 #narsimhavatar
read moreSunil itawadiya
हिरण्यकश्यप जैसा हो गया है, कोरोना वायरस 🙄🙄🙄🙄🤔🤔🤔 कैप्शन ध्यान से पढ़ें 🙄🙄 👇 हिरण्यकश्यप जैसा हो गया है कोरोना वायरस!! 👹👹 ना जल में मरू, ना थल में मरू ना आकाश में मरू, ना पाताल में मरू ना अंदर मरू, ना बाहर मरू ना म
हिरण्यकश्यप जैसा हो गया है कोरोना वायरस!! 👹👹 ना जल में मरू, ना थल में मरू ना आकाश में मरू, ना पाताल में मरू ना अंदर मरू, ना बाहर मरू ना म #yq #coronavirus #covid19 #CoronaLockDown #coronameme #हिन्दी_काव्य_कोश #yqsunil_itawadiya
read morelital fingar
हरे कृष्ण भक्त वत्सल भगवान श्री नृसिंग देव हिरण्यकश्यप को मारने नही पर अपने परम शुद्ध भक्त प्रहलाद महाराज का रक्षण करने के लिए प्रगट हुवे थ
हरे कृष्ण भक्त वत्सल भगवान श्री नृसिंग देव हिरण्यकश्यप को मारने नही पर अपने परम शुद्ध भक्त प्रहलाद महाराज का रक्षण करने के लिए प्रगट हुवे थ #nojotophoto
read moreAnil Prasad Sinha 'Madhukar'
🌷🌹 होली के गुलाल में अब वो रंग कहाँ 🌹🌷 🙏🌹🌷(कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें)🌷🌹🙏 🌷होली के गुलाल में अब वो रंग कहाँ🌷 होली के गुलाल में अब वो रंग कहाँ, नकली चेहरों पर जो रंगों को लगाते हो। तुम्हारे कारनामों को
🌷होली के गुलाल में अब वो रंग कहाँ🌷 होली के गुलाल में अब वो रंग कहाँ, नकली चेहरों पर जो रंगों को लगाते हो। तुम्हारे कारनामों को #yqbaba #yqdidi #anil_madhukar #bestquotes5863 #होलीकेगुलालमेंअबवोरंगकहाँ_मधुकर
read morePARBHASH KMUAR
गीता के एक श्लोक में प्रभु श्री विष्णु ने द्वापर युग में श्री कृष्ण अवतार का रहस्य बताया है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से इस श्लोक में कहा था, “हे पार्थ! संसार में जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म बढ़ जाता है, तब धर्म की पुर्नस्थापना हेतू, मैं इस पृथ्वी पर अवतार लेता हूं।” पौराणिक कथाओं के अनुसार जब द्वापर युग में क्षत्रियों की शक्ति बहुत बढ़ गई थी और वह अपने बल के अहंकार में देवताओं को भी ललकारने लगे थे, तब प्रभु ने उनके इस अहंकार को खत्म करने के लिए माधव का अवतार लिया। इसके अलावा भगवान विष्णु के बैकुंठ के द्वारपालों, जय और विजय को उनके जीवन चक्र से मुक्ति दिलाने के लिए भी प्रभु ने अपना आठवां अवतार श्री कृष्ण के रूप में लिया था।  प्रभु श्री कृष्ण के अवतार में कईयों को मुक्ति दिलाने के साथ प्रेम, मित्रता और कर्म की शिक्षा दी है। उन्होंने इस रूप में राधा से प्रेम कर प्रेम बंधन को संसार में सबसे अहम माना तो वहीं महाभारत में कर्म के आधार पर लोगों श्रेष्ठ होने का मार्ग बताया। उन्होंने महाभारत के समय अर्जुन का सारथी बन गीता का ज्ञान दिया। प्रभु ने कर्म के मार्ग पर चल धर्म की रक्षा को सर्वश्रेष्ठ बताया है। महाभारत में प्रभु ने एक सारथी का दायित्व निभा धर्म की रक्षा का उपदेश दिया, वहीं सुदामा से मित्रता निभा उन्होंने मित्र धर्म को सभी पारिवारिक बंधनों से ऊपर रखा। कथानुसार, जब जय और विजय को ऋषि सनकादि से यह अभिशाप मिला कि अगले तीन जन्मों तक उन्हें राक्षस कुल में जन्म लेना होगा, तब उन दोनों ने ऋषि से मोक्ष प्राप्ति का पथ बताने का आग्रह किया था। सनकादि ने तब उन्हें कहा था कि उनके मोक्ष प्राप्ति के लिए स्वयं भगवान विष्णु पृथ्वी पर अवतरित होंगे। इसके बाद, अपने पहले जन्म में हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष, दूसरे जन्म में रावण और कुंभकर्ण बनने के पश्चात, तीसरे जन्म में उन दोनों ने शिशुपाल और कंस के रूप में जन्म लिया था। तब नारायण ने भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लेकर उन दोनों का वध करते हुए उन्हें जन्म चक्र से मुक्ति दिलाई थी। मान्यता यह भी है कि भगवान श्रीकृष्ण के परमशत्रु कंस पूर्वजन्म में हिरण्यकश्यप थे। वहीं भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने स्वयं जय और विजय को शाप से मुक्ति के लिए वरदान दिया था कि जब भी तुम लोग राक्षस बन कर जन्म लोगे, तो तुम्हारी मृत्यु मेरे ही हाथो होगी और तुम्हारा उद्धार होगा। अब जैसा की हम सब जानते हैं कि मथुरा के राजा दुराचारी कंस ने धरती पर जन्म के बाद से ही धरती पर हाहाकार मचा रखा था। उसके अत्याचार पूर्ण शासन का कष्ट, प्रजा सहित साधु-संत भी भोग रहे थे। दूसरी ओर, शिशुपाल जो पूर्वजन्म में हिरण्याक्ष था, वह भी धरती पर आ चुका था। इन दोनों को शाप के अनुसार, जीवन से मुक्ति प्रदान करने के लिए, भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार द्वापर युग में धरती महान योद्धाओं की शक्ति से दहल रही थी। इसके साथ ही, जनसंख्या का भार भी काफी हो गया था। अगर उस युग के योद्धाओं का अंत नहीं होता, तो धरती पर शक्ति का बहुत असंतुलन दिखाई देने लगता। अतः इसी शक्ति के संतुलन और नए युग के आरंभ के लिए श्री कृष्ण ने अपना अवतार धारण किया। श्री कृष्ण अवतार से एक और रोचक कथा जुड़ी हुई है, जब स्वयं धरती ने प्रभु से परित्राण का अनुग्रह किया और श्री हरि ने अपना आठवां अवतार लिया था। इस कथा के अनुसार द्वापर युग में जब पृथ्वी पर पाप बहुत बढ़ने लगा और असुरों के इस अत्याचार से स्वयं धरती माता भी नहीं बच पा रही थी। तब उन्होंने सहसा एक गाय का रूप धारण किया और अपने उद्धार की आशा लेकर, प्रजापति ब्रह्मा के पास पहुंची। उनकी सारी व्यथा सुनने के बाद ब्रह्मा जी ने उन्हें अपने साथ भगवान विष्णु की शरण में चलने को कहा। सभी देवताओं और पृथ्वी माता के साथ ब्रह्मा जी जब हरि धाम पहुंचे तो देखा कि भगवन निद्रा में लीन हैं। तब सभी ने उनकी स्तुति करना शुरू किया और इसके प्रभाव से उन्होंने अपनी आंखें खोली और ब्रह्मा जी से आने का कारण पूछा। तब धरती माता आगे आई और उन्होंने कहा, “हे प्रभु! मैं इस संसार में हो रहे पाप और अत्याचारों के बोझ तले दबी जा रहीं हूं। कृपया आप ही अब मेरा उद्धार करो भगवन!” पृथ्वी माता की बातें सुनकर भगवान विष्णु ने उत्तर दिया, हे धरती! तुम चिंतित ना हो, मैं वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से अपना आठवां अवतार लूंगा और तुम्हें इन अत्याचारों से मुक्त कराउंगा।” इसके साथ ही श्री हरि ने बाकी देवताओं ©parbhashrajbcnegmailcomm गीता के एक श्लोक में प्रभु श्री विष्णु ने द्वापर युग में श्री कृष्ण अवतार का रहस्य बताया है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से इस श्लोक में कहा
गीता के एक श्लोक में प्रभु श्री विष्णु ने द्वापर युग में श्री कृष्ण अवतार का रहस्य बताया है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से इस श्लोक में कहा #Knowledge
read moreManak desai
ना सत्य को स्वीकार किया, खुलकर अत्याचार किया, अपना नाम बचाने को, ईश्वर का नाम मिटाने को, प्रजा को भय दिखाने को, पुत्र को जिंदा जलाने को, अग्नि का आव्हान किया, जलकर वो पाप खाक हुआ, ईश्वर का फिर नाम हुआ, भक्त का होता है भगवान, तब ही तो भक्त का उद्धार किया..! ©Manak desai खम्मा घणी सा ❣️🤗🙏 राम राम सा ❣️🤗🙏☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕ होली के इस पावन पर्व की आप सभी को अनेकानेक हार्दिक शुभकामनाएं ❣️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 जी
खम्मा घणी सा ❣️🤗🙏 राम राम सा ❣️🤗🙏☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕ होली के इस पावन पर्व की आप सभी को अनेकानेक हार्दिक शुभकामनाएं ❣️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 जी #Quotes #Trending #nojotohindi #NojotoFamily #holikadahan #Nojotorang
read moreMonali Sharma
जो प्यार से रंग लगवाए तुम उसे ही रंग लगाना सुबह प्रार्थना सभा में जब कोलाहल था व्याप्त अध्यापिका ने कहा , सुनो बच्चों बात ये ख़ास जैसा कि सब जानते हैं , है होली आने वाली इस अवसर पर
सुबह प्रार्थना सभा में जब कोलाहल था व्याप्त अध्यापिका ने कहा , सुनो बच्चों बात ये ख़ास जैसा कि सब जानते हैं , है होली आने वाली इस अवसर पर #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #होलीकेहमजोली #collabwithकोराकाग़ज़
read moreN S Yadav GoldMine
White कंस ने क्यों मारा था देवकी के 6 पुत्रों को जानिए श्रीकृष्ण के स्वरूप को !! 🌿🌿भगवान कृष्ण:- {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌿 भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण थे, जिन्हें द्वापर युग में नटखट कान्हा, माखनचोर और महाभारत में अर्जुन के सारथी के तौर पर जाना जाता है। श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतारों में सबसे प्रसिद्ध और शायद सबसे अधिक लिखे गए हैं। उनकी कहानियां जादुई, प्रेरक और मानवीय हैं। भगवान कृष्ण का जन्म हिंदू ग्रंथों में वर्णित चार चक्रीय युगों में से द्वापर युग के दौरान हुआ था। ज्योतिषीय गणना के आधार पर, कृष्ण के जन्म की तारीख 18 जुलाई 3228 ईसा पूर्व है और कृष्ण की मृत्यु की तारीख, जब भगवान कृष्ण वैकुंठ में अपने अनन्त निवास पर लौट आए, 18 फरवरी 3102 ईसा पूर्व है। वर्तमान युग जिसे कलियुग के नाम से जाना जाता है, भगवान कृष्ण की मृत्यु के बाद शुरू हुआ। भगवान कृष्ण का जन्म कथा:-🌿 भगवान कृष्ण मथुरा शहर में राजकुमारी देवकी और उनके पति वासुदेव से पैदा हुए आठवें पुत्र थे। हालाँकि कृष्ण का पालन पोषण यशोदा और नंद बाबा ने मिलकर गोकुल में किया था। हिंदू कैलेंडर में अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के दौरान अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि के दौरान भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। सभी हिंदू इस दिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। 🌿 आपको जानकर हैरानी होगी कि श्रीकृष्ण से पहले देवकी के 7 पुत्र थे। सातवें पुत्र बलराम थे और 6 पुत्रों को कंस ने मार डाला था। लेकिन एक संक्षिप्त पुनर्मिलन के लिए श्रीकृष्ण ने अपने 6 भाईयों को जीवत किया था। जिनके नाम इस प्रकार है: स्मारा, उदित्था, परिशवंगा, पतंगा, क्षुद्रब्रितानंद गृहिणी। कंस ने क्यों मारा था देवकी के 6 पुत्रों को? 🌿 श्रीकृष्ण के मामा कंस पूर्व जन्म में कालनेमी थे। कालनेमी को भगवान विष्णु ने मारा था। देवकी के छह पुत्र पूर्व जन्म में कालनेमी के ही पुत्र थे और उन्हें हिरण्यकश्यप ने शाप दिया था कि वे उनके पिता द्वारा ही मारे जाएंगे। इसलिए कंस ने अपने अगले जन्म में देवकी के 6 पुत्रों को अपने ही हाथों से मार डाला था। कालनेमी के छह पुत्रों को हम्सा, सुविक्रम, कृत, दमाना, रिपुमर्दन और क्रोधनाथ के नामों से जाना जाता था। श्रीकृष्ण का स्वरूप:-🌿 अपने नाम के अनुसार कृष्ण का अर्थ था आकर्षक। वह अपनी सुंदरता से किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देते थे, इसलिए गोपियां उनकी दीवानी हुआ करती थी। यद्यपि अपने किताबों और तस्वीरों में श्रीकृष्ण के रंग को नीला देखा है। हालांकि उनका रंग सांवला था लेकिन उनकी चुंबकीय आभा के कारण उन्हें नीले रंग से चित्रित किया गया है। श्रीकृष्ण की बांसुरी हमें अपने अंदर के अहंकार, लालच और लोभ को खत्म करने का संदेश देती है। वहीं वैजयंती माला जीत का प्रतीक है और हर परिस्थिति में सकारात्मक रहने का संदेश देती है। मोरपंख हमें प्रकृति के समक्ष सम्मान प्रकट करने की सीख देता है। श्रीकृ्ष्ण का पांचजन्य शंख हमेशा लोगों की मदद करने की ओर इशारा करता है। अंत में श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। भगवान श्रीकृष्ण की परिवार:- 🌿 श्री कृष्ण की कुल 16,108 पत्नियां थीं, जिनमें से केवल आठ उनकी राजसी पत्नियां थीं, जिन्हें अष्टभरी या पटरानी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती, नागनजिती, कालिंदी, मित्रविंदा, भद्रा, लक्ष्मण के नाम हैं। भगवान श्रीकृष्ण की उनकी आठ रानियों (अष्टप्रतिनि) से अस्सी पुत्र थे। उनकी प्रत्येक रानी से उनके दस पुत्र हुए। प्रद्युम्न रुक्मिणी का पुत्र था। सांब, जांबवती का पुत्र था, जो ऋषियों द्वारा शापित था जो बाद में यदु वंश के विनाश का कारण बना। श्री कृष्ण ने स्वयं भी उनके जैसा पुत्र प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की तपस्या की। पौराणिक कथानुसार श्रीकृष्ण ने सांब को कुष्ठ रोग का शाप दिया था लेकिन इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान सूर्य की पूजा की थी और शाप से मुक्ति पा ली थी। गीता का सार:- 🌿 भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता का सार केवल अर्जुन को ही नहीं सुनाया था बल्कि बल्कि हनुमान और संजय ने भी सुना था। कुरुक्षेत्र के युद्ध में हनुमान अर्जुन के रथ के ऊपर बैठे थे, और धृतराष्ट्र को युद्ध की घटनाओं को बताने के लिए दिव्य दृष्टि के साथ वेद व्यास द्वारा संजय को आशीर्वाद दिया गया था। दुर्वासा ने कृष्ण को श्राप दिया:-🌿 पौराणिक मान्यता के अनुसार, ऋषि दुर्वासा ने अपना शाप से भगवान कृष्ण को भी नहीं छोड़ा था। एक बार दुर्वासा द्वारिका आए थे उनका श्रीकृष्ण और रुक्मणी ने खूब आदर-सत्कार किया। इसके बाद उन्होंने रुक्मणी से खीर बनवाई और उसे झूठा कर दिया। इसके बाद झूठी खीर को कन्हैया के पूरे शरीर में लेपने को कहा। रुक्मणी ने पूरे शरीर पर खीर को लगा दिया लेकिन पैर पर खीर नहीं लगाई। यह देखकर ऋषि क्रोधित हो गए उन्होने कहा कि कृष्ण का पूरा शरीर व्रज बन जाएगा लेकिन उनके पैर अभेद्य और अखंड नहीं रहेंगे। यही कारण है कि श्रीकृष्ण की मृत्यु एक शिकारी के बाण से हुई थी क्योंकि उसने कृष्ण के पैर को हिरण समझ लिया था। ©N S Yadav GoldMine #rajdhani_night कंस ने क्यों मारा था देवकी के 6 पुत्रों को जानिए श्रीकृष्ण के स्वरूप को !! 🌿🌿भगवान कृष्ण:- {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌿 भगवान व
#rajdhani_night कंस ने क्यों मारा था देवकी के 6 पुत्रों को जानिए श्रीकृष्ण के स्वरूप को !! 🌿🌿भगवान कृष्ण:- {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌿 भगवान व #मोटिवेशनल
read more